नई दिल्ली. बिहार सरकार के पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग की ओर से मछली पालकों के लिए कुछ महत्वपूर्ण गाइडलाइंस जारी की हैं, जिससे वे अपने फार्म में मछलियों का ठीक से पालन कर सकें. साथ ही बीमारियों से बचाकर आर्थिक नुकसान उठाने से भी बच सकें. बिहार सरकार के पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग की ओर से मछली पालन को लेकर जारी की गई जानकारी उनके बेहद आवश्यक है. आइए जानते हैं क्या हैं वो जानकारी जो मछली पालकों के लिए जानना बेहद जरूरी है. अगर मछली पालक बिहार सरकार के पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग की ओर से जारी की गईं गाइडलाइंस को मानेंगे तो मछली कभी बीमार नहीं पड़ेगी. साथ ही समय के साथ-साथ मानक के हिसाब से मछली का वजन भी बढ़ेगा.
मार्च माह में मत्स्य-पालकों द्वारा ध्यान देने योग्य महत्वपूर्ण बातें
- मार्च माह के प्रथम सप्ताह में पूर्व संचित मछलियों की निकासी कर नए फसल के लिए तालाब की तैयारी कर लेनी चाहिए.
- मछलियां छोटी हों तो जाल चलाकर मछलियों के स्वास्थ्य/ संख्या/ आकार आदि की जांच कर लें तथा नियमित आहार देना प्रारंभ कर दें.तालाब में नियमित रूप से चूने का छिड़काव करें.
- तालाब की तैयारी में जल निकासी और तालाब को सुखाने के बाद तालाब में पानी भरकर पीएच स्तर के अनुसार चूना, गोबर एवं रासायनिक उर्वरक का छिड़काव मत्स्य बीज संचयन से 15 दिन पूर्व करना चाहिए.
- यदि तालाबों की जल निकासी संभव न हो तो खरपतवार निकाल कर अवांछित मछलियों को मारने के लिए महुआ की खल्ली का प्रयोग 2500 किलोग्राम/हेक्टेयर की दर से प्रयोग कर 15 दिनों के बाद मत्स्य बीज का संचयन करें.
- तालाब में बीज संचय, खाद (कम्पोस्ट) डालने के 7-10 दिनों के बाद की जानी चाहिए. खाद डालनें क बाद जब पानी का रंग भूरा हरा हो जाए तो यह पानी में प्राकृतिक भोजन की उपस्थिति का संकेत है.
- मत्स्य बीज का संचयन में दिन के गर्म समय को टाल देना चाहिए. सुबह 9 बजे के पूर्व संचय करना चाहिए.
- मत्स्य बीज संचयन 8000-10000 फिंगरलिंग/ हेक्टेयर की दर से करना चाहिए.
- मत्स्य बीज संचयन का कार्य 15 मार्च से 30 मार्च तक कर लेना चाहिए.
- पंगेशियस प्रजाति की मछलियों के संचयन का यह आदर्श महीना है. 15 ग्राम से 20 ग्राम के अंगुलिकाओं का संचयन 20 हजार से 25 हजार प्रति हेक्टेयर के दर से करें.
- मछलियों को मत्स्य आहार नियमित रूप से देना प्रारंभ कर दें.
- मार्च के दूसरे एवं तीसरे सप्ताह से ग्रास कार्प की ब्रीडिंग के लिए प्रजनक मछलियों को अलग-अलग तालाब में रखकर संतुलित भोजन कराना चाहिए.
- मछलियों को बीमारी के संक्रमण से बचाव के लिए प्रतिमाह 400 ग्राम / एकड़ पोटाशियम परमेंगनेट या कोई भी वाटर सेनिटाईजर 500 एम0एल0 से 1 लिटर / एकड़ की दर से छिड़काव करें.
- मत्स्य बीज उत्पादक नर्सरी प्रबंधन का कार्य प्रारंभ कर दें और प्रजनक मछली को अलग तालाब में 700-800 कि०ग्रा० / एकड़ की दर से संचयन कर संतुलित भोजन कुल शरीर भार का 1.5-2 प्रतिशत की दर से देना प्रारंभ कर दें.
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