Home मछली पालन Fisheries: जानें तालाब में कैसे करें खाद का प्रयोग, जो मछलियों को दे बेहतर ग्रोथ
मछली पालन

Fisheries: जानें तालाब में कैसे करें खाद का प्रयोग, जो मछलियों को दे बेहतर ग्रोथ

जीरा डालने से पहले और चूना डालने के बाद खाद का प्रयोग करें.
प्रतीकात्मक तस्वीर।

नई दिल्ली. मछली पालन में अच्छे तालाब का होना बेहद जरूरी होता है. तालाब में मछलियां कई सतहों पर रहती हैं. ऐसे में हर सतह पर उन्हें आक्सीजन और भोजन की जरूरत होती है. इसलिए तालाब में पाले जाने वाली मछलियों को अच्छी भोजन मिले और उनकी जमकर ग्रोथ हो इसलिए तालाब में खाद का उपयोग भी करते हैं. तालाब में मछलियों तालाब में खाद का उपयोग मछली के प्राकृतिक भोजन (फाइटोप्लांकटन) की वृद्धि के लिए किया जाता है, जिससे मछली की वृद्धि और उत्पादकता में सुधार होता है. यह खाद को तालाब के किनारे या पानी के अंदर डालकर किया जा सकता है, ताकि वह धीरे-धीरे घुलता रहे.

जीरा डालने से पहले और चूना डालने के बाद खाद का प्रयोग करें. दानेदार उर्वरकों को पानी की सतह से 4-12 इंच नीचे रखें या उर्वरक बैग में छेद करके पानी में डुबो दें. गोबर को तालाब के किनारे पर पानी के भीतर डालकर धीरे-धीरे घुलने दें.

तालाब में खाद का प्रयोग: तालाब में मछली के प्राकृतिक भोजन का उत्पादन, जैविक (कार्बनिक) और रासायनिक (अर्कार्बनिक) खाद का उपयोग कर बढ़ाया जा सकता है. उसमें उचित मात्रा में समय-समय पर फॉस्फोरस नाइट्रोजन और पोटाश खाद डाला जाता है. तालाब में खाद डालने के बाद पोषक तत्व जल में घुलकर मिल जाते हैं. कुछ तालाब की तली की मिट्टी द्वारा बांध लिये जाते हैं और धीरे-धीरे जल और सूर्य की प्रक्रिया से मछली को पोषक तत्व के रूप में जल में उपलब्ध होते रहते हैं. इन उपलब्ध पोषक तत्वों एवं सूर्य की किरण प्रक्रिया से
वनस्पति प्लवकों एवं जन्तु प्लवकों की उत्पत्ति होती है, जो मछलियों के लिये प्राकृतिक खाद्य पदार्थ है जिन्हें खाकर मछलियां तेजी से बढ़ती है. तालाब में खाद के अच्छे उपयोग के लिए लगभग एक सप्ताह के पहले 250 से 300 किलोग्राम प्रति हेक्टर बिना बुझा चूना (भूरा चूना) डालने की सलाह दी जाती है. जैविक और रासायनिक खाद दोनों ही तरह का समन्वित उपयोग लाभदायक होता है.

पहले करें जैविक खाद का प्रयोग: पहले प्रतिमाह जैविक खाद का प्रयोग करना चाहिए और उसके 15 दिनों के बाद रासायनिक खाद डालना चाहिए. मत्स्यबीज संचयन के 15 दिन पूर्व प्रारंभिक मात्रा 5 हजार किलोग्राम ताजा गोबर प्रति हेक्टेयर की दर से डालना चाहिये। दूसरे माह से प्रतिमाह 555 किलोग्राम प्रति हेक्टर की दर से डाला जाता है. यूरिया 18 किलोग्राम या कैल्शियम अमोनियम नाइट्रेट 36 किलोग्राम, सिंगल सुपरफास्फेट 30 किलोग्राम प्रति हेक्टर की दर से प्रतिमाह डाला जाता है. सतह पर हरी काई पैदा हो जाए तो खाद न डाले. जब महुआ खली का उपयोग किया जाए तो प्रारंभिक मात्रा गोबर खाद नहीं डालना चाहिए. गोबर खाद को तालाब के किनारे ढेर बनाकर डाला जाता है ताकि खाद धीरे आक्सीजन चलती रहे.

उर्वरीकरण सारिणी
खाद
मात्रा कि.ग्रा. प्रति
छः प्रजाति के मत्स्य पालन
हेक्टर तीन या चार
हेतु मात्र कि0ग्रा0/हे0
प्रजाति के मत्स्यपालन
गोबर
5000 किलो ग्राम
5000 किलो ग्राम
प्रारंभिक किस्त
गोबर
555 किलो ग्राम
555 किलो ग्राम
मासिक किस्त
यूरिया या
18 किलो ग्राम
36 किलो ग्राम
हर महीने
अमोनियम सल्फेट या
36 किलो ग्राम
72 किलो ग्राम
हर महीने
कैल्शियम अमोनियम नाइट्रेट
36 किलो ग्राम
72 किलो ग्राम
मासिक किस्त
सिंगल सुपरफास्फेट या
30 किलो ग्राम
60 किलो ग्राम
हर महीने
ट्रिपल सुपरफास्फेट
12 किलो ग्राम
24 किलो ग्राम
हर महीने

Written by
Livestock Animal News

लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज (livestockanimalnews.com) एक डिजिटल न्यूज प्लेटफार्म है. नवंबर 2023 से ये लगातार काम कर रहा है. इस प्लेटफार्म पर एनिमल हसबेंडरी () यानि मुर्गी पालन, डेयरी (), गाय-भैंस, भेड़-बकरी, घोड़ा, गधा, मछली और पशुपालन, चारा, पशु चिकित्सा शि‍क्षा से जुड़ी खबरें पढ़ने को मिलती हैं. ऐग और चिकन के रोजाना बाजार भाव भी इस प्लेटफार्म पर प्रकाशि‍त किए जाते हैं. नेशनल मीडिया जैसे न्यूज18 हिंदी, हिन्दुस्तान, अमर उजाला, दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर में काम कर चुके पत्रकार (रिर्पोटर) की टीम लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज के लिए खबरें और स्टोरी लिखती है. केन्द्र सरकार के Poultry, Cow, Buffalo, Goat, Sheep, Camel, Horse (Equine), Fisheries, Donkey, Feed-Fodder and Dairy रिसर्च इंस्टीट्यूट के साइंटिस्ट से बात कर उनकी रिसर्च पर आधारित न्यूज-स्टोरी लिखी जाती हैं. इसके साथ ही लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज प्लेटफार्म पर एनिमल साइंस और वेटरनरी कॉलेज-यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और एक्सपर्ट से बात करके खबरें लिखी जाती हैं और उनके लिखे आर्टिकल भी पब्लिूश किए जाते हैं. ये सभी स्टोरी और स्टोरी से जुड़े वीडियो सोशल मीडिया फेसबुक, यूट्यूब (YouTube), इंस्टाग्राम, एक्स (ट्विटर) और लिंक्डइन पर शेयर किए जाते हैं. पशुपालकों की सक्सेट स्टोरी लिखी जाती हैं. उसी सक्सेस स्टोरी के वीडियो बनाकर उन्हें लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज के यूट्यूब चैनल पर पब्लिैश किया जाता है. अंग्रेजी में भी न्यूज और आर्टिकल पब्लिाश किए जाते हैं. लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज पशुपालन, मछली पालन, मुर्गी पालन और डेयरी से जुड़े विषयों पर होने वाली सेमिनार, वर्कशॉप और एक्सपो को भी कवर करता है. साथ ही एनिमल हसबेंडरी मंत्रालय से जुड़ी खबरें भी कवर करता है. बाजार में आने वाले नए प्रोडक्ट की जानकारी भी इस प्लेटफार्म पर दी जाती है.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

how to treat a fish ulcer
मछली पालन

Fish: मछली बीज का ज्यादा उत्पादन लेने के लिए पढ़ें एक्सपर्ट की ये सलाह

मत्स्य बीज पक्षेत्र सुनारू फतुहा पटना के सहायक मत्स्य निदेशक डॉ. टुनटुन...

fish farming in pond
मछली पालन

Fish Farming: बरसात में तालाब के अंदर अमोनिया और नाइट्रेट का असर कम करने के लिए करें ये काम

तालाब के अंदर फंगेसियास और मांगुर जैसी मछलियां बहुत ज्यादा बीट करती...