नई दिल्ली.मछली को लेकर लोगों के दिमाग में रहता है कि पानी में रहने के कारण ये कभी बीमार नहीं होती लेकिन ऐसा नहीं. मछली भी बीमार होती है. मछली ज्यादा गर्म और ज्यादा ठंडे पानी में बीमार हो जाती है. इसलिए तापमाल में बदलाव होते ही ट्रीटमेंट करना बेहद जरूरी है. मछली विशेषज्ञों की मानें तो इस मौसम में सुबह-शाम पानी का तापमान चेक करते रहना जरूरी है. साथ ही आक्सीजन की मात्रा को भी जरूर चेक करते रहना चाहिए.
पंजाब के लुधियाना में गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनीमल साइंस यूनिवर्सिटी गडवासू (Gadvasu), कॉलेज ऑफ फिशरीज की डीन डॉक्टर मीरा डी. अंसल ने बताया कि सर्दी के मौसम में मछलियों के खानपान में भी बदलाव करना चाहिए. हमेशा तालाब की सफाई करते रहना भी बेहद आवश्यक है. ठंड के मौसम में मछलियों को बीमारी से बचाने के लिए तालाब की साफ-सफाई, मछलियों के खानपान और तालाब के पानी पर खास ध्याकन देने की जरूरत होती है.
मछलियों को बीमारी से बचाना है तो छह फीट गहरे पानी में रखें
गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनीमल साइंस यूनिवर्सिटी गडवासू (Gadvasu) कॉलेज ऑफ फिशरीज की डीन डॉ. मीरा का कहना है कि कड़ाके की सर्दी के दौरान मछली पालकों को तालाब के जल की करीब छह फीट तक रखनी चाहिए. जिससे मछलियों को गर्म वातावरण में रहने के लिए ज्यादा जगह मिल सकेगी. इतना ही नहीं तालाब के नीचे के हिस्से और सतह के पानी को गर्म रखने के लिए हमेशा शाम के वक्त ट्यूबवेल का पानी जरूर मिलाएं. खासकर जब तालाब के पानी का तापमान 15 डिग्री सेल्सियस से नीचे हो. अगर तालाब के आसपास पेड़ हों तो सर्दियों के दौरान उन्हें काट दें. ऐसा इसलिए किया जाता है जिससे सीधी धूप तालाब पर पड़ सके और पत्तियां भी तालाब में न गिरें. पत्ती गिरने से पानी की गुणवत्ता खराब हो सकती है.
तालाब में आक्सीजन के लिए अपनाएं ये तरीके
डीन डॉक्टर मीरा बताती हैं कि गर्मियों की अपेक्षा ठंड के मौसम में दिन छोटे होते हैं और ऊपर से उस दौरान सूरज की रोशनी भी कम आती है. यही वजह है कि कम रोशनी की वजह से तालाब के पानी में आक्सीजन की मात्रा भी कम होने लगती है. इतना ही नहीं कोहरा पड़ने और बादल छाए रहने से तो हालात और भी खराब होने लगते हैं. ऐसे में मछली पालकों की परेशानी और भी बढ़ जाती हैं. इसलिए तालाब में आक्सीजन की मात्रा बढ़ाने के लिए पंप का ताजा पानी तालाब में जरूर मिलाएं या फिर तालाब में एरेटर का इस्तेमाल करें. खासतौर पर सुबह के वक्त एरेटर का उपयोग अवश्य करें. आपको पता तो होगा कि ठंडे मौसम में पानी में पीएच का स्तर भी नियमित चेक करते रहें. अगर तालाब के पानी का पीएच 7.0 से नीचे चला जाए तो फौरन ही दो किश्तों में 100 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से तालाब में चूना डाल दें.
तापमान घटते ही कम कर दें मछलियों का खाना
डीन डॉक्टर मीरा के अनुसार जैसे मछली पालकों को ये पता चल जाए कि इस मौसम में तापमान लगातार कम हो रहा है तो मछलियों की खुराक भी कम कर दें. क्योंकि घटते तापमान के साथ ही मछलियों की खुराक भी कम हो जाती है. इसलिए एक बार में तो नहीं, लेकिन धीरे-धीरे मछलियों की खुराक को 25 से 75 फीसद तक कम कर दें और जब पानी का तापमान 10 डिग्री से नीचे चला जाए तो खुराक को बिल्कुल ही बंद कर दें. दरअसल ऐसा इसलिए करना पड़ता है कि जो दाना हम तालाब में मछलियों के लिए डालते हैं वो पानी में बच जाता है. बचा हुआ दाना तालाब की तली में जमा होकर फूल जाता है अबौर गंदगी फैलाने लगता है. इसलिए हमें इन बातों पर जरूर गौर करना चाहिए.











