नई दिल्ली. मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय, भारत सरकार देश में फिशरीज और डेयरी सेक्टर में विकास के लिए योजनाओं को शुरू किया है. जिसमें प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (पीएमएमएसवाई), फिशरीज एंड एक्वाकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलेपमेंट फंड (एफआईडीएफ), सपॉर्टिंग डेयरी कोऑपरेटिव एंड फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन (एसडीसीएफपीओ) नेशनल प्रोग्राम फॉर डेयरी डेवलेपमेंट (एनपीडीडी) और डेयरी प्रोसेसिंग एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलेपमेंट फंड (डीआईडीएफ) शामिल है. सरकार ने साल 2021-22 से 2025-26 की अवधि के दौरान फिशरीज और डेयरी क्षेत्र के विकास के लिए मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के अंतर्गत वर्ष-वार बजट आवंटन अनुबंध-I में दिया गया है.
गत चार वर्षों के दौरान मात्स्यिकी और डेयरी क्षेत्र के विकास के लिए इन योजनाओं के तहत मछली, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय द्वारा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को फंड उपलबध कराया गया है.
पांच लाख रुपए दिए जाएंगे
मछुआरों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए, मत्स्यपालन विभाग, मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय, भारत सरकार वर्तमान में जारी प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के तहत गहरे समुद्र में जाने वाले मछुआरों (डीप सी फिशरमैन) सहित मछुआरों को दुर्घटना बीमा कवरेज प्रदान करता है. जिसमें बीमा प्रीमियम की पूरी राशि केंद्र और राज्य सरकार द्वारा वहन की जाती है, और लाभार्थी की ओर से अशंदान नहीं देना होता है. पीएमएमएसवाई के तहत दिए जाने वाले बीमा कवरेज में मृत्यु या स्थायी पूर्ण शारीरिक अक्षमता के लिए पांच लाख रुपए रुपए दिए जाते हैं. वहीं स्थायी आंशिक शारीरिक अक्षमता के लिए ढाई लाख रुपए मिलता है.
एक्सीडेंट होने पर भी मछुआरे होंगे कवर
जबकि दुर्घटना की स्थिति में अस्पताल में भर्ती होने पर 25 हजार रुपए की मदद सरकार करती है. इसके अलावा, फिशिंग वेसल्स के लिए बीमा प्रीमियम अनुदान योजना, जिसका उद्देश्य प्राकृतिक आपदाओं के कारण होने वाली आंशिक नुकसान और बड़ा नुकसान तथा मछली पकड़ने के जाल सहित हॉल, मशीनरी और सहायक उपकरणों को होने वाले आकस्मिक नुकसान को कवर करना है. सभी प्रकार के आकार और श्रेणियों के लिए, फिशिंग वेसल्स के लिए बीमा राशि के 2 फीसदी [प्लस लागू वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) की प्रीमियम दर के साथ रोलआउट के लिए अपने अंतिम चरण में है.
सरकार दे रही है ये भी मदद
पीएमएमएसवाई के तहत गत चार वर्षों (2020-24) के दौरान, मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार ने भारतीय तटीय जल में समुद्री संसाधनों के सस्टेनेबल उपयोग के लिए मेरीकल्चर गतिविधियों सहित विभिन्न समुद्री मात्स्यिकी विकास परियोजनाओं को स्वीकृति दी है. इन गतिविधियों में निर्यात क्षमता के लिए पारंपरिक मछुआरों के लिए 480 डीप सी फिशिंग वेसल्स की शुरूआत और 1,338 मौजूदा वेसल्स का उन्नयन, 1525 सी केज, 10 मरीन फिन-फिश हैचरी, 2307 बाइवाल्व कल्टीवेशन यूनिट (मसल्स, क्लैम, पर्ल आदि सहित) और सी विड कल्टीवेशन के लिए 47,245 राफ्ट और 65,480 मोनोलाइन ट्यूब नेट आदि के लिए सहायता शामिल है.











