Home लेटेस्ट न्यूज Fodder: आग की घटनाओं से जानवरों के चारे पर मंडरा रहा संकट, कैसे बचाकर चारा रखें किसान
लेटेस्ट न्यूज

Fodder: आग की घटनाओं से जानवरों के चारे पर मंडरा रहा संकट, कैसे बचाकर चारा रखें किसान

आपदा प्रबंधन विभाग ने लोगों से अपील की है कि जलती हुई बीड़ी, सिगरेट, माचिस की तीलियां ऐसे ही ना फेंके. कुछ सावधानियां बरती जाएं तो आग लगने के खतरे को काफी कम किया जा सकता है.
जंगलों में लगी आग की फाइल फोटो।

नई दिल्ली. भीषण गर्मी में चारे की कमी से पशुपालक और किसान परेशान हैं. तेज गर्मी का सबसे ज्यादा असर नहरी और वन क्षेत्र की वनस्पति पर देखने को मिल रहा है. तेज गर्मी में जब चारा खत्म हो जाएगा तो पशुओं के सामने संकट पैदा हो सकता है. ऊपर से जंगल और खेतों में लग रही आग से चारा नष्ट होता जा रहा है. कभी उत्तराखंड के अल्मोड़ा में तो कभी राजस्थान के बाड़मेर और जैसलमेर के जगंलों में भीषण आग लगने से चारा जलकर राख हो गया. अब उत्तर प्रदेश के आगरा क नदी और चंबल के बीहड़ में आग की कई घटनाएं सामने आ गईं. आग लगने की घटनाओं से चारे भीषण किल्लत का सामना करना पड़ सकता है. अगर समय रहते नहीं चेते तो बड़ी मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है.

देशभर में भीषण गर्मी में सूरज का प्रकोप पशुओं के लिए मुसीबत बनता जा रहा है. तेज गर्मी का सबसे ज्यादा असर नहरी और वन क्षेत्र की वनस्पति पर देखने को मिल रहा है. आग लगने की घटनाएं सामने आ रही हैं, जिससे चारा जलकर नष्ट होता जा रहा ह, नहर, वन या चारागाह क्षेत्रों में उगी घास के लिए मामूली चिंगारी भी अग्निकाण्ड में तब्दील हो जाती है. जब चारा खत्म हो जाएगा तो पशुओं के सामने संकट पैदा हो सकता है. बता दें कि विगत दिनों राजस्थान, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश सहित देश के कई प्रदेशों से आग की घटनाएं सामन आई हैं, जिनमें बड़ीमात्रा मं चारा जल गया.

पेड़-पौधों के साथही जल गए जीव जंतु
मौजूदा समय में पारा 44 डिग्री तक को पार कर चुका है. ऐसे में आगामी दिनों में वन क्षेत्र में आग लगने की घटनाओं में इजाफा होने की आशंका है. पिछले दो दिन से उत्तर प्रदेश के आगरा के थाना क्षेत्र के गांव रिहावली के जंगल में सोमवार रात अज्ञात कारणों से आग लग रही है, जिसमें हजारों पेड़-पौधे व छोटे-मोटे जीव जंतु जलने की आशंका है. आग से करीब 150 बीघा जंगल जलकर राख हो गया. रास्ता न होने के कारण फायर ब्रिगेड की गाड़ी मौके तक नहीं पहुंच सकी.

दमकल पहुंच जाती तो जलने से बच जाता चारा
थाना फतेहाबाद क्षेत्र के गांव रिहावली में सोमवार की रात अचानक जंगल में आग लग गई. आग की लपटों को देखकर गांव के लोग मौके की तरफ दौड़े और आग बुझाने की कोशिश की, लेकिन आग विकराल रूप धारण कर चुकी थी. घटना की जानकारी ग्रामीणों ने फायर ब्रिगेड को दी. जानकारी पर फायर ब्रिगेड की गाड़ी वहां पर पहुंची, लेकिन रास्ता न होने के कारण मौके तक नहीं पहुंच सकी, जिससे जंगल में हजारों पेड़-पौधे और छोटे-मोटे जीवजंतु जलकर राख हो गए. ग्रामीणों ने बताया कि रास्ता न होने के कारण फायर ब्रिगेड की गाड़ी मौके तक नहीं पहुंच सकी, ग्रामीणों ने आग बुझाने की काफी कोशिश की, लेकिन भयंकर लपटों के कारण ग्रामीण नजदीक तक नहीं पहुंच सके. ग्रामीणों ने करीब दो-तीन घंटे कड़ी मशक्कत की, इसके बावजूद आग पर काबू नहीं पाया जा सका. करीब 150 बीघा जंगल जलकर राख हो गया.

वन विभाग और ग्राम सभा की वनों में लगी आग
वन क्षेत्राधिकारी फतेहाबाद विशाल राठौर ने बताया कि वनविभाग की करीब एक बीघा जमीन पर आग लगी है, शेष जमीन ग्रामसभा की थी. उन्होंने बताया कि मूंज होने के कारण अक्सर हर साल उसमें आग लग जाती है, जिसके बाद नई मूंज तैयार होती है. वहीं ग्राम प्रधान रिहावली लाइक सिंह ने बताया कि जिस जंगल में आग लगी है उसमें ग्रामसभा की भी जमीन है कितने में आग लगी है यह पता नहीं चला है लेकिन आग काफी क्षेत्र में लगी थी,जिससे पशुओं का चारा भी नष्ट हो गया.

उत्तराखंड में जल गए एक हजार हेक्टेयर जंगल
वहीं उत्तराखंड के जंगलों में 24 घंटे में आग की 66 घटनाएं सामने आई. उत्तरकाशी के जंगलों में आग लगने से चारा पूरी तरह से नष्ट हो गया. अभी तक आग लगने के कुल 828 घटनाएं सामने आई हैं. करीब एक हजार हेक्टेयर एरिया में आग ने तांडव मचाया है. करीब 24 लाख रुपये का नुकसान बताया जा रहा है लेकिन वन संपदा क साथ ही पशुओं का भी चारा समाप्त हो गया है. आग इतनी विकराल थी कि सरकार को सेना बुलानी पड़ी सेना ने अपन विमानों से जंगहों में बारिश कराई. गुरुवार की रात को भी उत्तरकाशी के गंगा और यमुनाघाटी के जंगल भी आग के चपेट में आ गए. बाड़ाहाट रेंज के जंगल जलते रहे. लोग उम्मीद कर रहे हैं कि अब बारिश हो जाए तो इन जंगलों को बचाया जा सके.

गर्मी में वैसे ही कम रहता है चारा
टीम ओरण जैसलमेर के संस्थापक सुमेर सिंह भाटी का कहना है कि वन और नहरी क्षेत्र में भीषण आग के फैलने के बाद जब दावानल तभी शांत होता है, जब अधिकांश वन संपदा आग की भेंट चढ़ जाती है. गत एक दशक से मरुप्रदेश में विकसित नहरी व वन क्षेत्र में गत वर्षों में दावानल भड़कने की बड़ी घटनाएं भीषण गर्मी में वन क्षेत्रों में मंडाराया दावानल भड़कने का खतरा. इन आग की घटनाओं की वजह से पशुओं का चारा जलकर नष्ट हो जाता है. गर्मी में वैसे ही चारे की कमी रहती है और इनआग की घटनाओं से चारा पूरी तरह से नष्ट हो जाता है.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

तापमान में बढ़ोत्तरी न केवल इंसानों के लिए मुसीबत बन गई है, बल्कि बेजुबान भी इस गर्मी से हांफने को मजबूर हैं.
लेटेस्ट न्यूज

Dog Attacks: ये चार काम जरूर करें गली के कुत्तों संग

तापमान में बढ़ोत्तरी न केवल इंसानों के लिए मुसीबत बन गई है,...

goat farming
पशुपालनलेटेस्ट न्यूज

Goat Farming : 50 किलो का बकरा-बकरी, जानिए ऐसी कौन सी नस्ल है जिसमें मिलते हैं ये गोट्स

नई दिल्ली. आमतौर पर पहाड़ी और ठंडे इलाकों में राजस्थान, यूपी और...