नई दिल्ली. पोल्ट्री फॉर्म चलाने वाले संचालक और डेयरी चलाने वाले किसान अक्सर अच्छा उत्पादन लेने के लिए एंटी बायोटिक दवाओं का इस्तेमाल करते हैं. हालांकि पोल्ट्री कारोबार से जुड़े जानकार मुर्गियों की ग्रोथ बढ़ाने के लिए आने वाली वाली एंटी बायोटिक दवा देने की बात से इनकार करते रहे हैं. हालांकि भैंस या गाय से दूध उत्पादन अच्छा लेने के लिए इंजेक्शन और दवाएं दी जाती हैं. वहीं अब इस मामले को लेकर भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) गंभीर चिंता जाहिर की है और अलर्ट मोड में आ गया है.
बता दें कि भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) की केंद्रीय सलाहकार समिति (सीएसी) ने आज तमिलनाडु के कोयंबटूर में 43वीं सीएसी बैठक के दौरान एंटी-माइक्रोबियल प्रतिरोध (एएमआर) पर प्राधिकरण की कार्य योजना का अनावरण किया. इस बैठक के दौरान, एएमआर राष्ट्रीय कार्य योजना-II के तहत एफएसएसएआई की जिम्मेदारियों के हिस्से के रूप में पशुधन, जलीय कृषि, मुर्गीपालन आदि में एंटीबायोटिक दवाओं के विवेकपूर्ण उपयोग के बारे में किसानों के बीच जागरूकता पैदा करने पर विचार-विमर्श किया गया. उपभोक्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए खाद्य मैट्रिक्स में रोगाणुरोधी संवेदनशीलता पर निगरानी रखने की योजना पर भी चर्चा की गई.
पोल्ट्री संगठन नहीं मानता इसे
गौरतलब है कि पोल्ट्री सेक्टर पर आरोप लगाते रहे हैं कि चिक्स की ग्रोथ की बढ़ाने और ज्यादा अंडे लेने के लिए पोल्ट्री कारोबारी इन दवाओं का इस्तेमाल करते हैं. फायदे के लिए पोल्ट्री कारोबारी लोगों की सेहत ख्याल नहीं रख रहे हैं. जबकि दूसरी ओर पोल्ट्री संगठन इस दावे को खारिज करता रहा है. वहीं पोल्ट्री एक्सपर्ट भी कहते हैं कि मुर्गों को जल्दी बड़ा करने और मुर्गियों से ज्यादा अंडा लेने के लिए किसी तरह की एंटीबायोटिक दवा का इस्तेमाल नहीं किया जाता. इससे ग्रोथ होने की बजाय उल्टे काम हो जाती है.
एएमआर मनाता है अवेयरनेस वीक
बताते चलें कि वहीं वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन वर्ल्ड एएमआर अवेयरनेस वीक मानती है. जिसका मकसद लोगों में एंटीबायोटिक दावों को लेकर जागरुकता बढ़ाने को लेकर है. इसके साथ ही पशुओं और पक्षियों को कम से कम और बहुत ज्यादा जरूरत पड़ने पर ही एंटीबायोटिक दवाएं खिलाने को लेकर जागरुक किया जाता है. इसको लेकर 28 से 24 नवंबर तक अवेयरनेस वीक मनाया जाता है. जहां हर तरह से लोगों को अवेयर किया जाता है.
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