नई दिल्ली. बकरी पालन एक मुनाफे का सौदा है और इसका मुनाफा तब और ज्यादा बढ़ जाता है, जब बकरी से मिलने वाले बच्चे हेल्दी मिलते हैं. हालांकि इसके लिए जरूरी यह है कि बकरी को गाभिन करने वाला बकरा बेहतरीन नस्ल का होना चाहिए. उसकी फैमिली का रिकॉर्ड अच्छा हो. ब्रीडर बकरा सारे गुण को पूरा करता हो. उसकी मां दूध ज्यादा देती हो. मीट के लिए अगर ले रहें तो उसके पिता की बढ़वार अच्छी हो. अगर यह सारी चीज हैं तो फिर आर्टिफिशियल इंसीमेनेशन (एआई) के जरिए उच्च नस्ल का मेमना हासिल किया जा सकता है.
गोट एक्सपर्ट कहते हैं कि इस खास तकनीक की मदद से हीट में आई बकरी को सिर्फ 25 रुपये में गाभिन कराया जा सकता है. साथ ही बकरे का सीमेन इस्तेमाल किया जा रहा है उसका पूरा रिकॉर्ड भी बकरी पालक को उपलब्ध कराया जाता है. जिससे उनके दिमाग में कोई शक ना रहे. 25 रुपये जैसी मामूली रकम में बकरी से मनपसंद बच्चा मिल जाता है. जबकि पुराने तरीके से 200 से 300 रुपये तक का खर्च आता है.
ज्यादा दूध देने वाला बच्चा मिलेगा
एक्सपर्ट कहते हैं कि आर्टिफिशियल इंसेमीनेशन (एआई) तकनीक का फायदा यह भी है कि बकरी पालने वाले किसानों को उनकी पसंद और जरूरत के हिसाब से बकरी के बच्चे मिल रहे हैं. अगर किसान को ज्यादा दूध देने वाली बकरी चाहिए तो बकरी इस तरह के बच्चा पैदा करवा सकते है. अगर कोई किसान चाहता है कि बकरा ज्यादा वजन वाला हो और हेल्दी हो तो उसे ऐसा बच्चा मिल जाता है. अनुसंधान संस्थान करग माथुर ने एक नई तकनीक पर काम शुरू किया है, जिसका नाम है लैप्रोस्कोकपिक आर्टिफिशल इंसेमीनेशन दिया है.
एक सीमेन से 5 बार कराएं बकरी को गाभिन
लैप्रोस्कोकपिक आर्टिफिशल इंसेमीनेशन इस तकनीक का इस्तेमाल करके बच्चे जन्म करने वाले वैज्ञानिक योगेश कुमार सोनी ने बताया कि दूसरी तकनीक का इस्तेमाल कर किसी एक ब्रीडर के 100 मिलियन सीमेंन का एक ही बच्चे का जन्म कराया जा सकता है लेकिन नई तकनीक की मदद से 100 मिलियन सीमेन में 5 बच्चों का जन्म ले सकते हैं. बकरी के एक बार के सीमेन से पांच बार बकरी को गाभिन किया जा सकता है. एक बकरी के लिए सिर्फ 20 मिलियन सीमेन काफी होता है और हम इस तकनीक से अच्छी नस्ल के बकरी के सीमेन को तैयार कर सकते हैं.
क्या-क्या है इस तकनीक का फायदा
सीआईआरजी की सीनियर साइंटिस्ट चेतन गंगवार कहती हैं कि आर्टिफिशियल इंसीमीनेशन बकरियों को गर्भवती किया जा रहा है. इस तकनीक से कई फायदा मिल रहा है. बकरी को अच्छे नस्ल की बकरी का सीमेन मिल जाता है. जिससे बकरी अच्छे और हल्दी बच्चों को जन्म देती है. दूसरा यह है कि तकनीक की मदद से पशुपालक का बकरी बकरियों का झुंड नस्ल के आधार पर खराब होने से बच जाता है. पशुपालक गाभिन कराने के लिए एक ऐसे बकरे के पास ले जाते हैं, जिसके बारे में उन्हें यह पता भी नहीं होता कि बकरे की नस्ल कैसी है. बकरे को क्या बीमार है. उनकी फैमिली के बारे में कुछ पता नहीं होता.
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