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Animal Husbandry: पशु को कब करना चाहिए डीवार्मिंग, न करने के क्या हैं नुकसान, जानें यहां

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प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. पशुपालन में बेहतर रिजल्ट लेने के लिए पशुओं का ख्याल रखना पड़ता है. पशुओं को कई तरह की बीमारियों का खतरा रहता है. उन्हें उन बीमारियों से बचने की जरूरत होती है. एनिमल एक्सपर्ट कहते हैं कि पशुओं को बीमारियों से बचाना, फायदेमंद पशुपालन का सबसे बेहतरीन उपाय है. क्योंकि जब बीमारी लग जाती है तो उसके इलाज में खर्च होता है. इससे पशुपालन की लागत बढ़ जाती है. ऐसे में अगर उन्हें बीमारियों से बचा लिया जाए तो उत्पादन बेहतर मिलेगा और इससे पशुपालन की लागत को भी कंट्रोल किया जा सकेगा. इसलिए जरूरी है कि पशुओं का बीमार न होने दिया जाए.

बहुत से पशुपालक भाई इस बात को जानते हैं कि पशुओं को डीवार्मिंग करने की जरूरत होती है. यानी पेट के अंदर मौजूद नुकसानदायक कीड़े को मारने लिए उन्हें एक खास तरह की दवा दिया जाता है. हो सकता है कि जो पशुपालक भाई नए हैं, उन्हें इस बात की जानकारी न हो, लेकिन यह बेहद जरूरी होता है. दरअसल, पशु कुछ चीजें खाते हैं, जिसकी वजह से उनके पेट में कीड़े चले जाते हैं और उन्हें खत्म करना बेहद जरूरी होता है. नहीं तो पशुओं की ग्रोथ रुक जाती है. दूध उत्पादन कम हो जाता है और कई तरह की उन्हें दिक्कत होती है.

पशु चिकित्सक की लें सलाह
बात की जाए डीवार्मिंग करने की तो पशुओं को हर 3 महीने पर डीवार्मिंग करना चाहिए. इसके लिए पशुओं को दवा पिलानी चाहिए. डीवार्मिंग करने के लिए बाजार में कई दवाएं उपलब्ध हैं. जिन्हें खरीद कर पशुपालक अपने पशुओं को पिला सकते हैं. बेहतर ये है कि पशु चिकित्सक से सलाह लेकर ही दवाओं का इस्तेमाल करें तो इससे अच्छा रिजल्ट आएगा और इससे पशु पर कोई असर भी नहीं पड़ेगा. कई दवाएं ऐसी भी बाजार में उपलब्ध हैं, जिन्हें डॉ. की सलाह पर लेना चाहिए और जिसे गाभिन पशुओं को भी दिया जा सकता है. इससे उन्हें किसी तरह की दिक्कत नहीं होती है.

डीवार्मिंग न करने से होते हैं ये नुकसान
बात की जाए की डीवार्मिंग न करने से पशुओं को क्या दिक्कत होती है तो बता दें इससे पशुओं के पाचन तंत्र को नुकसान पहुंचता है. लिवर को नुकसान पहुंचता है. रूमन के पीएच को पेट के अंदर मौजूद हानिकारक कीड़े नुकसान खराब कर देते हैं. इसके चलते पशुओं की ग्रोथ नहीं हो पाती है. पशुओं को खाया पिया अच्छे से नहीं लगता है. उनका दूध उत्पादन कम हो जाता है. दस्त करना शुरू कर देते हैं. गोबर पतला होने लगता है. इस तरह की कई समस्याएं पशुओं को होने लग जाती है.

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