नई दिल्ली. अगर आप पोल्ट्री फार्मर हैं तो आपको यह मालूम ही होगा कि ब्रॉयलर मुर्गों को भी हार्ट अटैक आता है. अगर आप इस काम में नए हैं तो हो सकता है कि यह खबर आपको चौंका दे लेकिन यह बात फैक्ट है कि मुर्गों को हार्ट अटैक आता है और इससे उनकी मौत भी हो जाती है. कई बार चिकन मार्केट में रेट के ऊपर नीचे जाने की वजह से भी इस तरह के हालात पैदा हो जाते हैं. पोल्ट्री एक्सपर्ट कहते हैं कि मुर्गों में हार्ट अटैक वजन बढ़ने के चलते होता है. क्योंकि मुर्गों को एक तय समय पर बाजार में बेचना पड़ता है. अगर उसे तय समय तक बाजार में नहीं बेचा जाता है तो उनमें हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है. इसके चलते पोल्ट्री फार्मर्स को बड़ा नुकसान होता है.
बता दें कि हार्ट अटैक की दिक्कत सर्दी गर्मी दोनों में हो सकती है. जब कोरोना खतरे के बीच लॉकडाउन लगा था तो उस दौरान हजारों ब्रॉयलर मुर्गों की मौत हार्ट अटैक की वजह से हुई थी. वहीं जब भी चिकन बाजार की चाल बदलती है तो इस तरह की समस्याएं आती हैं. इसलिए मुर्गों का ज्यादा वजन बढ़ने से पहले ही उन्हें बाजार में बेच देना चाहिए. इससे पोल्ट्री फार्मिंग में नुकसान से बचा जा सकता है.
इस वजह से आता है हार्ट अटैक
पोल्ट्री एक्सपर्ट का कहना है कि जब मुर्गा 3.5 किलो के ऊपर का हो जाता है तो उन्हें चलने फिरने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. इस वजह से मुर्गे एक जगह पर काफी देर तक बैठे रह जाते हैं. अगर उन्हें उसी जगह पर कुछ भी खाने पीने के लिए मिल गया तो वह खा पी लेते हैं, नहीं तो आगे जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाते हैं. जबकि कम वजन वाले मुर्गे फीड के लिए इधर-उधर चले जाते हैं और अपनी खुराक हासिल कर लेते हैं. वहीं ज्यादा वजन वाले मर्गे एक जगह बैठे होने की वजह से भूखे रह जाते हैं. जब इस तरह के हालात से उन्हें काफी दिनों तक गुजरना पड़ता है तो उनकी हार्ट अटैक से या फिर भूख से मौत हो जाती है.
मुर्गों का कब कितना हो जाता है वजन
पोल्ट्री एक्सपर्ट के मुताबिक 15 दिन का ही ब्रॉयलर मुर्गा 500 से 600 ग्राम का हो जाता है. इतना दिन गुजारने के बाद उसकी भूख बढ़ जाती है. इसके बाद मुर्गों को दिन के अलावा रात में भी कुछ ना कुछ खाने के लिए चाहिए होता है और इससे उनका वजन भी बढ़ता है. नतीजे में 30 दिन में ब्रॉयलर मुर्गा 900 ग्राम से 1200 ग्राम तक का हो जाता है. आपको यहां यह भी बता दें कि इस वजन का मुर्गा तंदूरी चिकन के काम में आता है. वहीं 35 दिन का मुर्गा 2 किलो और 40 दिन का मुर्गा ढाई किलो तक का हो जाता है. इस वजन के मुर्गे की बाजार में सबसे ज्यादा डिमांड रहती है.
क्या देसी नस्ल में भी रहता है खतरा
वहीं 2.5 किलो के बाद मुर्गा मोटा और 3 किलो से ऊपर का वजन का मुर्गा सुपर मोटा की कैटेगरी में पहुंच जाता है. इस वजन का मुर्गा सस्ता भी हो जाता है. क्योंकि इसकी डिमांड मार्केट में ज्यादा नहीं रहती. जान लें कि हार्ट अटैक की परेशानी सिर्फ ब्रॉयलर नस्ल के मुर्गे में ही आती है. जबकि देसी मुर्गों में ऐसी कोई समस्या नहीं होती है. जब देसी मुर्गे 5.5 और 6 किलो तक हो जाते हैं.
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