नई दिल्ली. राष्ट्रीय बकरी मेला एवं कृषि औद्योगिकी प्रदर्शनी का आयोजन छह मार्च-2024 को केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान मखदूम, मथुरा में किया गया. यह मेला अनुसूचित जनजाति एवं अनुसूचित जाति विकास कार्य योजना के तहत लगाया गया. संस्थान के निदेशक डॉक्टर मनीष कुमार चेटली ने संस्थान में बकरी पर चल रहे शोध कार्य और प्रसार गतिविधियों के बारे में बताया. बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार यानी तीन मार्च-2024 को 110वें मन की बात में खेती किसानी में बढ़ रही महिलाओं की भूमिका से लेकर वन्य जीवों के संरक्षण की बात कही. खासतौर पर बकरी पालन को लेकर वो एक तरह से किसानों को जागरुक करते नजर आए. उन्होंने कहा कि हम पशुपालन को केवल गाय-भैंस तक ही सीमित रखते हैं, जबकि बकरियां भी एक महत्वपूर्ण पशुधन हैं.
बकरी पालन गांव के लोगों के आजीविका के साथ-साथ उनके जीवन स्तर को ऊपर लाने का एक बड़ा जरिया बना है. जब भी हम पशुधन की बात करते हैं तो केवल गाय-भैंस तक खुद को सीमित रख लेते हैं लेकिन बकरियां भी एक महत्वपूर्ण पशुधन हैं. देश के अलग-अलग इलाकों में कई लोग बकरी पालन कर रहे हैं. बकरी पालन ग्रामीण लोगों की आजीविका का जरिया भी बन गया है. इसे कम लागत में शुरू करके अच्छी कमाई कर सकते हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए सीआईआरजी में बकरी मेले का आयोजन किया गया, जिसमें बकरी पालन की बारीकियों से किसानों को रूबरू कराया गया.
बकरी पालन के विभिन्न पहलुओं पर डाला प्रकाश
विशिष्ट अतिथि डॉ. ज्ञानेंद्र कुमार गौड़, सह-महानिदेशक पशु विज्ञान, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली ने मेले का अर्थ मेल मिलाप बताया. उन्होंने कहा कि मेलों में सभी प्रकार की तकनीकियों का मिलन जाता है. उनका अवलोकन किया जा सकता है. इस मेले के मुख्य अतिथि डॉक्टर विनोद वर्मा , कुलपति लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय,हिसार हरियाणा ने बकरी पालन को किसानों के लिए लाभदायक एवं अधिक आय का साधन बताया.बकरी पालन के विभिन्न पहलुओं एवं बकरी दुग्ध के महत्व पर प्रकाश डाला. उन्होंने मेले में बड़ी संख्या में सहभागिता कर रही महिला बकरी पालकों को धन्यवाद दिया. साथ ही इस बात पर जोर दिया कि इस तरह के मेलों के आयोजनों की संख्या बढ़ाई जाए. इस मेले में सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थानों द्वारा विकसित पशु एवं फसल आधारित विभिन्न तकनीकियों का प्रदर्शन किया गया.
दो हजार बकरी पालकों ने सीखी बकरी पालन की बारीकियां
इस अवसर पर संस्थान ने कुछ गैर सरकारी संस्थानों से तकनीकी समझौतों (MoU) पर भी हस्ताक्षर किए. मेले में करीब 12 राज्यों से करीब 2000 किसानों ने सहभागिता की, जिसमें अनुसूचित जाति एवं जनजाति सामाजिक वर्ग की महिलाएं शामिल है. इस अवसर पर परियोजना के लाभार्थियों को सामग्री वितरण किया गया. करीब आठ राज्यों से आए प्रगतिशील बकरी पालन को मुख्य अतिथि द्वारा सम्मानित किया गया. मेले में किसानों द्वारा लाए गए उन्नत नस्ल की बकरियां एवं बकरों को विभिन्न वर्गों की प्रतियोगिता का आयोजन किया गया एवं उन्हें पुरस्कृत भी किया गया. कार्यक्रम का संचालन आयोजन सचिव डॉक्टर अनुपम कृष्ण दीक्षित एवं डॉक्टर गोपाल दास ने किया.
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