नई दिल्ली. उत्तर प्रदेश के आगरा में स्थित युवान एग्रो फार्म में हजारों बकरे-बकरियां पाली जा रही हैं. यह देश का नंबर वन बकरी फार्म है, जहां पर बड़े ही हाइजीनिक तरीके से बकरियों का पालन किया जाता है. जिसके चलते इन मवेशियों से उत्पादन भी अच्छा मिलता है. युवान एग्रो फार्म की मैनेजर गुलाम मोहम्मद का कहना है कि फार्म के अंदर इस वक्त 4 हजार की संख्या में बकरे पाल जा रहे हैं, जबकि 1 हजार बकरियां भी यहां पर पली हुईं हैं. जिनको अच्छी क्वालिटी का दाना चारा खिलाया जाता है. ताकि उनसे बेहतर उत्पादन लिया जा सके.
इस सवाल पर कि उनके लिए दाना चारा का इंतजाम कैसे किया जाता है, उन्होंने इसके जवाब में कहा कि भूसा राजस्थान से मंगवाया जाता है. बकरे—बकरियों को दाने के तौर पर मक्का खिलाया जाता है. इसके अलावा जौ, बाजरा भी उन्हें दिया जाता है. इसके अलावा चना भी उनकी डाइट में शामिल किया जाता है. एनर्जी के लिए गुड़ भी दिया जाता है. पोषक तत्वों की कमी न हो, इसके लिए मिनरल मिक्सचर भी खिलाया जाता है.
दवा को बराबर से मिक्स कर देती है मशीन
उन्होंने बताया कि दाना मिक्स करने के लिए यहां मशीन भी लगाई गई है. तकरीबन 5 क्विंटल दाना बहुत जल्दी ये मशीन पीसकर दे देती है. इससे बकरे—बकरियों को दाना देने में आसानी होती है. जबकि इसका फायदा यह है कि अगर इसके अंदर अगर 5 ग्राम भी कोई दवा मिला दी जाए तो ये मशीन पूरे दाने में दवा को बराबर से मिक्स कर देती है. इससे बकरियों को सही वक्त पर दवा मिल जाती है. इससे उनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बेहतर रहती है.
8 महीने का सूखा चारा रहता है स्टोर
दिन भर में यहां बकरियों और बकरों को दो टाइम चारा दिया जाता है. सुबह के वक्त और दोपहर में. जबकि शाम के वक्त बकरियों को दाना खिलाया जाता है. चारे के तौर पर बकरी बकरियों को भूसा खिलाया जाता है. दाना हमेशा ही भिगोकर खिलाया जाता है. इससे बकरियों को फायदा होता है. फार्म से ही थोड़ी दूरी पर एक जगह पर भूसा स्टोर किया जाता है. तकरीबन 7 से 8 महीने तक का भूसा वहां पर स्टोर रखा जाता है ताकि कोई कमी न पड़े.
आगे का क्या है प्लान
मौसम के हिसाब से बकरी बकरियों को दिए जाने वाले दाने में थोड़ा बदलाव जरूर करना पड़ता है. उन्होंने बताया कि इस फार्म का टारगेट है कि आसपास के 400 से 500 किसानों को जोड़ा जाए. ताकि उनकी सोर्स आफ इनकम बढ़ जाए. आने वाले समय में युवान एग्रो फार्म में लैब बनाने की भी तैयारी चल रही है और यहां पर बकरी बकरियों को कैसे ठीक ढंग से पाला जाए उसकी ट्रेनिंग भी देने के लिए इंस्टिट्यूट खोल जाना है.












