नई दिल्ली. आमतौर पर पहाड़ी और ठंडे इलाकों में राजस्थान, यूपी और हरियाणा के मैदानी इलाकों में बकरा बकरी खूब पाले जाते हैं. देखा जाए तो बकरे और बकरी से जुड़ा दूध और मीट का कारोबार बहुत बड़े पैमाने पर होता है. जबकि उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में अफ्रीकन बरबरी बकरी या बकरा काफी ज्यादा पसंद किया जाता है. यह कहना गलत नहीं होगा कि इस नस्ल के बकरी-बकरे यूपी की पहचान बन चुके हैं. जिनका औसतन वजन 20 से 25 किलो तक होता है. जबकि मीट कारोबारी को और मीट खाने के शौकीनों के लिए वजन कोई मायने नहीं रखता. वहीं इसके उलट वह कम वजन वाले बकरों को तरजीह देते हैं. हालांकि देश में सिर्फ 20-25 किलो की ही बकरी बकरियां नहीं होती. बल्कि कई ऐसे नस्ले भी हैं जिनका वजन 55 से 60 किलो तक होता है लिए उनके बारे में आपको बताते हैं.
बकरी-बकरे ऊंचे और लंबे चौड़े होते हैं
राजस्थान अलवर है वहां एक गांव है जखराना. इसी गांव के नाम से इस नस्ल की बकरी बकरों का नाम जखराना रखा गया है. आमतौर पर बकरी पालन करने वाले पलक इसका इस्तेमाल दूध और मीट के लिए करते हैं. इस नस्ल की बकरी-बकरे ऊंचे और लंबे चौड़े नजर आते हैं. जिनका वजन 55 से 60 किलो तक भी होता है. जबकि बकरी का वजन 45 किलो के आसपास होता है. इन नस्ल के बकरी बकरों की पहचान उनकी लंबाई चौड़ाई से तो होती ही है. साथ ही इनका रंग काला होता है और मुंह सफेद कान पर सफेद रंग का धब्बा भी होता है. एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में करीब 9 लाख से ज्यादा इनकी संख्या है.
लंबाई होती है इस नस्ल के बकरा-बकरी की पहचान
जबकि बीटल नस्ल के बकरा-बकरी पंजाब के गुरदासपुर, फिरोजपुर और अमृतसर में पाए जाते हैं. इनकी पहचान उनकी लंबाई होती है. बीटल नस्ल के बकरे 57 से 60 किलो के होते हैं. जबकि इनकी बकरियां 45 किलो तक की होती है. बीटल बकरियों की खास बात यह भी है कि या अपने दुग्ध कल में 150 से 200 लीटर दूध देती है. जबकि बीटल बकरियों को दूध देने के मामले में टक्कर गोहिलावाड़ी बकरियां देती हैं. गुजरात के राजकोट, जूनागढ़, पोरबंदर, अमरेली और भावनगर में खास तौर पर गोहिलावाड़ी नस्ल के बकरी बकरे पाए जाते हैं और यह बकरे-बकरी बीटल के मुकाबला 200 से 240 लीटर के आसपास दूध देते हैं लेकिन इनकी संख्या कम है और देश में एक लाख के ही आसपास ही है. इसलिए यह नस्ल की बकरियां बड़ी मुश्किल से मिलती हैं. बकरे का वजन 50 से 55 किलो जबकि बकरी का वजन 40 से 45 किलो तक होता है. इसका रंग काला और सींग मुड़े मुड़े हुए मोटे होते हैं.
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