नई दिल्ली. राजस्थान में चारे की कमी के मद्देनजर चारा उत्पादन और साइलेज को बढ़ावा देने के लिए गठित टास्क फोर्स की दूसरी बैठक शासन सचिव पशुपालन, मत्स्य एवं गोपालन डॉ. समित शर्मा की अध्यक्षता में हुई. इस अहम बैठक में हरा, सूखा चारा उत्पादन और स्टोरेज, चारा बीज मिनी किट वितरण, चारा उत्पादन एवं प्रदर्शनी इकाई तथा पशुपालकों को चारा उत्पादन के नई तकनीक का प्रशिक्षण, गौशाला में स्थित खाली भूमि पर चारा उत्पादन आदि विषयों पर विस्तार से विचार विमर्श किया गया. गौरतलब है कि राजस्थान में पशुओं के लिए चारे की कमी है, जिसे पूरा करने के लिए सरकार लगातार कोशिश कर रही है.
बैठक में शासन सचिव डॉ. समित शर्मा ने कहा कि पिछले वर्षों में चारा उत्पादन का क्षेत्र नहीं बढ़ा है और चारे का उत्पादन भी नहीं बढ़ा है. इसका असर हमारे दुधारू पशुओं की सेहत पर तो पड़ता ही है. इससे दूध का उत्पादन भी कम होता है और दूध की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है. उन्होंने कहा कि गोचर भूमि भी समाप्त हो रही है. हमारे विभाग के पास कई फार्मस हैं वे भी अनुपयोगी पड़े हैं.
चारा उत्पादन क्षेत्र विकसित करने की जरूरत
डॉ शर्मा ने कहा कि हमारे पास जो भी संसाधन और क्षेत्र हैं उन सबका उपयोग करते हुए हमें चारा उत्पादन पर अधिक से अधिक ध्यान देना है. दूध का उत्पादन बढ़ाने के लिए चारा उत्पादन बहुत जरूरी है. उन्होंने बताया कि कई स्थानों पर हमारी भूमि का अतिक्रमण हो रहा है हमें उन स्थानों को अतिक्रमण से मुक्त कराना है और जो हमारे पास हैं उन्हें चारा उत्पादन क्षेत्र के रूप में विकसित करना है. उन्होंने सभी विभागों से आग्रह किया कि इस क्षेत्र में वे जो भी कार्य कर रहे हैं उन्हें आपस में शेयर करें. बताया कि हमें हमारे फार्मस को चारा उत्पादन क्षेत्र के रूप में विकसित करते हुए उन्हें उपयोगी बनाना है.
नहीं खरीदना पड़ेगा बाहर से चारा
डॉ शर्मा ने कहा कि खाली पड़ी जमीन पर भी गायों के लिए चारे का उत्पादन करना चाहिए जिससे गायों के लिए चारे की आपूर्ति स्थानीय स्तर से ही हो जाए. इससे चारा बाहर से खरीदना नहीं पड़ेगा और जमीन का भी उपयोग होगा. उन्होंने चारा उत्पादन बढ़ाने के लिए अंतरफसली प्रणाली अपनाने पर भी जोेर दिया. शासन सचिव ने सभी विभागों से सफलता की कहानियां तैयार कर किसानों और पशुपालकों तक पहुंचाने की बात कही जिससे उन्हें प्रेरणा मिले और वे भी इसके लिए प्रयास करें. उन्होंने अगली बैठक में सिंचाई विभाग और वाटरशेड डेवलपमेंट बोर्ड को भी इस टास्क फोर्स में शामिल करने पर सहमति जताई.
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