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Poultry Farm: फार्म में पहले दिन कितना होना चाहिए ब्रॉयलर चिक्स का वजन, इस दिन क्या करना है पढ़ें यहां

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प्रतीकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली. मुर्गी पालन की शुरुआत पोल्ट्री फार्मर चूजों से करते हैं. जब फार्म के अंदर चूजों को लाया जाता है तो उससे पहले फार्म में कुछ तैयारी करना पड़ता है. नहीं तो इसे चूजों को दिक्कत हो सकती है और उनमें मृत्युदर भी दिखाई दे सकती है. पोल्ट्री एक्सपर्ट का कहना है कि फायदेमंद पोल्ट्री फार्मिंग के लिए पहले दिन से ही चूजों का अच्छी तरह से ख्याल करना चाहिए. ताकि आगे चलकर ज्यादा फायदा मिले. अगर उनकी देखरेख में लापरवाही की गई तो इससे उनकी ग्रोथ रुक जाती है. खासतौर पर ब्रॉयलर चिक्स पर ज्यादा फोकस करने की जरूरत होती है. क्योंकि इनका वजन ही आगे चलकर पोल्ट्री फार्मर्स को फायदा पहुंचाता है.

ब्रॉयलर मुर्गों को मीट के लिए पाला जाता है. जबकि लेयर मुर्गियों को अंडा उत्पादन करने के लिए पाला जाता है. दोनों ही कंडीशन में पहले दिन से ही चूजों का ख्याल रखने की जरूरत होती है. तभी आगे चलकर बेहतर उत्पादन मिलता है.

फार्म का रहना चाहिए इतना टेंप्रेचर
जब आप ब्रॉयलर चूजों को पोल्ट्री फार्म में लाते हैं तो उससे पहले आपको पोल्ट्री फार्म का टेंपरेचर मेंटेन करने की जरूरत पड़ती है. अगर चूजों को उनके मुताबिक टेंपरेचर नहीं मिला तो इससे उन्हें दिक्कत हो सकती है. पोल्ट्री एक्सपर्ट कहते हैं कि फार्म में चूजे लाने से ठीक पहले 34 डिग्री सेल्सियस टेंपरेचर को मेंटेन रखना चाहिए. इसके बाद हर हफ्ते 2 डिग्री टेंपरेचर कम किया जा सकता है. वहीं अगर ठंड है तो कभी भी चूजों को रात में या बिल्कुल सुबह में नहीं लाना चाहिए. कोशिश करें कि इनका सफर पोल्ट्री फार्म तक दिन में 9 बजे के बाद और शाम में 5 के पहले पहले कंप्लीट हो जाए.

पहले दिन ये काम भी जरूर कर लें पोल्ट्री फार्मर्स
हमेशा ही पोल्ट्री फार्मर को इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि जब ब्रॉयलर चिक्स अपने फार्म में लाएं तो उनका वजन 35 से 40 ग्राम होना चाहिए. इसका मतलब यह है कि इन चिक्स की क्वालिटी अच्छी है. अगर इससे कम वजन होता है तो ब्रॉयलर चिक्स अंडरवेट कहे जाते हैं. इससे उन्हें दिक्कतें हो सकती हैं और उनमें मृत्युदर भी दिखाई दे सकती है. पहले दिन ब्रॉयलर चिक्स को मूवमेंट करवाना होता है. नहीं तो वह एक ही जगह पर इकट्ठा हो जाते हैं. इसलिए मूवमेंट कराई जाती है कि ताकि चूजों को फीडर और ड्रिंकर से फीड और पानी पीने की आदत पड़ जाए. वहीं पहले दिन गुड़ का शरबत पानी के तौर पर पिलाना चाहिए.

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