नई दिल्ली. पशुपालकों की कोशिश होती है कि वो पशुओं से ज्यादा से ज्यादा दूध हासिल करें और वो भी क्वालिटी के साथ. ताकि दूध का उन्हें अच्छा दाम मिले ताकि पशुपालन करने का उनका मकसद पूरा हो सके. पशुपालन करने वाले किसानों को ज्यादा दिक्कत गर्मी के सीजन में होती है. इस दौरान पौष्टिक हरे चारे की कमी हो जाती है. इसके चलते पशु दूध कम कर देते हैं. जबकि कई भी वजहें हैं जिनकी वजह से दूध की कमी हो जाती है. हालांकि अगर हरे चारे की कमी होती है तो इसको साइलेज और हे के जरिए पूरी किया जा सकता है.
दिक्कत ये भी है कि हर पशुपालक पशुओं को साइलेज नहीं खिला पाता है. क्योंकि ये महंगा भी पड़ता है. वहीं अगर पशुपालक चाहें तो हरे चारे के रूप में पशुओं को हे खिला सकते हैं. अगर आप पशुपालक हैं और आपको हे के बारे में नहीं जानते तो यहां आपको पूरी डिटेल बताई जाएगी. ताकि आपको पता चल सके कि हे क्या होती है.
सुखाये हुए हरे चारे को कहते हैं हे
दरअसल, सुखाये हुए हरे चारे को ‘हे’ कहते हैं. हे वैज्ञानिक विधि द्वारा इस प्रकार तैयार की जाती है जिससे चारे का हरापन बना रहे एवं तैयार किये जाने के बाद इसके पोषक तत्वों में बिना किसी खास नुकसान के संरक्षित में रखे जा सके. हरे चारे में नमी की मात्रा लगभग 80 प्रतिशत होती है. उत्तर भारत में ‘हे’ तैयार करने का समय साधारणतः मार्च-अप्रैल होता है. मार्च-अप्रैल में आसमान में धूप अच्छी होती है, आसमान साफ होता है तथा वायुमण्डल में आर्द्रता भी कम होती है. जिससे चारा जल्दी से सूख जाता है और ‘हे’ तैयार हो जाती है. ‘हे’ बनाने की क्रिया में हरे चारे को अच्छी प्रकार से और समान रूप से सुखाना बहुत आवश्यक होता है. भारत में साधारणतः धूप एवं हवा में सुखाकर ही ‘हे’ तैयार की जाती है। आमतौर पर जमीन पर फैलाकर सुखाने की विधि से ही हे तैयार की जाती है.
जमीन पर हरे चारे को सुखाने की विधि
इस विधि में चारे को काटने के बाद जमीन पर 25-30 सें.मी. मोटी परतों या छोटे-छोटे ढेरों में फैलाकर धूप में सुखाया जाता है. यदि धूप अधिक तेज न हो तो हरे चारे को अधिक पतली परतों में फैलाया जाता है. जब चारे की अधिकांश उपरी पत्तियां सूख जाती हैं एवं थोड़ा कुरकुरापन आ जाता है तो चारे को छोटे-छोटे ढेरों में इकट्ठा कर लिया जाता है. मार्च-अप्रैल के महीने में चारे को इतना सूखने में प्रायः 3-4 घंटे का समय लगता है. धूप के तेज होने पर और भी कम समय मे चारा सूख जाता है. बनाये गये ढेरों की पत्तियां जब सूख जायें परन्तु मुड़ने पर एक दम न टूटने लगे इससे पहले ही ढेरों को पलट देना चाहिए.
हे को कहां रखना चाहिए
चारे के ढेरों को ढीला रखा जाता है जिससे उसमें हवा आती जाती रहे. चारे को पलटने का कार्य दूसरे दिन सुबह ही करना चाहिए क्योंकि सुबह के समय पत्तियों में कुरकुरापन कम होता है और मुलायम पत्तियों / दलहनीय चारों की पत्तियां झड़कर खत्म नहीं होती हैं. दूसरे दिन शाम को इन छोटी-छोटी ढेरियों को 10-15 के ढीले ढेरों में इकटठा कर लेना चाहिए. फिर इन सूखे ढेरों को अगले दिन तक पड़े रहने देना चाहिए. जिससे कि रखने से से पूर्व चारा कायदे से सूख जाये. तैयार की हुई ‘हे’ को बाड़े, छप्पर या अन्य किसी सुरक्षित स्थान में भण्डारित कर लेना चाहिए.
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