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देश में 50 साल में कैसे बढ़ गया 10 गुना दूध उत्पादन, विदेशी भी इंडियन दूध के दीवाने, जानें इसकी वजह

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प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. भारत की अर्थव्यवस्था में पशुधन कृषि का एक अहम हिस्सा माना जाता है. अच्छी बात ये है कि गुजरे नौ साल में इसमें तेजी के साथ वृद्धि भी हुई है. सरकारी आंकड़ों की मानें तो कुल सकल मूल्य वर्द्धन (GVA) में पशुधन का योगदान लगभग 30 फीसदी तक पहुंच गया है. चाहे दूध हो या फिर अंडा, मीट और चिकन सभी में तेजी के साथ बढ़ोतरी हुई है, जिसे अच्छा माना जा रहा है. दुनियाभर में दूध के मामले में भारत ने अन्य देशों के मुकाबले पांच गुना ज्यादा रफ्तार से बढ़त हासिल की है. वहीं पोल्ट्री सेक्टर में भी देश ने अच्छीखासी ग्रोथ हासिल की है.

बीते 50 साल में दूध उत्पादन 10 गुना तक बढ़ाबात दूध उत्पादन की बीते 50 साल में दूध उत्पादन 10 गुना तक बढ़ा है तो उसके पीछे इंजीनियर्स की डेयरी टेक्नोलॉजी भी कारगर साबित हुई है. यही वजह है कि जिस डेयरी सेक्टर में दूध उत्पादन ऑर्गनाइज्ड नहीं है वहां सप्लाई वेल ऑर्गनाइज्ड है. यही वजह है कि आज कई दूसरे देश भारत की डेयरी प्रोडक्ट सप्लाई चेन के कायल हैं. अमूल के पूर्व एमडी आरएस सोढी ने इंजीनियर्स के लिए बाजार में मौजूद चुनौतियों पर भी काम करने की बात कही. उन्होंने कहा कि आज डेयरी इंजीनियर्स के सामने सबसे बड़ी चुनौती ये है कि वो ग्राहकों को स्वाादिष्ट, हेल्दी और कम दाम में फूड प्रोडक्ट उपलब्ध करा सकें. खासतौर पर छोटे शहरों की डिमांड को देखते हुए छोटी पैकिंग में फूड आइटम लाए जाएं.

किसान को मिल रहे दूध के अच्छे दाम

आरएस सोढी ने बताया कि डेयरी इंजीनियर्स की मेहनत का ही नतीजा है कि किसान को घर बैठे दूध के अच्छा दाम मिल रहे हैं. वहीं डेयरी इंजीनियर्स ने किसान के स्तर पर सस्ती टेस्टिंग टेक्नोलॉजी भी मुहैया कराई है. उन्होंने कहा कि सभी जानते हैं कि क्वा‍लिटी पर ही दूध का रेट मिलता है. जब दुनियाभर में डेयरी इंजीनियर्स गाय के दूध पर वर्क कर रहे थे तो यहां डेयरी इंजीनियर्स ने भैंस के दूध पर काम किया. उन्होंने चीज, दूध पाउडर समेत तमाम प्रोडक्ट पर काम किया.

विश्व के कुल दूध उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी 23 फीसद

यही वजह है कि जब ग्राहक मिल्क प्रोडक्ट पर एक रुपया खर्च करता है तो इसका फायदा किसानों को मिलता है. किसानों को सीधे 70 से 80 पैसे मिलते हैं. जबकि अन्य देशों में ये अनुपात 36 से 37 पैसे का ही है. आरएस सोढी ने आगे बताया कि डेयरी सेक्टर की ताकत उसकी मजबूत सप्लाई चेन ही है. बेशक दूध उत्पादन अनर्गनाइज्ड है, लेकिन वैल्यू चेन, पैकिंग, प्रोसेसिंग तकनीक सब इतनी ऑर्गनाइज्ड है कि ग्राहक को ताजा डेयरी प्रोडक्ट मिल रहा है. यही वजह है कि देश ही नहीं विदेशों में भी बड़ी मात्रा में डेयरी प्रोडक्ट एक्सपोर्ट किया जा रहा है. आज विश्व के कुल दूध उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी 23 फीसद है.

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