नई दिल्ली. भारत में पोल्ट्री मांस की प्रति व्यक्ति उपलब्धता 2.96 किलोग्राम है लेकिन आईसीएमआर ने प्रति वर्ष 11 किलो मांस की सिफारिश करता है. यानि से बहुत ही कम है. एक्सपर्ट कहते हैं जागरुकता में कमी भी इसका बड़ा कारण है. जबकि दूसरी ओर चिकन मांस को इंसान के आहार में अच्छी गुणवत्ता वाले प्रोटीन, खनिज और विटामिन के रूप में माना जाता है. एक्सपर्ट कहते हैं कि ब्रॉयलर किसी भी सेक्स के चिकन का एक बेहतरीन क्वालिटी वाला मांस होता है.
वहीं अगर इसे कारोबार के लिहाज से देखा जाए तो जो केवल 6 सप्ताह के समय में 38-40 ग्राम वजन से लेकर 1 किलोग्राम 700 ग्राम से अधिक वजन तक बढ़ता है. यही वह है कि ब्रायलर खेती से किसान की आर्थिक स्थिति बेहतर हो सकती है और किसानों को सहायक आय और लाभकारी रोजगार भी मिल सकता है.
चिकन सेवन के क्या है फायदे
एक्सपर्ट कहते हैं कि इम्यूनिटी मजबूत करने के लिए रोस्टेड चिकन बेहतरीन आप्शन है. इसके खाने से इम्यूनिटी बढ़ाने में मदद मिलती है और मौसमी बीमारियों से भी शरीर की रक्षा होती है. वहीं ये हार्ट के लिए फायदेमंद है. अगर कोई शख्स इसका सेवन करता है तो हार्ट अटैक के खतरे से बचा रह सकता है. वहीं चिकन वजन घटाने में मददगार साबित होता है. इसके अलावा पाचन तंत्र के लिए भी चिकन फायदेमंद है. दांतो को मजबूत बनाए रखने में भी चिकन का रोल अहम है.
6 मिलियन मीट्रिक टन होता है उत्पादन
बात करें भारत में ब्रायलर मांस के उत्पादन की तो भारत दुनिया में पांचवां सबसे बड़ा ब्रायलर मांस उत्पादन करने वाला देश है. देश में सालाना उत्पादन है 6 मिलियन मीट्रिक टन किया जाता है. भारत में पोल्ट्री मांस की प्रति व्यक्ति उपलब्धता 2.96 किलोग्राम है लेकिन आईसीएमआर ने प्रति वर्ष 11 किलो मांस की सिफारिश की. ऐसे में कहा जा सकता है कि जैसे-जैसे जागरुकता बढ़ेगी चिकन मीट की मांग और ज्यादा बढ़ेगी और इससे इस व्यापार से जुड़े लोगों को भी खूब फायदा होगा. एक्स्पर्ट के मुताबिक अन्य कारोबार की तुलना में ज्यादा प्रारंभिक निवेश करने की आवश्यकता नहीं होती है. बहुत ही कम समय में अच्छी खासी आय कमाई जा सकती है.
कम आहार की होती है जरूरत
अन्य पशुओं की तुलना में एक पक्षी शरीर के वजन बढ़ाने के लिए आवश्यक आहार की मात्रा कम होती है. जबकि समाज में पोल्ट्री मांस की उच्च मांग है. इसको देखते हुए व्यावसायिक ब्रायलर खेती की संभावनाएं बहुत ज्यादा हैं और ये बहुत फायदा पहुंचाने वाला कारोबार है. बताते चललें कि भारत सरकार या राज्य सरकार द्वारा मुर्गीपालन क्षेत्र में सक्षम नीतिगत माहौल के साथ कॉर्पोरेट क्षेत्र के कदमों के द्वारा ग्रामीण गरीब समाज के लिए पिछड़े या छोटे पैमाने पर ब्रायलर फार्मिंग इकाइयों के लिए रोजगार के बड़े अवसर उपलब्ध हो रहे हैं.
भारत में कारोबार की है अच्छी संभावना
भारत में कई राज्य सरकारें और पोल्ट्री निगम बुनियादी सुविधाओं को आकर्षक बना रहे हैं जिससे नए उद्यमी इस व्यवसाय को अपनाने के लिए आकर्षित हों. ब्रायलर खेती को राष्ट्रीय नीति में काफी महत्व दिया गया है और आने वाले वर्षों में इसके विकास की अच्छी संभावना है. इसलिए एक्सपर्ट का मानना है कि इस कारोबाार से जुड़कर लोग अच्छी इनकम हासिल कर कसते हैं. वाणिज्यिक ब्रायलर स्टेन ब्रूडिंग समूह की बात की जाए तो इसमें कॉब-वेंट्रेस (कोब के साथ, एवियन, सासो और ह्यब्रो ब्रांड), एवीजेन (रॉस, आर्बर एकड़, लोहमान, भारतीय नदी और पीटरसन ब्रांड), ग्रुपग्रिमांड (हबर्ड और ग्रिमंड, फेरे बैंड के साथ) कॉब और कॉब-वैट्रेस शामिल है.
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