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Fisheries: मछली पालन के लिए तालाब में कितना होना चाहिए पानी, ये भी जानें, कौन सी मिट्टी होती है अच्छी

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प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. जिस तरह से खेती किसानी के लिए जमीन की जरूरत होती है. ठीक उसी तरह से मछली उत्पादन के लिए तालाब चाहिए होता है. जमीन से कृषि की अच्छी फसल के लिए जमीन को फसलों के अनुरूप बनाया जाता है. वहीं काम मछली पालन में तालाब को लेकर किया जाता है. ताकि तालाब में ज्यादा से ज्यादा मछली का उत्पादन हो सके और मछली पालक को इससे ज्यादा से ज्यादा फायदा मिल सके. एक्सपर्ट की मानें तो मछली पालन के लिए उपयुक्त तालाब का चयन या फिर निर्माण जब तक नहीं होगा, अच्छा प्रोडक्शन भी नहीं होगा. इसलिए जरूरी है कि इसका चयन भी किया जाए. खासतौर तालाब में पानी कितना होना चाहिए, इसपर जरूर ध्यान देना चाहिए.

गौतरलब है कि गांवों में तमाम आकार के तालाब व पोखर मौजूद होते हैं. जो कि व्यक्तिगत भी होते हैं. जबकि कई संस्था के भी होते हैं और ग्राम पंचायत भी प्रॉपर्टी होते हैं. इस तरह के रिजर्वायर का इस्तेमाल मिट्टी निकालने, सिंघाड़े की खेती करने, पशुओं को पानी पिलाने या खेती योग्य भूमि की सिंचाई आदि के लिये किया जाता है. जबकि इसका इस्तेमाल मछली पालन के लिए भी किया जा सकता है.

8-9 माह भरा रहना चाहिए पानी
एक्सपर्ट कहते हैं कि मछली पालन के लिये 0.2 से 5.0 हेक्टर तक के ऐसे तालाबों का चयन करना चाहिए, जिनमें सालभर 8-9 माह पानी भरा रहता हो. तालाबों को भरा रखने के लिये जल आपूर्ति का साधन होना चाहिए. नहीं तो तालाब सूख जाता है. एक्सपर्ट का कहना है कि तालाब में सालभर एक से दो मीटर पानी जरूर होना चाहिए. अगर बारिश न हो तो तालाब में नलकूप से पानी भरा जा सकता है. तालाब का सुधार कार्य अप्रैल व मई तक कर लेना चाहिए, जिससे मछली पालन करने के लिये समय मिल सके. उपयुक्त जगह का चयन नये तालाब के निर्माण के लिये उपयुक्त जगह का चयन जरूरी है. तालाब निर्माण के लिये मिट्टी में पानी रोकने की क्षमता व उसकी उर्वरता पर अवश्य ध्यान देना चाहिए.

मिट्टी की जांच भी है जरूरी
एक्सपर्ट के मुताबिक चिकनी मिट्टी वाली भूमि में तालाब का निर्माण हमेशा परफेक्ट माना जाता है. इस पानी में पानी को रोकने की क्षमता ज्यादा होती है. जिसकी वजह से जल्दी पानी सूखता भी नहीं है. जिस पानी की अम्लीय या क्षारीयता अधिक हो, उस पर भी तालाब बनाया जाए तो बेहतर होता है. तालाब बनाते समय ये देख लें क​ि मिट्टी का पी-एच 6.5-8.0, आर्गेनिक कार्बन 1 प्रतिशत तथा मृदा में रेत 40 प्रतिशत, सिल्ट 30 प्रतिशत व क्ले 30 प्रतिशत हो तो बेहतर रहता है. तालाब निर्माण के पहले मिट्टी की जांच, मछली विभाग की प्रयोगशाला या अन्य मिट्टी प्रयोगशाला से अवश्य करवा लेना चाहिए. नये तालाब का निर्माण एक महत्वपूर्ण कार्य है. इस संबंध में मत्स्य या पशुपालन विभाग के अधिकारियों का परामर्श जरूर लेना चाहिए.

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