नई दिल्ली. राजस्थान जैसे राज्य में पशुधन के लिए पौष्टिक आहार की व्यवस्था करना मुश्किल है. हालांकि इसकी जरूरत से भी इनकार नहीं किया जा सकता है. दरअसल, राज्य का लगभग 55 प्रतिशत क्षेत्र मरूस्थलीय हैं, साथ ही काफी बड़े इलाके में पहाड़ भी हैं. जबकि इन क्षेत्रों में लोगों की आजीविका हरे चारे कृषि और पशुपालन पर ही निर्भर करती है. मरूस्थलीय क्षेत्र में सिंचाई के साधन सीमित होने से लगभग 95 प्रतिशत भाग में एक फसलीय कृषि होती है, वो भी पूरी तरह से बारिश के पानी पर निर्भर करती है. ऐसे में यहां पशुओं के लिए हरे चारे की समस्या बड़ी है.
एनिमल एक्सपर्ट कहते हैं कि इसलिए पशुपालकों को पशुओं की आहार व्यवस्था पर ज्यादा ध्यान देना पड़ता है. ताकि मुश्किल के समय में पशुपालन व्यवसाय से फायदा हासिल किया जा सके. सूखे हरे चारे की कमी के कारण पशुओं की निर्भरता रेशेदार सूखे चारे पर ज्यादा बढ़ जाती है. सूखे चारे में पोषक तत्व बेहद कम पाये जाते हैं, जिनसे पशुओं को परेशानी होती है. साथ-साथ पशु की उत्पादन व कार्यक्षमता में भी कमी आ जाती है.
इस तरह से तैयार करें पौष्टिक चारा
एक्सपर्ट पशुओं को पौष्टिक चारा उपलब्ध कराने और सूखे चारे की पौष्टिकता बढ़ाने में यूरिया की अहम भूमिका बताते हैं. एक्सपर्ट का कहना है कि यूरिया-घोल, यूरिया शीरा खनिज तरल मिक्सचर और यूरिया शीरा खनिज ब्लॉक सूखे के दौरान महत्वपूर्ण हैं. सूखे चारे को यूरिया घोल से उपचारित करना इनमें से सबसे सस्ती, सरल और कारगर विधि है. ऐसी स्थिति में हमारे पास जो उपलब्ध भूसा, खाखला, कड़बी, पुवाल या हरी पत्तियों आदि हों, उसको पौष्टिक बनाकर इस्तेमाल किया जा सकता है. ऐसा करने से चारे की जरूरतों में कमी आयेगी और पशु आहार की पौष्टिकता के साथ-साथ पशुओं की कार्यक्षमता व उत्पादन क्षमता भी बनी रहेगी.
इन बातों का भी ध्यान दें
पशुओं को पर्याप्त मात्रा में पानी पिलाएं.
यूरिया शीरा खनिज ब्लॉक को पानी में घोलकर पशुओं को कभी न दें.
चारा उपचारित करने के लिए लायी गई यूरिया या यूरिया घोल को पशुओं की पहुंच से दूर रखें.
आमतौर पर यूरिया की अधिक मात्रा के सेवन से पशुओं में यूरिया विषाक्ता (जहरीलापन) हो जाती है.
पशुओं में यूरिया जहरीलापन के लक्षण
पशु तेज-तेज श्वांस लेता है तथा अत्यधिक मात्रा में लार गिरती है.
पेट में तेज दर्द के साथ-साथ कई बार तेज दस्त भी हो जाते हैं.
पशु का शरीर मांसपेशियों में ऐठन होने के कारण वाइब्रेशन करता है और पशु लड़खड़ाने लग जाता है.
उपचार का क्या है तरीका
यूरिया विषाक्ता की स्थिति में तुरंत ही पशु चिकित्सक से परामर्श लेकर पशु का उपचार करवाना चाहिए. पशु को 5 प्रतिशत सिरका का घोल पशु के शारीरिक भार के अनुसार एक से पांच लीटर तक पिलाया जाना फायदेमंद होता है. साथ ही कैल्शियम भी यूरिया विषाक्ता में पशु के लिए फायदेमंद है.
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