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Animal Husbandry: लू (हीट वेव) के दौरान कैसे रखें पशुओं के पानी का ध्यान, अपनाएं ये तरीका

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प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली. इनवायरमेंट के तापमान में बढ़ोतरी के साथ ही पशुओं के शरीर में पानी की जरूरत भी बढ़ती है. पारा बढ़ने का सीधा असर दुधारू पशुओं की सेहत पर पड़ता है. ज्यादा गर्मी की वजह से पशुओं में निर्जलीकरण (डिहाईड्रेशन) की समस्या पैदा हो जाती है और इस वजह से पशुओं का खाना-पीना भी कम हो जाता है तथा पशुओं का दूध लगातार कम हो जाता है. पानी की आवश्यकता को प्रभावित करने वाले कारक पशुओं को एक किलोग्राम चारे के साथ 3-4 कि.ग्रा पानी की आवश्यकता होती है, लेकिन आहार में प्रोटीन तथा खनिज लवणों की मात्रा ज्यादा हो तो पानी की आवश्यकता बढ़ जाती है. क्योंकि पेशाब के रूप में पानी का बहाव ज्यादा होता है.

वेटरनरी कॉलेज, बीकानेर की सहायत प्राध्यापक डॉ. दीपिका धूड़िया का कहना है कि पशुओं में पानी की कमी से होने वाले नुकसान पानी की कमी से पशुओं में चारा खाने व पचाने की क्षमता घट जाती है. पचे हुए पोषक तत्वों का शरीर में ठीक तरह से उपयोग नहीं होता है. तथा उसके साथ ही शरीर में मौजूद आवश्यक तत्व भी मल-मूत्र के साथ निकलने लगते हैं. उसकी वजह से पशुओं की दूध उत्पादन तथा प्रजनन क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है.

क्या हैं पानी कम होने के लक्षण
उन्होंने बाताया कि अधिक समय तक निर्जलीकरण रहने से पशु का खून गाढ़ा हो जाता है. बछड़े-बछड़ियों में कम उम्र में यदि डिहाईड्रेशन की समस्या होती है तो उस वजह से पेचिस हो जाता है तथा मौत भी हो सकती है. गर्मी में पशुओं में दस्त लगने की भी समस्या रहती है. पशुओं में निर्जलीकरण के लक्षण की बात की जाए तो शरीर में पानी की कमी हो जाती है. भूख न लगना, पशु का सुस्त व कमजोर हो जाना, पेशाब गाढ़ा आना, वजन कम हो जाना, श्लेष्मा झिल्ली और आंखों का सूखना, दुग्ध उत्पादन गिर जाना, सूखी व खुरदरी चमड़ी होना, दुधारू गायों में निर्जलीकरण के परिणाम स्वरूप दुग्ध उत्पादन लगभग समाप्त हो जाता है जिससे पशुपालक को काफी आर्थिक हानि उठानी पड़ती है.

पशुपालकों के द्वारा रखी जाने वाली सावधानियां

पशुओं को बार-बार पानी पिलाते रहें तथा शरीर पर भी पानी का छिड़काव करते रहें.

पशु को सूखी तुड़ी 30 प्रतिशत और 70 प्रतिशत हरा चारा खिलायें.

ताजा तूड़ी खिलाने से पहले उसे शाम के समय भिगोकर रखें.

पशु के ठान में हमेशा नमक की ईंट रखें जिसको चाटने पर भी पशु को पानी पीने की क्षमता बढ़ती है.

पशुओं को सुबह-शाम नहलायें.

पशुओं को बाड़े में जहां बांधे वहां आसपास पानी का छिड़काव करें.

क्या है समस्या का हल और बचाव
पशु में पानी की कमी को जांचने के लिए पशु की चमड़ी उठाकर देखें, चमड़ी को छोड़ने पर अगर एक सैकेण्ड में चमड़ी वापस अपनी सामान्य स्थिति में न आयें तो यह पशु में निर्जलीकरण को दर्शाता है. इसके अलावा विभिन्न लक्षणों को देखकर भी पशु में निर्जलीकरण का पता लगाया जा सकता है. निर्जलीकरण से बचाव के लिए पशु को कम से कम तीन बार पानी पिलाना चाहिए. पशुओं को पिलाने वाला पानी साफ एवं साफ होना चाहिए. दस्त होने पर पशु को तुरन्त पशुचिकित्सालय ले जाकर नाड़ी के माध्यम से पर्याप्त मात्रा में नार्मल सैलाइन एवं इलेक्ट्रोलाइट्स लगवायें जिससे पानी की कमी को पूरा किया जा सके. पशुओं को गर्मी से बचाना चाहिए जिससे कि पशुपालक को अधिक गर्मी में आर्थिक हानि न उठानी पड़े व पशु स्वस्थ रहें.

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