नई दिल्ली. जिस तरह से पशुओं को गर्मियों स्पेशल केयर की जरूरत होती है. ठीक उसी तरह से पोल्ट्री संचालकों के लिए भी जरूरी है कि वो मुर्गियों को गर्मी से बचाएं. मुर्गियों को गर्मी में कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. मुर्गी गर्मी के दिनों में हीट स्ट्रोक का शिकार हो जाती है. इतना ही नहीं हीट स्ट्रोक लिए मुर्गी फॉर्म की छत पर सफेद रंग से पुताई करने की सलाह एक्सपर्ट द्वारा दी जाती है. वहीं मुर्गी फॉर्म के चारों ओर टाट के बोरे बांधने के लिए भी एक्सपर्ट कहते हैं.
इसका फायदा भी मुर्गियों को मिलता है. इस प्रोसेस को करके मुर्गी फॉर्म के अंदर ठंडा वातावरण कर दिया जाता है. इसके अलावा आप वहां पर पंखे भी लगा सकते हैं. बताते चलें कि इसके अलावा भी कई ऐसे तरीके हैं, जिनका इस्तेमाल करके मुर्गियों को हीट स्ट्रोक से बचाया जा सकता है. आइए नीचे आपको इससे रूबरू कराते हैं.
धूप में न रखें टैंक
डॉ. इब्ने अली (लाइव स्टाक, पोल्ट्री कंसल्टेंट), दिल्ली का कहना है कि इस जानकारी का व्यावहारिक या प्रायोगिक उपयोग यह है कि बाद की दो प्रक्रियायें कंडक्शन (conduction) और एपापरेटिव कूलिंग (evaporative cooling) मुर्गी को हीट स्ट्रोक से बचाने के लिए काम आती हैं. यदि किसान नियमित रूप अधिक गर्मी के समय में ठंडी हवा का प्रयाग करें तो काफी हद तक राहत मिल सकती है. ड्रिंकर में पानी का लेवल बढ़ा देना चाहिए और अगर टैंक डायरेक्ट धूप में रखा हो तो उसमे पानी जमा न होने दें. कोशिश करें कि पानी का तापमान 20 डिग्री सेल्सियस से अधिक नहीं जाना चाहिए. पक्षी अपने आप को इससे गीला करते रहते हैं. जब कोई दवाई पानी में दें तो ड्रिंकर में पानी का लेवल कम रखें.
खुली स्टील की थाली रखें
मुर्गी के शरीर से गर्मी निकालने का एक मुख्य तरीका होता है. अक्सर जब यह तरीका विफल हो जाता तभी हीट स्ट्रोक से होने वाली मोर्टेलिटी बढ़ जाती है. एपापरेटिव कूलिंग (Evaporative Cooling) में शरीर की गर्मी जो खून से प्रवाहित होकर मुंह तक आती है और मुंह की झिल्ली से निकलती है. यहां गर्मी पानी को वाष्पिकृत करती है. यह वाष्पीकृत पानी शरीर से गर्मी लेकर उड़ जाता है. वहीं एक की प्रकार खुली स्टील की थाली बर्तनों में पानी रखने से मुर्गी की कलगी गीली हो जाती है जो स्ट्रोक को रोकने में बहुत कारगर होती है.
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