नई दिल्ली. बकरी गरीबों की गाय है और इसे पालकर लघु और सीमांत किसान काफी फायद हासिल कर रहे हैं. दरअसल, बकरी बहुत हीसहनशील और जानवर है जो हर तरह के हालात में खुद को ढाल लेने की क्षमता भी रखती है. जबकि इसके खाने पर भी ज्यादा खर्च नहीं करना होता है. क्योंकि ये तमाम तरह की प्रजातियों के पौधों की पत्तियों को खाकर अपना पेट भर लेती है. बकरियां जंगल-झाड़ी में चरती हैं. बकरी को अनउपजाऊ, बंजर और परती भूमि जहां कृषि नहीं हो सकती वहां पर भी वहां पर भी पाला जा सकता है.
बकरी अनुसंधान केंद्र मथुरा के एक्सपर्ट विजय कुमार, आर. पुरूषोत्तमन, एन. रामाचन्द्रन, अशोक कमार एवं बज मोहन कहते हैं कि बकरी पालन के कई फायदे हैं. दूध उत्पादन वाले व्यावसाय की तुलना में कम लागत, सहज तकनीक, कम खर्च तथा कम जोखिम वाला व्यावसाय है. इसके साथ-साथ बकरियों का बीमा कराकर जोखिम को और कम किया जा सकता है. एक्सपर्ट के मुताबिक अगर बकरी पालन को ज्यादा फायदेमंद बनाना है और इसे बड़े पैमाने पर करना है तो फिर बाड़े की जरूरत होती है. जहां बकरियां आसानी से रह सकें. बाड़ा बनाते समय बकरी पालक को ये ध्यान देना होता है कि बाड़ा बकरियों के रहन-सहन के लिहाज से बनाया जाए.
बकरीपालन को लेकर अहम बातें पढ़ें यहां
1.नियमित रूप से आवास की सफाई करनी चाहिये तथा गन्दगी को बाड़ों से काफी दूर बने गड्डों में दबा देनी चाहिये.
- बाड़ों के अन्दर व बाहर नियमित रूप से हफ्ते में एक या दो बार बिना बुझे चूने का छिड़काव करें.
- प्रतिमाह बाड़ों के अन्दर फर्श पर सूखा घासफूस डालकर जला देना चाहिये. जिससे बाड़ों के अंदर और बाहर पूर्ण विसंक्रमण हो जाता है तथा परजीवियों की सभी अवस्थायें नष्ट हो जाती हैं.
- प्रति चार माह के अन्तराल पर बाड़ों की जमीन की मिट्टी कम से कम 6 इंच तक खोद कर निकाल दें व नई साफ मिट्टी भर देने से संक्रमण की सम्भावना कम हो जाती है.
- बीमार जानवरों को अलग रखकर उनका उचित उपचार एवं देखभाल करनी चाहिये.
- खरीदे गये जानवरों को पहले से पल रहे झुण्ड में नहीं मिलाना चाहिये तथा उन्हें 21 दिनों तक अलग रखना चाहिये.
बकरियों को कब और कैसे बेचें
- बकरियों का मूल्य निर्धारण वजन के हिसाब से करें.
- छोटे एवं मध्यम नस्ल की बकरी बेचने का उत्तम समय 6-9 महीना एवं बड़े नस्ल का 7-12 महीना.
बकरी पालक उपर्युक्त वैज्ञानिक विधियों को अपनाकर अधिक से अधिक लाभ ले सकते हैं.
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