नई दिल्ली. पिछले चार दशकों में व्यावसायिक पोल्र्टी पालन में वृद्धि के कारण हमारे देश में, खासतौर शहरी क्षेत्रों तथा उनके परिवेश में पोल्ट्री उत्पादों की खपत में वृद्धि हुई है. मौजूदा दौर में, शहरी क्षेत्रों की तुलना में पोल्ट्री मांस और अंडों की लागत, उनकी अनुपलब्धता और परिवहन लागत के कारण, ग्रामीण/आदिवासी क्षेत्रों में अधिक है. 2015-16 में अंडो की प्रति व्यक्ति खपत (उपलब्धता) 66 अंडे जबकि कुक्कुट मांस की खपत 3.23 किलोग्राम थी. जबकि ये प्रति वर्ष प्रति व्यक्ति 180 अंडो और 10.8 किलोग्राम कुक्कुट मांस होना चाहिए. जो काफी कम है.
एक्सपर्ट कहते हैं कि क्षेत्र में तेजी से विकास के बावजूद पिछले तीन दशकों में प्रति व्यक्ति उपलब्धता 40-50 अंडे और 1.7-2.1 किलो मांस के बीच स्थिर हो गई है. इन पोषण संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए, लेयर और ब्रॉयलर उद्योग को क्रमशः 5 और 10 गुना बढ़ाना होगा. वर्तमान में लगभग 17 फीसदी अंडों का उत्पादन देशी पोल्ट्री और बत्तख द्वारा किया जा रहा है, जो लगभग 67 फीसदी ग्रामीण आबादी के लिए उपलब्ध है. इसलिए, ग्रामीण इलाकों में अंडे की प्रति व्यक्ति खपत 20 से कम है, जबकि शहरों में 100 से अधिक और कुल देश की औसत खपत 51 अंडे हैं.
अंडों का उत्पादन 21 फीसदी है
एक आंकड़े पर गौर किया जाए तो ग्रामीण क्षेत्रों में पिछले 35 वर्षों में कुक्कुट की जनसंख्या सीमांत रूप से बढ़कर 63 मिलियन से 73 मिलियन हो गई. वर्तमान में ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में देशी कुक्कुटों की संख्या, देश की कुल कुक्कुट आबादी का 38% हिस्सा है. हालांकि, उनकी कम उत्पादकता (50-60 अंडे / वर्ष) के कारण, अंडों के कुल उत्पादन में केवल 21% ही योगदान करते हैं. ग्रामीण इलाकों में (अंडे और मांस) पोल्ट्री उत्पादों को शहरी और अर्ध शहरी क्षेत्रों में कीमतों की तुलना में 40% अधिक मूल्य पर बेचा जाता है. प्रोटीन की कमी की व्यापकता बच्चों, गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं और ग्रामीण क्षेत्रों के वृद्ध लोगों में अधिक पाई जाती है, जो ग्रामीण घर-आंगन में छोटे पैमाने पर कुक्कुट पालन की पद्धति को अपनाने से कम हो सकती है.
ग्रामीणों को मिलेगा फायदा
एक्सपर्ट कहते हैं कि ज्यादा उत्पादन देने वाली पोल्ट्री किस्में पालने से ग्रामीण क्षेत्रों में कुक्कुट उत्पादों (अंडे और कुक्कुट मांस) में वृद्धि से निश्चित रूप से उपलब्धता में सुधार होगा और कुक्कुट उत्पादों की लागत में कमी आएगी. ग्रामीण/आदिवासी क्षेत्रों में पोषण और प्रबंधन के संदर्भ में कम निवेश की मांग करने वाली और उच्च उत्पादन क्षमता वाली पोल्ट्री किस्मों को पालने से इन दूरदराज इलाकों में पोल्ट्री उत्पादों की उपलब्धता में वृद्धि की जा सकती है. जिससे ग्रामीण लोगों का स्वास्थ्य और आर्थिक स्थिति को सुधारने में सहायता मिलेगी.
देशी नस्ल को पालते हैं
ज्यादा उत्पादन देने वाली लेयर और ब्रॉयलर कुक्कुट किस्में जो कामर्शियल तौर पर पाली जाती हैं, आमतौर पर ग्रामीण घर-आंगन / मुक्त श्रेणी पद्धति में प्रचलित प्रतिकूल परिस्थितियों में जीवित नहीं रह सकतीं. इन वाणिज्यिक ब्रॉयलर और लेयर चूजों को पोषण, स्वास्थ्य देखभाल और प्रबंधन के उच्च स्तर की आवश्यकता होती है ताकि अच्छा उत्पादन हासिल हो सके. सफेद पंख वाले कुक्कुट, ग्रामीण घर-आंगन की स्थिति में छलावरण नहीं कर सकते हैं और आसानी से शिकार हो जाते हैं. इसलिये अधिकांश ग्रामीण जनसंख्या, देशी नस्ल जो की बहुरंगीन पंख युक्त स्वरूप और चकत्तेदार अंडों का उत्पादन करता है, की शौकीन होती हैं.
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