नई दिल्ली. बाजार में लगातार बकरी के दूध की डिमांड बढ़ रही है. इसकी मुख्य वजह बकरी के दूध में पाए जाने वाले तमाम लाभकारी गुण हैं. हालांकि अभी भी प्रोडक्शन की रफ्तार वैसी नहीं है जैसी गाय व भैंस के दूध की है. जबकि दूसरी ओर लगातार बकरी पालन के व्यवसाय में किसान हाथ आजमा रहे हैं. इससे यह माना जा रहा है कि आने वाले वक्त में बकरी के दूध का उत्पादन बढ़ जाएगा. गुजरात में कमर्शियल स्तर पर दो से तीन बकरी फार्म पर काम किया जा रहा है. ताकि बकरी के दूध का उत्पादन बढ़ाया जा सके.
बताते चलें कि बकरी के दूध का कारोबार अभी तक असंगठित हाथों में है. इसका कोई फिक्स बाजार नहीं है. जैसे ही उत्पादन बढ़ेगा तो यह संगठित हो जाएगा. ऐसे में बकरी के दूध के कारोबार में बड़े व्यापारी भी शामिल होंगे. जिस तरह से अमूल ऊंट का पैक्ड दूध बेच रही है. एक सरकारी आंकड़े के मुताबिक दक्षिण भारत के कई राज्यों में बकरी के दूध पालन तेजी से बढ़ रहा है. इसलिए भविष्य में मिल्क कंपनी भी बकरी के दूध को पैक्ड बेच सकती हैं.
डिमांड बहुत ज्यादा बढ़ गई है
इंडियन डेयरी एसोसिएशन के प्रेसिडेंट और अमूल के पूर्व एमडी डॉक्टर आरएस सोढी का कहना है की डेयरी के कई बड़े कारोबारी बकरी के दूध पर नजर बनाए हुए हैं. बाजार भी अच्छा है. डिमांड भी पहले से बहुत ज्यादा बढ़ गई है. हालांकि सबसे बड़ी जो दिक्कत कलेक्शन की है. जबकि दूसरी दिक्कत यह है कि किसी के पास पांच बकरी है तो किसी के पास 10 बकरी. इस तरह से 5 से 10 लीटर दूध कलेक्ट करना आसान नहीं होता. इसके लिए कई-कई किलोमीटर दूर तक जाना पड़ता है. ऐसे में वक्त खराब होता है और लागत ज्यादा आती है.
अच्छा हो जाएगा बकरी के दूध का कारोबार
इस वजह से बकरी का दूध संगठित हाथों में नहीं आ पा रहा है. जबकि बकरी के फॉर्म की संख्या भी कम है. इस तरह कोशिश शुरू हो गई है कि कई लोग बड़े बकरी के फॉर्म की शुरुआत कर रहे हैं. गुजरात में ही दो से तीन बड़े बकरी के फार्म पर काम चल रहा है. बड़े बकरी फार्म खुलने लगे तो बड़ी कंपनियां भी आ जाएंगी. उन्हें आसानी से वहां से दूध उपलब्ध हो जाएगा. इसको देखते हुए कहा जा सकता है कि आने वाले वक्त में बकरी के दूध का कारोबार अच्छा होगा. इसकी शुरुआत भी गुजरात और दक्षिण भारत के कुछ राज्यों से हो चुकी है.
बढ़ जाएगी किसानों की आमदनी
गुरु अंगददेव वेटरिनरी एंड एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी गडवासु लुधियाना के वाइस चांसलर डॉ. इंद्रजीत सिंह कहते हैं कि डॉक्टर भी दवा के रूप में बकरी के दूध के पीने की सलाह दे रहे हैं. बकरी के चरने की व्यवस्था को देखते हुए ये कहा जा सकता है कि दूध को ऑर्गेनिक है. जबकि डेंगू की बुखार के दौरान बकरी का दूध तो अमृत हो जाता है. इसकी कीमत भी आसमान छूने लगती है. ऐसे में किसानों की आमदनी भी अच्छी खासी बढ़ सकती है.
Leave a comment