नई दिल्ली. भारत में बड़ी मात्रा में दूध उत्पादन किया जाता है. विश्व भर में जितना दूध उत्पादन किया जाता है, उसमें भारत का कुल हिस्सा 24 फीसदी है. हालांकि अब राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) ने 2023 तक वैश्विक दूध उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी बढ़ाने का लक्ष्य रखा है. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए डेयरी विकास बोर्ड एनडीडीबी उत्पादकता को बढ़ाने पर काम कर रही है. इसके लिए मुख्य फोकस पशुओं के प्रजनन और पोषण और स्वास्थ्य पर रखा गया है.
एनडीडीबी के अध्यक्ष मीनेश शाह ने कहा है कि वर्तमान में भारत में कुल वैश्विक उत्पादन 24 फीासदी यानी एक चौथाई हिस्सा हो रहा है. यह हमारे सकल घरेलू उत्पादन में 4-5 फ़ीसदी का योगदान देता है. हमारी योजना है कि साल 2030 तक विश्व भर में भारत की हिस्सेदारी 30 फीसदी तक हो जाए और दूध उत्पादन के एक तिहाई तक बढ़ाने की है.
पशुओं की उत्पादकता बढ़ाना जरूरी
इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए पशुओं की उत्पादकता बढ़ाना महत्वपूर्ण है. उन्होंने बताया कि विश्व में सबसे ज्यादा दूध उत्पादन भारत में है लेकिन पशु उत्पादकता विकसित देशों की तुलना में काम हो रही है. भारत सरकार और एनडीडीबी उत्पादकता बढ़ाने के मिशन पर काम कर रही है. अगले 7 सालों में दूध की खरीद बढ़ाने और अधिक किसानों को सरकारी आंदोलन के तहत लाने की योजना पर काम होगा. मीनेश शाह ने ब्रांड पूरबी का संचालन करने वाली वेस्ट असम मिल्क प्रोड्यूसर्स कोऑपरेटिव सोसाइटी की भी अध्यक्ष हैं. उन्होंने कहा कि समिति की क्षमता को एक नए प्लांट के साथ बढ़ाया जा रहा है.
खुरपका-मुंहपका जड़ से खत्म करने का लक्ष्य
बताते चलें कि पीएम मोदी ने गुजरात की सहकारी विपणन महासंघ के स्वर्ण जयंती समारोह के दौरान देश में दूध उत्पादन की बढ़ाने की बात पर जोर दिया था. उन्होंने कहा था कि देश में उत्पादन में 10 वर्षों में लगभग 60 फ़ीसदी का इजाफा हुआ है. एक दशक में प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता भी 40 फ़ीसदी बढ़ी है. पीएम ने कहा था कि 10 करोड़ रुपये के डेयरी क्षेत्र में महिलाओं की भूमिका बढ़ी है. 70 फ़ीसदी तक महिलाओं से संचालित डेयरी का कारोबार, गेहूं, चावल और गन्ने की कुल कारोबार से भी अधिक है. साथ ही 2030 तक मवेशियों में होने वाले खुरपका—मुंहपका रोग को जड़ से खत्म करने का लक्ष्य है.
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