नई दिल्ली. जो कश्मीर कभी आतंकवादी गतिविधियों को लेकर चर्चा में रहता था, आज उस राज्य की दूध को लेकर चर्चा हो रही है. दरअसल, आधिकारिक आंकड़ों से ये जानकारी निकलकर सामने आई है कि कश्मीर घाटी सालाना जम्मू श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग के माध्यम से भारत के विभिन्न राज्यों में 5701 मीट्रिक टन दूध निर्यात कर रही है, जो पिछले वर्ष की तुलना में चार गुना ज्यादा है. एलएससीपी-जिंग वांगुड, काजीगुंड के अधिकारियों के मुताबिक 11 महीने में घाटी ने जम्मू कश्मीर श्रीनगर राज्यमार्ग से माध्यम से 319 दूध से भारे वाहनों को कश्मीर के बाहर 5701 मीट्रिक टन दूध निर्यात किया है.
साल 2022-23 के दौरान इस राजमार्ग के माध्यम से 88 दूध से भारी वाहनों में 1569.71 मीट्रिक टन दूध निर्यात किया गया था. जबकि साल 202324 के 11 महीना में 319 दूध वाहनों के माध्यम से चार गुना यह आंकड़ा बढ़ गया है, जो बता रहा है कि जम्मू कश्मीर में दूध उत्पादन के क्षेत्र में बड़ी कामयाबी हासिल की है.
सरकार ने दिया है बढ़ावा
एक अफसर ने बताया कि सरकार ने समग्र कृषि विकास कार्यक्रम एचएडीपी और डेयरी विकास योजना की शुरुआत से कृषि और संबद्ध क्षेत्रों को बढ़ावा देने की दिशा में अहम कदम उठाया. विकास योजना में डेयरी इकाइयों की स्थापना, प्रति इकाई भैंस, अधिकतम 10 इकाइयों जैसी विभिन्न गतिविधियों के प्रोत्साहन के लिए सब्सिडी के संदर्भ में सहायता प्रदान करने से इस क्षेत्र में प्रमुख भूमिका निभाई है. दूध संग्रहण, चिलर प्लांट, प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना, दूध एटीएम सहित बाजार बुनियादी ढांचे की स्थापना और दूध परिवहन प्रणालियों की स्थापना इसमें शामिल है.
दूध के क्षेत्र में विकसित हुआ राज्य
एक समय कश्मीर बाहर से आयात की जाने वाले दूध पर निर्भर था. अब यह क्षेत्र विकसित हो गया है और इस क्षेत्र से देश के विभिन्न कोनों में दूध भेजा जारहा है. डेयरी फार्मिंग कई ग्रामीण परिवारों के लिए आजीविका का प्रमुख स्रोत बनता जा रहा है. वर्तमान में इसका तेजी से विकास भी हो रहा है. इसमें केंद्र शासित प्रदेश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने रोजगार के अवसर प्रदान करने और स्थानीय आबादी की भलाई करने की आपार संभावनाएं हैं. डेयरी उद्योग को बढ़ावा दिया जा रहा है. पिछले कुछ वर्षों में डेयरी फार्मिंग का चलन बढ़ा है. पढ़ाई के युवा दूध उद्योग से जुड़े हैं. इसमें आने वाले वर्षों में बहुत ज्यादा इजाफा हुआ है.
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