Home पोल्ट्री Poultry Farming: पोल्ट्री फार्मिंग में बर्ड फ्लू से क्या पड़ता है असर, जानें यहां
पोल्ट्री

Poultry Farming: पोल्ट्री फार्मिंग में बर्ड फ्लू से क्या पड़ता है असर, जानें यहां

poultry meat production in india
मुर्गियों की फॉर्म के अंदर की प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. बर्ड फ्लू, जिसे एवियन इन्फ्लूएंजा के नाम से भी जाना जाता है, ये एक वायरल संक्रमण है जो घरेलू पोल्ट्री और अन्य एवियन प्रजातियों को प्रभावित करता है. यह रोग इन्फ्लूएंजा ए वायरस के कारण होता है, जो कुछ मामलो में इंसानों समेत जंगली और घरेलू स्तनधारियों को भी संक्रमित करने के लिए जाना जाता है. बर्ड फ्लू वायरस के शुरुआती शिकार जंगली जलपक्षी और शोरबर्ड होते हैं. जो अक्सर वायरस को बिना किसी लक्षण के एक जगह से दूसरी जगह ले जाते हैं. ये पक्षी अन्य पक्षियों और स्तनधारियों के लिए संक्रमण के सोर्स का काम करते हैं.

पशुपालन और डेयरी विभाग की डिप्टी कमिश्नर डॉ. अरुणा शर्मा का कहना है कि बर्ड फ्लू वायरस को दो समूहों में वर्गीकृत किया गया है, जो मुर्गियों में बीमारी की गंभीरता के आधार पर है. कम रोगजनकता (Pathogenicity) एवियन इन्फ्लुएंजा (LPAI) जो बहुत कम या कोई लक्षण नहीं दिखाते हैं. वहीं ज्यादा रोगजनकता (Pathogenicity) बर्ड फ्लू (HPAI) जो गंभीर लक्षण संकेतों के साथ मृत्यु दर का कारण बनते हैं. इस आार्टिकल में एवियन इन्फ्लूएंजा बीमारी के लक्षणों के बारे में आपको जानकारी मिलेगी. जिससे आप बीमारी के समय मुर्गियों की जान बचा सकते हैं.

हाई पैथोजेनेसिटी एवियन इन्फ्लूएंजा
उन्होंने बताया कि बर्ड फ्लू (अल) एक बेहद ही संक्रामक वायरल बीमारी है जो घरेलू मुर्गी और पालतू जानवरों, चिड़ियाघरों और जंगली पक्षियों को प्रभावित करती है. वायरस (एआईवी) जीनस अल्फा इन्फ्लुएंफ्लुएं वायरस (इन्फ्लुएंजा वायरस ए या इन्फ्लुएंजा ए वायरस) के सदस्य हैं और ऑर्थोमेक्सोविरिडे के तहत कुछ मामलों में एएलवी मनुष्यों और अन्य स्तनधारियों को संक्रमित करते हैं. हाई पैथोजेनेसिटी एवियन इन्फूएंजा में एक पोल्ट्री पक्षी या एक झुंड में तेजी से मृत्युदर दिखाई देती है. इसमें सांस से जुड़ी समस्याएं, नर्वस से जुड़ी दिक्कतें होती हैं.

प्रोडक्शन में देखी जाती है कमी
एक संदिग्ध सकारात्मक मामला जिसमें लक्षण दिखाई देते हैं. जैसे कि ओकुलर और नाक से पानी निकलना, खांसी, छींकना और डिस्पनिया, साइनस और/या सिर की सूजन, उदासीनता, कम मुखरता, फीड और पानी के सेवन में कमी और दस्त होने की समस्या सामने आती है. इसके अलावा अंडों के उत्पादन में बेहद कमी देखी जाती है. ​अंडों का उत्पादन कम होने के साथ-साथ अंडों की क्वालिटी भी खराब हो जाती है. जिन मामलों में वहीं बर्ड फ्लू की पुष्टि हो चुकी है. 4 सप्ताह की मुर्गियों में 10 दिनों के भीतर कम से कम 8 फीसदी मृत्यु दर का कारण बनता है. इसके चलते पोल्ट्री फार्मर्स को भारी नुकसान उठाना पड़ता है.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

egg poultry
पोल्ट्री

Egg: जानें किसने दिया था संडे हो या मंडे रोज खाओ अंडे का नारा, क्या थी वजह, कब वजूद में आया NECC

मौजूदा वक्त में NECC की अध्यक्ष उनकी बेटी अनुराधा देसाई हैं और...