Home पशुपालन Dairy Animal: बारिश के मौसम में पशुओं की कैसे करें देखभाल, लापरवाही करने पर हो सकता है ये नुकसान
पशुपालन

Dairy Animal: बारिश के मौसम में पशुओं की कैसे करें देखभाल, लापरवाही करने पर हो सकता है ये नुकसान

Animal Husbandry: Farmers will be able to buy vaccines made from the semen of M-29 buffalo clone, buffalo will give 29 liters of milk at one go.
प्रतीकात्मक फोटो. Live stockanimal news

नई दिल्ली. पशुपालन में जैसे ही मौसम बदलता है तो पशुओं में इन बदलाव का प्रभाव पड़ने लगता है और उनमें कुछ बीमारी संम्बन्धित समस्याएं आने लगती हैं. इसलिये बरसात में पशुओं की आवास व्यवस्था, आहार व्यवस्था, प्रजनन व्यवस्था और स्वास्थ्य प्रबंधन व्यवस्थाओं का इंतजाम बारिश शुरू होने के पहले करना चाहिए. ताकि पशुओं की सेहत ठीक रहे और उनसे बेहतर प्रोडक्शन लिया जा सके. अगर पशुओं की सेहत ठीक रहती है तो फिर अच्छा उत्पादन मिलता है. इसलिए जरूरी है कि पशुओं की सेहत का ख्याल रखा जाए.

पशुओं का आवास ऊंची जगह पर होना चाहिए. जहां पानी इकट्ठा न हो क्योंकि ऐसे ही स्थिति में जीवाणु, विषाणु या परजीवी पनपते हैं, जो कि पशुओं को रोगी बनाने के कारक होते हैं. बारिश के मौसम में पशुओं की बारिश के पानी से बचाना चाहिए, ताकि पशु भीगे नहीं अन्यथा बीमारी का खतरा अधिक रहता है.

आवास की व्यवस्था
आवास का फर्श सूखा, साफ-सुथरा होना चाहिए एवं उचित ढलान वाला हो ताकि वहां पर पानी इकट्ठा ना हो. आवास यानी शेड़ हवादार होना चाहिए, क्योंकि बहुत जगह अधिक बारिश की वजह दिन भर बिल्कुल धूप नहीं रहती. शेड़ हवादार रहने से फर्श सूखने में आसानी होगी. दोपहर के वक्त में शेड़ अच्छे से धोना चाहिए, ताकि मल-मूत्र या कीचड़ की गंदगी ना रहे. बरसात के मौसम में पशुओं का सांप से बचाव करना चाहिये क्योंकि सबसे ज्यादा सांप के काटने की घटनाएँ इसी महीने में दिखाई देती हैं. इसलिये आवास को चारों तरफ से अच्छे से बंद रखना चाहिए और निगरानी करनी चाहिए.

आहार व्यवस्था कैसे करें
बरसात के मौसम में पशुओं को पर्याप्त हरा चारा उपलब्ध होता है, लेकिन पशुओं को ज्यादा हरा चारा नहीं खिलाना चाहिए, क्योंकि पशुओं को दस्त लगने या पेट खराब होने की संभावना रहती है. हरे चारे के साथ सूखा चारा भी मिलाकर देना चाहिये. यानी केवल पशुओं को हरा चारा नहीं बल्कि संतुलित आहार देना चाहिये. जिसमें सूखा चारा, दाना, खल्ली, चूरी, खनिज मिश्रण और नमक का भी समावेश होना चाहिये. बारिश के पानी या नमी की वजह से पशुओं के चारे में फफूंद लग सकता है या कडवापन आ जाता है. इसलिये एक सप्ताह से ज्यादा बना हुआ चारा पशु को नहीं खिलाना चाहिए. चारे के साथ पानी की भी ठीक से व्यवस्था करनी चाहिये. पशुओं को बरसाती नाले का पानी नहीं पिलाना चाहिये, बल्कि साफ एवं स्वच्छ पानी पिलाना चाहिये.

प्रजनन व्यवस्था कैसी हो
गाय एवं भैसो का सबसे ज्यादा ब्याने का समय अगस्त-सितंबर ही रहता है इसलिये बछड़ों का भी बरसात में ध्यान रखना अतिआवश्यक है. बछड़ों को जन्म के आधे घंटे के अंदर मर्मों का गाढ़ा पीला दूध यानी खिस पिलाना चाहिये ताकि उनमें रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ जाए. बछड़ों को अच्छे से सूखे कपड़े से सोखना चाहिये और उनकी मालिश करनी चाहिये. भैंस या गाय को गुनगुने पानी से धोना चाहिये और उसका जीर निकालने के लिये आवश्यकतानुसार पशु चिकित्सक को बुलाना चाहिये.

स्वास्थ्य प्रबंधन के बारे में पढ़ें
बरसात में मौसम साफ नही रहता इसलिये बहुत सारी बीमारियों का डर रहता है। बरसात में मुँहपका-खुरपका और गलघोटू रोगों का खतरा रहता है. इसलिये बरसात पहले मुंहपका-खुरपका और गलघोटू के टीके जरूर लगवाने चाहिये. यह टीके पशुपालन विभाग द्वारा मुफ्त में लगवाये जाते हैं. बरसात के दिनों में पशुओं में परजीवी ज्यादा पाये जाते हैं इसलिये पशुओं को हर चार माह के अंतराल से आंतरिक कृमिनाशक दवाई जरूर पिलानी चाहिये और पशुओं को मक्खी, जू, किल्ली आदि बाहरी परजीवी से भी बचाना चाहिये. इस प्रकार पशुओं के मुख्य चार व्यवस्था पर अगर ध्यान दिया जाये तो निश्चित बरसात के मौसम में भी पशु स्वस्थ रहेगा और उत्पादन बढ़ेगा.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

livestock animal news
पशुपालन

Animal Husbandry: पशु को कब करना चाहिए डीवार्मिंग, न करने के क्या हैं नुकसान, जानें यहां

जिसकी वजह से उनके पेट में कीड़े चले जाते हैं और उन्हें...

GBC 4.0 in up
पशुपालन

Animal Husbandry: इस तरह का चारा खिलाने से पशु रहेंगे बीमारी से दूर, मिलेगा भरपूर पोषक तत्व

इसके जरिए कम एरिया में ज्यादा चारा लिया जा सकता है. दूध...