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Loksabha Election-2024: थम गया पशुओं का कारोबार, गाय-भैंस, भेड़-बकरी खरीदने में आ रही ये परेशानी

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प्रतीकात्मक फोटो: livestockanimalnews

नई दिल्ली. लोकसभा चुनाव-2024 की आचार संहित लागू हो गई है. अब सभी को चुनाव आयोग के नियम-कायदों को मानना होगा. सबसे बड़ी परेशानी लोगों को रकम लाने-ले जाने में हो रही है. चुनाव आयोग की गाइडलाइंस के मुताबिक 50 हजार से ज्यादा की नकदी आप बिना किसी वैद्य दस्तावेजों के नहीं रख सकते. अगर 50 हजार से ज्यादा नकदी किसी के पास से पाई गई तो उसे उसका धन के स्रोत को साबित करने के लिए उचित दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे. आचार संहित की इस गाइड लाइन से सबसे ज्यादा पशु हाटा या मंडियों में आने वाली है. अभी रमजान चल रहे हैं. अभी से बकरा, भेड़ और भैंस की खरीदारी शुरू हो चुकी है लेकिन ईद के बाद बकरा मंडी और भी जोर पकड़ेगी. पशु व्यापारी और मुस्लिम बकरे खरीदने के लिए मंडी जाएंगे और उनके पास बकरा खरीदने के लिए अच्छी खासी रकम भी होगी. चुनाव आयोग के उड़न दस्तों ने अगर ऐसे में उनकी रकम को जब्त कर लिया तो पशु व्यापारियों को दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि ये असंगिठत व्यापार है और इसमें न तो जीएसटी लगती और न ही इनकम टैक्स. ऐसे में 4 जून तक आचार सहिंता लगे होने की वजह से पशु व्यापार, पशु मंडी और पशु हाटों पर इसका बहुत असर होने वाला है.

16 मार्च 2024 को चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव 2024 के लिए आचार संहिता का एलान किया था. 19 अप्रैल को पहला चरण और एक जून को सातवां यानी आखिरी चरण होगा. इस दौरान पूरे देश में चुनाव आयोग की गाइड लाइन ही लागू रहेंगी. अगर भारतीय चुनाव आयोग यानी ईसीआई द्वारा लागू की गई आचार संहिता का कोई उल्लंघन करता पाया जाता है तो उस पर कार्रवाई की जाएगी. इसमें यात्रा के दौरान भारी नकदी ले जाने पर भी प्रतिबंध रहेगा. ईद-बकरीद के नजदीक चुनाव होने की वजह से साप्ताहिक पशु बाजार भी प्रभावित होंगे. चार जून को परिणाम आएगा और 17 जून को बकरीद होगी, ऐसे में इतने कम समय मे पशु व्यापारी अपने शहरों से बाहर की मंडी में ले जाने पशु ले जाने लिए पशु भी नहीं खरीद पाएंगे.

बाहर के लिए खरीदारी हो जाती है अभी से शुरू
11 अप्रैल की ईद तो 17 जून 2024 को बकरीद है. देश के बाहर भी बकरीद पर बकरे, भेड़ बड़ी संख्या में एक्सपोर्ट की जाती हैं. इसलिए बाहर के देशों के लिए व्यापारी अभी से खरीदारी शुरू कर देता है. इतना ही नहीं पशु व्यापार भी पूरी तरह से प्रभावित होगा. मगर, अब आचार सहिंता की वजह से पशुओं की खरीदारी करने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. इसका कारण चुनाव आयोग द्वारा यात्राा के दौरान तय की गई 50 हजार रुपये की धनराशि है.अगर इससे ज्यादा धनराशि किसी के पास मिली तो उसे जब्त कर लिया जाएगा. इस कारण पशु व्यापारी डरे हुए हैं. इसका असर पशु हाट या पशु मंडियों पर भी पड़ रहा है.

बाहर से आ रही डिमांड को पूरा नहीं कर पा रहे व्यापारी
पशु व्यापारी इमामउद्दीन कुरैशी ने कहा कि पशु खरीदने के लिए मोटी रकम ले जानी होती है. जबकि आचार सहिंता के दौरान 50 हजार से ज्यादा रकम नहीं रख सकते. अब बाहर के लिए पशुओं की खरीदारी तो अभी से शुरू हो जाती है. व्यापारियों में डर बैठ गया है कि कहीं रकम जब्त न कर ली जाए. ऐसे में खरीदारी प्रभावित हो रही है. बाहर से लगातार डिमांड आ रही है. इतना ही देश के अलग-अलग हिस्सों में बनी पशु मंडियों में भी बकरा, भैंस, भेड़ को भेजा जाता है. यहां के लिए भी तो पशु चाहिए.

रकम छुड़ाने में आती हैं बहुत दिक्कतें
पशु व्यापारी रामदास पहाड़िया ने बताया कि हम तो गाय-भैंस, भेड़ बकरी सब खरीदते हैं. एक हाटा या मंडी में एक पशु खरीदने तो जाएंगे नहीं. रकम भी ज्यादा ले जाएंगे. अगर हम ज्यादा रकम ले जाते हैं और वो पकड़ी जाती है तो उसे छुड़ाने में ही काफी टाइम लग जाता है. अब उस धन के स्रोत को साबित करने के लिए उचित दस्तावेज प्रस्तुत जमा करने होंगे. इन सब चीजों में वक्त लगता है. तब तक पूरा व्यापार ही चोपट हो जाएगा. इसलिए ये समस्या पशु व्यापारियों, किसानों को आना शुरू हो गई है.

50 हजार में नहीं आती गाय-भैंस
आचार सहिंता लगने के बाद यात्रा के दौरान 50 हजार से ज्यादा नकदी नहीं ले जा सकते. अगर इससे ज्यादा नकदी पकड़ी गई तो उस रक के स्रोत को साबित करने के लिए उचित दस्तावेज प्रस्तुत जमा करने होंगे. अब एक सवाल खड़ा होता है कि 50 हजार रुपये में गाय—भैंस आ सकती है. नहीं! एक के दौर में अगर 10 लीटर दूध की भैंस खरीदेंगे तो कम से कम एक लाख रुपये चाहिए और 20 लीटर दूध की गाय खरीदेंगे तो भी एक से डेढ़ लाख रुपये की जरूरत होगी. ऐसे में कैसे कोई गाय-भैंस खरीद सकेगा.

50 हजार में कितने बकरे आएंगे
अब सवाल आता है बकरों की खरीदारी का तो बकरीद पर बकरों की रेट अन्य दिनों से ज्यादा रहती है. कुरबानी के लिए अच्छा बकरा खरीदना हो तो कम से कम 40—50 हजार का आता है.जबकि औसत बकरा 20-25 हजार रुपये का. अब कोई व्यापारी हाट में एक बकरा खरीदने तो जाएगा नहीं, कम से 10—20 बकरे खरीदने के लिए उसे आठ से 10 लाख रुपये की जरूरत होगी. ऐसे मे आचार सहिंता की वजह से वो बकरे भी नहीं खरीद पा रहा है.

पशु हाट में पकड़ी गई रकम का केस आया सामने
आचार सहिंता के नियम-कायदों के बारे में किसान, पशु पालक और अधिकांश डेयरी किसान अनिभिज्ञ होते हैं. उन्हें ये भी नहीं पता होता कि प्रतिबंध के बाद कितनी नकदी ले जाते हैं और कितनी नहीं. आचार स​हिंता लगने के बाद सौ सालों से लगने वाले वेल्लोर के पशु बाजार में केस देखने को मिला. न पशुओं की खरीद-फरोख्त लाइनलाइन पैमेंट या नेट बैंकिंग के जरिए होती है. ज्यादातर किसान गरीब, अशिक्षित होने की वजह से ऑनलाइन भुगतान के बजाय नकद लेनदेन पर भरोसा करता है. यह सुनिश्चित करने के लिए एक स्थायी समाधान खोजा जाना चाहिए कि डेयरी किसान प्रभावित न हों.

चुनाव आचार सहिंता लगने के बाद उड़न दस्ते ने मंगलवार को वेल्लोर के पास पल्लीकोंडा में टोल गेट पर सेलम के एक डेयरी किसान एस. विजयन से 5.89 लाख रुपये जब्त कर लिए. प्रारंभिक पूछताछ में पता चला कि वह अपनी मैक्सी-कैब से दुधारू गाय खरीदने के लिए वेल्लोर के पशु बाजार जा रहा था.प्रत्येक मंगलवार को आयोजित होने वाला यह बाजार कई वर्षों से चेन्नई-बेंगलुरू राजमार्ग (एनएच 44) पर वेल्लोर शहर के पास पोइगई गांव में एक झील के पास एक विशाल खुली जगह में फैला हुआ है. तिरुपत्तूर, धर्मपुरी, चेंगम, अनाईकट, गुडियाथम और कृष्णागिरी जैसे विभिन्न स्थानों से डेयरी किसान बाजार में आते हैं. हर बार के बाजार में करीब 25 हजार पशुओं को खरीद-फरोख्त के लिए बाज़ार में लाया जाता है.

क्या बोले वेल्लारी के जिलाधिकारी
वेल्लारी के कलेक्टर वी.आर. सुब्बुलक्ष्मी ने द हिंदू को बताया कि नकदी ले जाने पर प्रतिबंध में ढील नहीं दी जा सकती. वहीं, चुनाव के लिए साप्ताहिक बाजार को अस्थायी रूप से बंद नहीं किया जा सकता क्योंकि इससे शहर में सदियों पुराना व्यापार प्रभावित होता है. इसके बजाय, कलेक्टर ने कहा कि लोगों को अपने साथ नकदी ले जाने के लिए वैध दस्तावेज रखना चाहिए. निगरानी टीम से जब्त धन प्राप्त करने के लिए धन के स्रोत को साबित करने के लिए उचित दस्तावेज प्रस्तुत किए जाने चाहिए.

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