नई दिल्ली. दुनियाभर में विकसित देशों के मुकाबले विकासशील देशों में गायों की संख्या ज्यादा है. जबकि बात की जाए भारत की तो यहां खेती और पशुपालन में गायों का ज्यादा महत्व है. देश में 51 तो रजिस्टर्ड और अन्य नस्लों की गाये हैं. ये अलग—अलग राज्यों है. जबकि देश में गाय के दूध की हिस्सेदारी करीब 50 फीसदी है. इसमें विदेशी नस्ल की गाय भी शामिल है. देश के किसान देशी गाय के दूध से अच्छी खासी इनकम हासिल करते हैं और ज्यादा दूध देने वाली गायों को पालने में प्राथमिकता देते हैं.
गायों का दूध बहुत ही बेहतरीन क्वालिटी का होता है. गाय के दूध की एक क्वालिटी जो सबसे अच्छी मानी जाती है वो ये है कि इसमें A2 मिल्क होता है. इन नस्लों की गाय दूध उत्पादन में भी अच्छी मानी जाती हैं. जो गाये A2 क्वालिटी का दूध देती हैं उसमें साहीवाल गाय, राठी गाय, दोगली गाय और मालवी गाय का मिल्क बहुत ही बेहतर माना जाता है. वहीं इन गायों से अगर घी निकाला जाए तो इसकी क्वालिटी और ज्यादा बढ़ जाती है. इसके घी में विटामिन A, D, E और K पाया जाता है, जो बहुत अच्छा होता है.
डाइजेशन के लिए है बेहतर
एक्सपर्ट कहते हैं कि पारंपरिक तरीकों से गाय के दूध से बना A2 वैदिक बिलोना घी बहुत ही मुफीद होता है. इसके कई फायदे हैं. दरअसल, इसमें विटामिन A, D, E और K जैसे आवश्यक पोषक तत्व और स्वस्थ फैटी एसिड होते हैं. इसका भरपूर स्वाद व्यंजनों को बेहतर बनाता है. अगर इस घी का इस्तेमाल किया जाए तो खाने का स्वाद बढ़ना तय है. जबकि इससे बना खाने को पचाने में कोई दिक्कत नहीं होती है. बहुत ही आसानी से बच जाते हैं. इसलिए भी इस घी का इस्तेमाल किया जा सकता है.
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा देता है
पारंपरिक तरीकों से गाय के दूध से बना A2 वैदिक बिलोना घी की और भी कई खासियत है. जहां ये पाचन के लिए बेहतर है तो वहीं ये रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और इसके सूजनरोधी गुणों के कारण समग्र स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है. जो इसके खाने वाले लोगों को बहुत फायदा पहुंचाता है. आमतौर पर डॉक्टर बच्चों के लिए गाय के दूध का सेवन करने की सलाह देते हैं. वहीं अगर बड़े वैदिक बिलोना घी खाएं तो इसका फायदा मिलेगा और ये घी उन्हें हेल्दी रखने में मदद करेगा.
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