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Dairy: इस साल तक देश में खत्म हो जाएगी FMD बीमारी, दोगुना हो जाएगा दूध उत्पादन, जानें कैसे

milk production in india
प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. सरकार पशुपालन को बढ़ावा देना चाह रही है. इसको देखते हुए बीमारियों को रोकने के लिए कई कदम उठा रही है. ICR नई दिल्ली के डिप्टी डायरेक्टर पशुपालन डॉ. राघवेंद्र भट्ट ने कहा कि भारत साल 2030 तक मुंहखुर रोग से पूरी तरह से मुक्त हो जाएगा. देश भर में मवेशियों में यह बीमारी नहीं पाई जाएगी. अभी देशभर में साल में दो बार वैक्सीनेशन कार्यक्रम चलाया जा रहा है. ये बातें उन्होंने राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र के 40वें स्थापना दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान कही. उन्होंने कहा कि पशुओं में खुरपका-मुंहपका रोग यानि एफएमडी के चलते भारतीय दूध और इसके उत्पादन का विदेश में मिल निर्यात नहीं हो पा रहा है लेकिन इस बीमारी से मुक्त होने के बाद इसका निर्यात बढ़ेगा.

उन्होंने कहा कि एफएमडी के कारण कई देश दूध और इसके उत्पाद भी स्वीकार नहीं करते हैं. एफएमडी को लेकर भारत को दो जोन में बांटा जाएगा. हरियाणा में एफएमडी की छह राउंड की वैक्सीनेशन की भी जा चुकी है. देखा जाएगा की 5 साल में जिन जोन में इस बीमारी का कोई केस नहीं मिला है, उस जोन को डिजीज फ्री घोषित किया जाएगा. उन्होंने बताया कि अभी तक भारत में 230.2 मिलियन टन दूध का उत्पादन हो रहा है. इसको साल 2030 तक 300 मिलियन टन और 2047 तक 600 मिलियन टन तक करने की प्लानिंग पर काम हो रहा है.

इस तरह बढ़ाया जाएगा दूध उत्पादन
डॉ. राघवेंद्र भट्टा ने कहा कि दूध उत्पादन में 22 फीसदी दूध की प्रोसेसिंग यानि उत्पाद तैयार हो रहे हैं. इसमें दूध की प्रोसेसिंग भी 50 फीसदी तक बढ़ाने का लक्ष्य तय किया गया है. भारत में दूध उपलब्धता 450 ग्राम प्रति व्यक्ति है. उन्होंने कहा कि गायों भैंस की भारतीय नस्ल वातावरण के अनुकूल हैं. इसमें ऐसी नस्ल चयन की जाएगी, जो ज्यादा दूध उत्पादन कर रही है. जैसे साहीवाल, थारपारकर, गिर डियोली आदि. इनके कम उत्पादन वाले पशुओं जो तीन से चार लीटर दूध देते हैं, क्रॉसब्रीड तैयार की जाएगी. ताकि दूध उत्पादन बढ़ाया जा सके. कहा कि भारत में 5 करोड़ मवेशी हैं. ICR द्वारा हरित धारा जैसे उत्पाद तैयार किए गए हैं, जिसको जानवरों को खिलाए जाने से मीथेन का उत्सर्जन कम होता है.

इन बीमारियों पर भी हो रहा है काम
उन्होंने यह भी कहा कि देश भर में लंपी डिजीज की वजह से दूध उत्पादन में 25 से 50 फीसद तक की कमी आई थी. राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र NRC के वैज्ञानिकों ने लंपी डिसीज की वैक्सीन तैयार की. पहले इस वायरस की पहचान की गई. अब महाराष्ट्र सरकार की तीन एजेंसी को वैक्सीन दी गई है. इसके अलावा घोड़े की ग्लैंडर्स की डायग्नोस्टिक, इन्फ्लूएंजा आदि बीमारी के वायरस पर भी काम किया जा रहा है.

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