नई दिल्ली. भारत में पशुधन की संख्या बहुत है और भारत दुनिया में सबसे ज्यादा दूध उत्पादन करने वाला देश भी है. लगातार कई वर्षों से भारत सबसे ज्यादा दूध उत्पादन करने के मामले में अमेरिका जैसे विकसित देश से भी आगे है. वहीं आने वाले समय में दूध उत्पादन क्षमता और बढ़ सकती है. दिक्कत ये है कि भारत में दूध उत्पादन तो हो रहा है लेकिन प्रति पशु दूध उत्पादन क्षमता कम है, जो डेयरी सेक्टर के लिए चिंता का विषय है. किसान पशुओं से उनकी क्षमता के मुताबिक दूध नहीं ले पा रहे हैं.
प्रति पशु दूध उत्पादन में कमी के कारण पशुपालकों को जितना फायदा मिलना चाहिए वो नहीं मिल पा रहा है. मान लीजिए कि पशु की दूध देने की क्षमता 10 लीटर है लेकिन पशुपालक उससे पांच लीटर ही दूध उत्पादित कर पा रहे हैं तो इससे सीधे तौर हर दिन पांच लीटर दूध का नुकसान हुआ और जिसकी वजह पशुपालकों को कम फायदा होता है. इस आर्टिकल में क्यों दूध उत्पादन कम है इसकी वजह और इसे कैसे बढ़ाया जाए इस बारे में एनिमल डॉ. इब्ने अली ने बताया है.
क्या है चुनौतियां, जानें यहां
जेनेटिक प्रॉब्लम: स्वदेशी मवेशी नस्लों और भैंसों, जो उनकी अनुकूलन क्षमता के लिये बेशकीमती हैं लेकिन अक्सर जेनटिक समस्याओं की वजह से विदेशी नस्लों की तुलना में कम दूध की पैदावार करते हैं.
पोषण की कमी: कई किसान अपने पशुओं को पर्याप्त पोषण नहीं दे पाते हैं. इसके लिए उन्हें दिक्कत होती है. जिसके चलते दूध का उत्पादन कम होता है और पशु स्वास्थ्य से समझौता होता है.
हैल्थ की देखभाल: बीमारी का प्रकोप और पशु चिकित्सा देखभाल तक सीमित पहुंच महत्त्वपूर्ण चुनौतियां पेश करती हैं, जिससे आर्थिक नुकसान होता है और उत्पादकता कम होती है.
पारंपरिक प्रबंधन: पुरानी कृषि तरीकों और आधुनिक प्रबंधन प्रथाओं के बारे में जागरूकता की कमी उत्पादकता में कमी लाने की एक और बड़ी वजह में से एक है.
कैस बढ़ाया जा सकता है प्रोडक्शन
सेलेक्टिव ब्रीडिंग प्रोग्राम: सेलेक्टिव ब्रीडिंग प्रोग्राम को लागू करने और उच्च उपज देने वाली नस्लों के साथ क्रॉसब्रीडिंग को बढ़ावा देने से स्वदेशी लक्षणों को संरक्षित करते हुए दूध उत्पादन में ग्रोथ की जा सकती है.
पोषण कार्यक्रम: संतुलित आहार को अपनाने को प्रोत्साहित करना और गुणवत्ता वाले फीड और पूरक आहार तक पहुंच प्रदान करना डेयरी पशुओं में पोषण संबंधी कमियों को दूर कर सकता है.
बेहतर हैल्थ सर्विस: पशु चिकित्सा के बुनियादी ढांचे को मज़बूत करने और आउटरीच कार्यक्रम आयोजित करने से बीमारियों को नियंत्रित करने और पशु कल्याण को बढ़ावा देने में मदद मिल सकती है.
टेक्नोलॉजी को अपनाना होगा: लागत प्रभावी तकनीकों का परिचय देना और आधुनिक कृषि तकनीकों पर ट्रेनिंग देकर किसानों के लिये उत्पादकता बढ़ाया जा सकता है.
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