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Fish: मछली पालन में बिजली उत्पादन के लिए सरकार दे रही है 3 लाख 75 हजार रुपये, पढ़ें योजना की डिटेल

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प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. मछली पालन में बिजली की भी जरूरत पड़ती है. ऐसे क्षेत्रों में जहां पानी की सतह काफी नीचे है और तालाबों में ज्यादा पानी की जरूरत पड़ती है, तो वहां पर नलकूप आदि चलाने के लिए बिजली की जरूरत पड़ती है. जिससे मछली पालन की कास्ट बढ़ जाती है और मछली पालकों को कम मुनाफा होता है. जिसको देखते हुए हरियाणा सरकार की ओर से मछली विकास कार्यक्रम योजना की शुरुआत की गई है. इसमें फिश फार्मिंग के लिए जरूरी बिजली उत्पादन को लेकर सोलर सिस्टम लगाने में किसानों की मदद की जाती है. मछली किसान सोलर सिस्टम लगवाने के लिए सरकार से मदद ले सकते हैं.

अगर मछली पालन में सोलर सिस्टम लग जाता है तो इससे किसानों की बिजली की समस्या दूर हो जाती है. हालांकि इसके लिए मछली किसानों को पैसे की जरूरत पड़ती है. जिस जरूरत को हरियाणा सरकार पूरा कर रही है. सरकार की ओर से एक किलो वाट से लेकर 10 किलोवाट तक सोलर सिस्टम लगाने पर 75 फीसदी अनुदान देने की बात कही है. यानी मछली पालक को अधिकतम 3 लाख 75 हजार रुपये तक का अनुदान सरकार की ओर से दिया जाएगा. जिसकी मदद से मछली पालक अपने तालाब के पास सोलर सिस्टम लगा सकते हैं.

कौन पा सकता है योजना का लाभ, जानें यहां
बिजली उत्पादन के मकसद से सोलर सिस्टम लगाने के लिए मछली किसानों को अनुदान जरूर मिलेगा लेकिन इसके लिए उनका पात्र होना भी जरूरी है. पात्रता की बात की जाए तो अनुदान पाने वाला मछली पालक किसी सरकारी या और अर्धसरकारी संस्था में कार्यरत नहीं होना चाहिए. जबकि उसकी उम्र 18 वर्ष से काम भी नहीं होनी चाहिए. अगर फायदा पाने वाला मछली पालक हरियाणा राज्य का है, तभी उसे इसका फायदा मिलेगा. वहीं उसे अनुसूचित जनजाति से संबंधित भी होना चाहिए. वहीं आवेदन करने वाले के पास परिवार पहचान पत्र होना भी जरूरी है.

किन दस्तावेजों की पड़ेगी जरूरत
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इसके लिए कुछ जरूरी दस्तावेज भी लगेंगे. जिसमें आप को बर्थ सर्टिफिकेट हाईस्कूल का सर्टिफिकेट, पैन कार्ड, मतदाता कार्ड या ड्राइविंग लाइसेंस देना होगा. वहीं पहचान पत्र के तौर पर राशन कार्ड आधार कार्ड पैन कार्ड या मतदाता कार्ड भी दिया जा सकता है. वहीं मछली पालन का किसी भी सरकारी संस्थान से ट्रेनिंग लेना भी जरूरी है. तभी इस योजना का फायदा मिलेगा. जिस जमीन पर तालाब की खोदाई होगी और जहां मछली पालन किया जाएगा, उसका तहसील भूमि का रिकॉर्ड जमाबंदी नकल देना होगा. वहीं जीएसटी भुगतान भी रसीद वाउचर भी लगाना होगा.

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