नई दिल्ली. गेहूं, मक्का, बाजरा, सरसों या फिर दलहन के साथ आज किसान पशुपालन करके अपनी इनकम को बढ़ा रहे हैं. आज कल कम जगह और कम खर्च में भी पशुपालन किया जा रहा है. बस ध्यान रखने वाली बात है नस्ल की, जो कम रख रखाव और कम खर्च में पाली जा सके, जिससे मुनाफा भी ठीक-ठाक मिल जाए. इसके लिए भेड़ पालन का बिजनेस काफी अच्छा है. भेड़ पालन में कम मेहनत कम खर्च होता है. आज आंध्र प्रदेश की नस्लों के बारे में बात कर रहे हैं. भेड़, गाय और मुर्गी की ये नस्लें बेहर प्रसिद्ध हैं. आइये जानते हैं इनके बारे में. आंध्र प्रदेश में नेल्लोर भेड़, असील मुर्गे पूरे देश में अपनी पहचान बनाते हैं.
असील नस्ल का ये मुर्गा बेहद मजबूत होता है. इसकी शारीरिक बनावट ही ऐसी होती है, जो इसे बहुत मज़बूत बनाती है. इसमें बहुत ताकत और एनर्जी होती है. जिसकी वजह से यह लड़ाई के बहुत तेज होता है.
असील मुर्गा: असील नस्ल के मुर्गे और मुर्गियों का चूजा आंध्र में मिलता है. अब ये नस्ल छिंदवाड़ा जिले में भी मिल रही है. बाजार में असील नस्ल के मुर्गे के मांस और अंडे की बहुत ज्यादा डिमांड है. ये मुर्गा एक से डेढ़ साल में 3 से 4 किलो का हो जाता है और मुर्गी 2 से 3 किलो की हो जाती है. इनका अंडा भूरे और क्रीम रंग का होता है.
भेड़ों की ये हैं प्रजातियां: नेल्लोर, प्रकाशम और ओंगोल आंध्र प्रदेश की नस्ल है. इस का शरीर लंबा और पतला होता है. पेट, पैरों, आंखों, मुंह और थूथन के निचले हिस्से पर काले रंग के साथ अधिकांश सफेद कोट होता है. बालों वाला शरीर होता है, यानि पूरे शरीर पर बाल होते हैं. इसके कान पतले होते हैं और पूंछ छोटी यानि पतली होती है. इस भेड़ से ऊन, मीट और दूध अच्छी मात्रा में मिलता है.
पुंगनूर गाय: ये लगभग ढाई फीट तक होती है. किसी भी पशुपालक के लिए इस गाय को पालना बहुत ही आसान है. ये अधिक मात्रा में चारा नहीं खाती है. 1 दिन में सिर्फ पांच किलो तक चारा खाती है और तीन लीटर तक दूध देने की क्षमता रखती है. इसकी नस्ल 112 साल पुरानी बताई जाती है.
ओंगोल नंदी: आंध्र प्रदेश के कुरनूल, प्रकाशम, गुंटूर, कृष्णा, नेल्लोर, पूर्वी गोदावरी, पश्चिमी गोदावरी, विशाखापत्तनम और विजयनगरम जिले में पाए जाते हैं. नर में मुख्य रूप से चमकदार सफेद कोट, गहरा सिर, गर्दन और कूबड़ होता है. चौड़ा माथा होता है. चिकनी बहने वाली सिलवटों के साथ चमकदार ओसलाप छोटे सींग, बाहर की ओर रखे गए ट्यूबलर क्षैतिज कान होते हैं.
मोटू गाय: ये ओडिशा का मलकानगिरी जिला छत्तीसगढ़ के निकटवर्ती जिले आंध्र प्रदेश के निकटवर्ती जिले में पाई जाती हैं. इनका मध्यम आकार का शरीर होता है. लाल/भूरे रंग का कोट होता है. ज़्यादातर सींग रहित (सींग छोटे और सीधे, कभी-कभी) छोटा कूबड़ होते हैं.
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