नई दिल्ली. भेड़ पालन में भी अच्छा मुनाफा पशुपालक उठा रहे हैं. भेड़ पालन करके ऊन और मीट से कमाई की जाती है. मीट खाने के शौकीन लोगों में भेड़ का मीट काफी पसंद किया जाता है. वहीं भेड़ को मीट के लिए अरब कंट्री में भी एक्सपोर्ट किया जाता है. जबकि देश में भी भेड़ के मीट की खूब डिमांड है. आज हम आपको देश के एक ऐसे राज्य की भेड़ की जानकारी दे रहे हैं, जो अपने मीट और ऊन के लिए जानी जाती है. भेड़ की ये नस्ल है शाहबादी. यह मध्यम आकार की होती है और इसकी ऊन का रंग ज्यादातर ग्रे होता है.
भेड़ पालन से ग्रामीण इलाकों के किसान अच्छा खासा मुनाफा हासिल कर सकते हैं. भेड़ पालन बहुत ही फायदा पहुंचाने वाला कारोबार है. बकरी पालन के मुकाबले अगर आप भेड़ पालन करते हैं तो तीन तरह से कमाई कर सकते हैं. एक तो भेड़ से दूध और मीट का कारोबार तो किया ही जा सकता है. साथ ही ऊन भी प्राप्त होती है. शाहबादी भेड़ के बारे में आइये जानते हैं और अधिक जानकारी.
शाहबादी की खासियत: शाहबादी भेड़ मध्यम आकार की होती है. इसके कान मध्यम आकार के और लटके हुए होते हैं. आमतौर पर ग्रे रंग की होती है, लेकिन कभी-कभी काले धब्बों के साथ भी मिलती है. इन भेड़ों की पूंछ लंबी और पतली होती है. ऊन मोटा, बालों वाला और खुला होता है. इनके पैर ऊन से रहित होते हैं. शाहबादी भेड़ को भदरवाह के नाम से भी जाना जाता है. वैसे देश में भेड़ों की लगभग 40 नस्लें हैं, जिनमें से 24 अलग-अलग हैं. ये बिहार के भोजपुर, रोहतास, कैमूर, बक्सर, पटना, गया, औरंगाबाद, जहानाबाद और अरवल जिले में पाई जाती हैं.
ये चीजें है बेहद जरूरी: भेड़ आमतौर पर नौ महीने की आयु में पूर्ण वयस्क हो जाती है. लेकिन स्वस्थ मेमने लेने के लिए यह जरूरी है कि उसे एक वर्ष का होने के बाद ही गर्भधारण कराया जाए. भेड़ों में प्रजनन आठ वर्ष तक होता है. गर्भवस्था औसतन 147 दिन की होती है. भेड़ 17 दिन के बाद 30 घंटे के लिए गर्मी में आती है. गर्मी के अंतिम समय में मेंढे़ से सम्पर्क करवाने पर गर्भधारण की अच्छी सम्भावनाएं होती है. गर्भवस्था और उसके बाद जब तक मेमने दूध पीते है, भेड़ के पालन−पोषण पर अधिक ध्यान देना चाहिृए. एक मादा भेड़ को गर्भवस्था और उसके कुछ समय बाद तक संतुलित एवं पोष्टिक आहार अन्य भेड़ों की अपेक्षा अधिक देना चाहिए.
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