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Animal News: जानें एनएलएम योजना के तहत हो रहे क्या काम, किसानों को कैसे मिल रहा इसका फायदा

सीता नगर के पास 515 एकड़ जमीन में यह बड़ी गौशाला बनाई जा रही है. यहां बीस हजार गायों को रखने की व्यवस्था होगी. निराश्रित गोवंश की समस्या सभी जिलों में है इसको दूर करने के प्रयास किया जा रहे हैं.
प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. पशुपालन को लेकर सरकार की ओर कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. ताकि इससे किसानों को फायदा पहुंचाया जा सके और ज्यादा से ज्यादा किसान पशुपालन करके अपनी इनकम को बढ़ा सकें. सरकार की ओर से राष्ट्रीय पशुधन मिशन (एनएलएम) की भी शुरुआत की गई थी. जिसके तहत कई काम किए जा रहे हैं. जिससे पशुपालन को बढ़ावा मिल रहा है. इससे किसानों को फायदा भी पहुंच रहा है. आइए इस आर्टिकल में जानते हैं कि राष्ट्रीय पशुधन मिशन (एनएलएम) से क्या-क्या फायदे मिल रहे हैं.

बता दें कि इस योजना में रोजगार सृजन, उद्यमिता विकास, प्रति पशु उत्पादकता में वृद्धि और इस प्रकार मांस, बकरी के दूध, अंडे तथा ऊन के उत्पादन में वृद्धि को लक्षित करने पर बल दिया जाता है.

चारा उत्पादन के लिए उठाया ये कदम
गौरतलबब है कि 21 फरवरी 2024 से ऊंट, घोड़े, गधे, खच्चर के विकास जैसे नए कार्यकलापों को शामिल करने के लिए योजना में संशोधन किया गया था. पहली बार इन पशुओं को व्यक्तिगत, एफपीओ, एसएचजी, जेएलजी, एफसीओ और धारा 8 कंपनियों के प्रोत्साहन के माध्यम से प्रजनक फार्मों की स्थापना के लिए शामिल किया गया है. हरे चारे की आवश्यकता को पूरा करने के लिए सामान्य चारागाह भूमि, डिग्रेडेड वन भूमि, बंजर भूमि और वन भूमि में चारा उत्पादन के लिए कार्यकलाप किए जाते हैं. इससे चारे की खेती क्षेत्रफल को बढ़ाने में मदद मिलेगी.

15 फीसदी प्रीमियम पर हो रहा पशुओं का बीमा
वहीं केंद्र सरकार ने पशुधन बीमा कार्यक्रम को भी सुव्यवस्थित किया है. लाभार्थी द्वारा प्रीमियम योगदान का हिस्सा घटाकर 15 प्रतिशत कर दिया गया है जो पहले तमाम लाभार्थियों और अलग-अलग श्रेणी के राज्यों के लिए 20 प्रतिशत से 50 प्रतिशत के बीच था. अब फायदा पाने वाले लोग केवल 15 प्रतिशत प्रीमियम राशि देकर अपने पशुओं का बीमा करवा सकते हैं जबकि प्रीमियम की शेष राशि का भुगतान केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा सामान्य राज्यों के लिए 60:40 के आधार पर, उत्तर पूर्वी और हिमालयी राज्यों लिए 90:10 के आधार पर होगा जबकि केंद्रशासित प्रदेशों के लिए शत प्रतिशत प्रीमियम राशि केंद्र सरकार भरेगी.

जानें किन पशुओं का हो सकता है बीमा
साथ ही, एक लाभार्थी द्वारा बीमा किए जाने वाले पशुओं की संख्या भी 5 गोपशु इकाई (1 गोपशु इकाई = एक बड़ा पशु या 10 छोटे पशु) से बढ़ाकर 10 गोपशु इकाई कर दी गई है. अब एक लाभार्थी 100 छोटे पशुओं और 10 बड़े पशुओं का बीमा कर सकता है. हालांकि, सुअर और खरगोश के लिए पशुओं की संख्या 5 गोपशु इकाई होगी. मौजूदा समय में, बीमा प्रतिशत केवल 0.98 फीसी है, सरकार ने देश में कुल पशु आबादी के 5 फीसदी को शामिल करने की पहल की है.

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