Home पशुपालन IVRI: देश ही नहीं विदेशी एक्सपर्ट ने भी इन 4 तकनीकी विषयों पर छात्रों को दिया ज्ञान
पशुपालन

IVRI: देश ही नहीं विदेशी एक्सपर्ट ने भी इन 4 तकनीकी विषयों पर छात्रों को दिया ज्ञान

IVRI
वकशॉप में शामिल हुए छात्र और एक्सपर्ट.

नई दिल्ली. भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर के जीवाणु एवं कवक विज्ञान विभाग में “हैंड्स ऑन ट्रेनिंग ऑन बेसिक एंड एडवांस्ड टेक्निक्स फॉर बैक्टीरियल एंड फंगल डिजीज डायग्नोसिस” पर एक डीएसटी-एसईआरबी प्रायोजित कार्यशाला का आयोजन किया गया. ​जिसमें देश के 10 राज्यों से विभिन्न विषयों में मास्टर या डॉक्टरेट की डिग्री हासिल करने वाले ट्रेनीज ने कार्यशाला में भाग लिया. इस कार्यशाला में देश के विभिन्न भागों, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश उतराखंड, पंजाब राजस्थान, हिमांचल प्रदेश ,नई दिल्ली, पुंडुचेर्री सहित, १५ विश्यविद्यालयो एवं राष्ट्रीय संस्थानो से मास्टर्स और पीएचडी के कुल 20 छात्र शामिल हुए थे.

समापन समारोह में डॉ. पी दंडपत, एचडी बीएंडएम, डॉ. आर.के. अग्रवाल, एचडी बायोलॉजिकल प्रोडक्ट्स और डॉ अमित कुमार, प्रधान वैज्ञानिक , पशु अनुवांशिकी एवं प्रजनन, डॉ मुथु शंकर, प्रधान वैज्ञानिक, परजीवी विज्ञानं , डॉ प्रसाद थॉमस, वरिष्ठ वैज्ञानिक जीवाणु एवं कवक विज्ञानं विभाग, डॉ हिमानी धांजे, वैज्ञानिक पशुजन्य रोग स्वास्थ विभाग एवं अन्य संकाय सदस्यों ने इस अवसर की शोभा बढ़ाई.

छात्रों को मिला सीखने का मंच
कार्यशाला के समापन समारोह को संबोधित करते हुए डॉ. पी दंडपत ने कार्यशाला के विषय पर प्रसन्नता व्यक्त की. उन्होंने छात्रों से भविष्य के शोध के साथ-साथ दोस्तों के बीच तकनीकों को दोहराने का आग्रह किया ताकि इस तरह के प्रशिक्षण आयोजित करने का हमारा मकसद पूरा हो सके. उन्होंने आज के वैज्ञानिक युग में उच्च-स्तरीय उपकरणों की भूमिका के महत्व पर भी जोर दिया. यह कार्यशाला पारंपरिक और अत्याधुनिक तकनीकों में प्रैक्टीकल एक्सपीरियंस प्राप्त करने का अवसर प्रदान करने पर केंद्रित थी. कार्यशाला का समग्र उद्देश्य एक सीखने का मंच प्रदान करना और युवा दिमाग को सेनसेटिव बनाना था ताकि प्रतिभागी इस सीख को अपने उच्च अध्ययन या अनुसंधान गतिविधियों में लागू कर सकें.

वर्कशॉप को चार कैटेगरी में बांटा
इस कार्यशाला के पाठ्यक्रम निदेशक डॉ. अभिषेक ने वर्कशॉप में दिए गए लेक्चर और प्रैक्टिकल के बारे में भी बताया. डॉ अभिषेक ने इस अवसर पर प्रशिक्षण में प्रत्यक्ष या प्रत्यक्ष रूप से जुड़े सभी का आभार व्यक्त किया. डॉ. अभिषेक ने बताया की पूरी कार्यशाला को चार तकनीकी विषयों में बांटा गया था. बेसिक टेक्निक्स फॉर इन्वेस्टीगेशन ऑफ़ बैक्टेरियल एंड फंगल डिजीज एंटीमाइक्रोबियल टेमिक्रोबिअल सेंस्टिविटी टेस्टिंग, स्टैण्डर्ड प्रोटोकॉल एंड प्रोसेदूरेस फॉर डिफरेंट पैथोजन्स, लेबोरेटरी प्रोटोकॉल्स फॉर डिजीज डायग्नोसिस और अडवनासद टेक्निक्स फॉर डिजीज डायग्नोसिस ऑफ़ पैथोजन्स.

विदेशी एक्सपर्ट ने भी दी ट्रेनिंग
हर तकनीकी सत्र को इस तरह डिज़ाइन किया गया था छात्र प्रक्रिया के प्रत्यक्ष प्रदर्शन के बाद तकनीक के बुनियादी सिद्धांतों को समझने में सक्षम हो सकें. इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में जीवाणु एवं कवक विज्ञान विभाग के अलावा जैविक उत्पाद, जैविक मानकीकरण, बायोटेक्नोलॉजी, बायोकेमिस्ट्री, पैथोलॉजी, फिजियोलॉजी, इम्यूनोलॉजी, वेटरनरी पब्लिक हेल्थ, और एपिडेमियोलॉजी के संकाय सदस्य भी शामिल किए गए. तीन व्याख्यान विदेशी विशेषज्ञों द्वारा भी इस कार्यशाला के दौरान ऑन लाइन माध्यम से दिए गए. इनमें दो विशेषज्ञ इटली से एवं एक विशेषज्ञ पेरिस से अपना ज्ञान ट्रेनिंग के छात्रों से साझा किया.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

ये गाय गोवा के जलवायु का सामना करने की बेहतरीन क्षमता रखती है. सबसे बड़ी खासियत यही है. इस नस्ल की गाय खासियत ये भी है कि ये बहुत ही कम खर्च में अपना गुजारा कर लेती है.
पशुपालन

Native Breed Of Goa: गोवा की पहचान है श्वेता कपिला गाय, जानिए क्या है इसकी खासियत

ये गाय गोवा के जलवायु का सामना करने की बेहतरीन क्षमता रखती...

सीता नगर के पास 515 एकड़ जमीन में यह बड़ी गौशाला बनाई जा रही है. यहां बीस हजार गायों को रखने की व्यवस्था होगी. निराश्रित गोवंश की समस्या सभी जिलों में है इसको दूर करने के प्रयास किया जा रहे हैं.
पशुपालन

Animal Husbandry: नई तूड़ी देने से पशुओं को हो सकती है ये परे​शानियां, क्या सावधानी बरतें, जानें यहां

पशुओं में पाचन सम्बन्धी समस्या हो जाती हैं. वैज्ञानिकों ने बताया कि...