नई दिल्ली. गुरु अंगद देव पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय पशु चिकित्सा होम्योपैथी पर एक ऑनलाइन पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स शुरू करने जा रहा है. यह कोर्स 6 महीने में पूरा किया जा सकता है. इस कोर्स में पांच मॉड्यूल में होम्योपैथिक चिकित्सा के विभिन्न पहलुओं पर 60 ऑनलाइन व्याख्यान शामिल किए जाएंगे. जिसमें बुनियादी प्रिंसिपल्स और एथिक्स और मोराइलिटी, होम्योपैथिक फार्मेसी, होम्योपैथिक सामग्री मेडिका की मूल बातें, उपचार चयन और रिपर्टोराइजेशन और पशु चिकित्सा होम्योपैथी के नैदानिक अभ्यास शामिल होंगे.
इस बात का जिक्र करना जरूरी है कि विश्वविद्यालय का टीचिंग पशु चिकित्सा अस्पताल उत्तर भारत के सबसे व्यस्त अस्पतालों में से एक है जो पंजाब और आसपास के राज्यों के पशुधन और साथी जानवरों की देखभाल करता है. इस अस्पताल में एलोपैथिक चिकित्सा प्रणाली का का इस्तेमाल करके सालाना विभिन्न प्रजातियों के लगभग 33,000 पशुधन का इलाज किया जाता है. हालाँकि, कुछ गंभीर और पुरानी बीमारियों में प्रमुख होम्योपैथ के परामर्श से होम्योपैथिक दवाओं का भी अक्सर उपयोग किया जाता है.
इसलिए डिजाइन किया गया है ये कार्स
यह कोर्स जानवरों के इलाज में वैकल्पिक चिकित्सा विशेषकर होम्योपैथी की बढ़ती भूमिका को ध्यान में रखते हुए शुरू किया गया है. जो मनुष्यों के समान ही प्रभावी पाया गया है. दूसरी ओर, होम्योपैथी से उपचार की लागत भी कम हो जाती है, जो जानवरों में एंटीबायोटिक दवाओं के आलॉजिकल उपयोग के साथ खाद्य श्रृंखला में एंटीीमाइक्रोबिलय रेडीयूज अवशेषों (एएमआर) की बढ़ती समस्या के संबंध में भी महत्वपूर्ण है. यह कोर्स उन पशु चिकित्सा स्नातकों की तत्काल मांग को पूरा करने के लिए भी डिज़ाइन किया गया है जो वैकल्पिक चिकित्सा के रूप में होम्योपैथी में अपने ज्ञान का विस्तार करना चाहते हैं.
अप्रैल में शुरू होगा पहल बैच
इस कोर्स को शुरू करने के लिए, विश्वविद्यालय ने भारत के चार प्रतिष्ठित होम्योपैथ और तीन प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय होम्योपैथ का सहयोग लिया है. जिनके पास पशु चिकित्सा होम्योपैथी में व्यापक अनुभव है. पहला बैच अप्रैल, 2024 से शुरू होगा. विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. इंद्रजीत सिंह ने इस पहल के लिए संकाय सदस्यों को बधाई दी और अनुमान लगाया कि यह पाठ्यक्रम निश्चित रूप से पशु चिकित्सा में कुछ पुरानी बीमारियों के प्रबंधन में सुधार करेगा.
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