नई दिल्ली. महामारी की तैयारी और और इसे रोकने के लिए G20 महामारी निधि की ओर से भारत को 200 करोड़ रुपये की मदद मिली है. इस दौरान मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री, प्रो. एसपी सिंह बघेल और जॉर्ज कुरियन मौजूद रहे. वहीं अपने संबोधन में केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह ने पशुधन क्षेत्र के महत्व के बारे में बताते हुए कहा कि ये समाज के सामाजिक और आर्थिक उत्थान में योगदान देता है. वहीं पशुधन क्षेत्र ने विभाग की कई योजनाओं के कार्यान्वयन के साथ पिछले 9 वर्षों में काफी ग्रोथ दिखाई है.
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एनएडीसीपी) के माध्यम से, विभाग का लक्ष्य पशुओं में होने वाली बीमारियों को नियंत्रित करना और उन्हें नियंत्रित करना है. देश से खुरपका-मुंहपका रोग (एफएमडी) और ब्रुसेलोसिस को खत्म करना है. इसी के तहत अब तक कुल 90.87 करोड़ एफएमडी टीके और ब्रुसेलोसिस के लिए 4.23 करोड़ टीके लगाए जा चुके हैं. पशुपालन और डेयरी विभाग देश के नौ राज्यों में एफएमडी रोग मुक्त क्षेत्र बनाने की भी योजना बना रहा है. कहा कि महामारी कोष रोग निगरानी को बढ़ाने के माध्यम से विभाग की मौजूदा पहलों का समर्थन करता है, जिसमें प्रारंभिक चेतावनी के लिए जीनोमिक और पर्यावरण निगरानी, प्रयोगशाला बुनियादी ढांचे का विकास, सीमा पार सहयोग शामिल है, और जूनोटिक रोगों की निगरानी और प्रबंधन के लिए एक अधिक एकीकृत प्रणाली का निर्माण करेगा.
पशु स्वास्थ्य प्रबंधन मजबूत करने को हुई ये पहल
इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री ने भारत में पशु स्वास्थ्य प्रबंधन को मजबूत करने के उद्देश्य से दो महत्वपूर्ण दस्तावेज भी जारी किए. मानक पशु चिकित्सा उपचार दिशानिर्देश (एसवीटीजी) जो एक व्यापक दस्तावेज जो पशु चिकित्सा देखभाल के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं को रेखांकित करता है, जिसका उद्देश्य पशुधन के स्वास्थ्य और उत्पादकता में सुधार करना और एंटी-माइक्रोबियल प्रतिरोध के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना का समर्थन करना है. दूसरा पशु रोगों के लिए संकट प्रबंधन योजना (सीएमपी): एक महत्वपूर्ण संसाधन जो पशु रोगों के प्रकोप के प्रबंधन और प्रतिक्रिया के लिए एक रूपरेखा प्रदान करेगा, जिससे तेजी से रोकथाम और शमन सुनिश्चित होगा. ये दस्तावेज पशु चिकित्सकों, नीति निर्माताओं और क्षेत्र के अधिकारियों के लिए महत्वपूर्ण उपकरण के रूप में काम करेंगे, जिससे पशु स्वास्थ्य संकटों के लिए समय पर और प्रभावी प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने और रोग प्रबंधन प्रोटोकॉल में सुधार करने में मदद मिलेगी.
जूनोटिक बीमारियों का जोखिम होगा कम
केंद्रीय मंत्री राजीव सिंह ने वन हेल्थ दृष्टिकोण को अपनाने के महत्व पर जोर दिया, जो स्वास्थ्य संकटों को रोकने और प्रबंधित करने में मानव, पशु और पर्यावरणीय स्वास्थ्य को एकीकृत करता है. हाल ही में सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थिति जानवरों की उत्पत्ति से उत्पन्न हुई है, इसलिए यह परियोजना भविष्य की महामारियों से मानव और पशु दोनों आबादी की रक्षा के लिए जूनोटिक जोखिमों को संबोधित करने की आवश्यकता को पुष्ट करती है. “महामारी की तैयारी और प्रतिक्रिया के लिए भारत में पशु स्वास्थ्य सुरक्षा सुदृढ़ीकरण” पहल जानवरों से इंसानों में फैलने वाली जूनोटिक बीमारियों के जोखिम को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी. महामारी निधि परियोजना भारत की पशु स्वास्थ्य प्रणालियों को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करेगी, जिससे भविष्य की महामारियों के खिलाफ देश की सुरक्षा मजबूत होगी. इसका क्रियान्वयन एशियाई विकास बैंक (एडीबी), खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) और विश्व बैंक की साझेदारी में किया जाएगा. महामारी निधि परियोजना के शुभारंभ के अवसर पर अमिताभ कांत, G20 शेरपा, प्रो. डॉ. वी के पॉल, सदस्य (स्वास्थ्य), नीति आयोग, सुश्री अलका उपाध्याय, सचिव, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय शामिल थे.
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