नई दिल्ली. मछली पालन की जब शुरुआत की जाती है तो मछली बीज तालाब में डाली जाती है. इसलिए मछली पालन में मछली बीज यानि फ्राई की बहुत अहमियत होती है. फ्राई खरीदते समय ध्यान देने योग्य बातों पर गौर किया जाए तो बीज खरीदने के लिए उसको एक कटोरे में लेकर 5-7 मिनट तक देखें कि सारे बीज गतिशील है या नहीं. उसमें कोई बीमारी के धब्बे है या नहीं. एक मादा मछली को एक साल में 2 बार से अधिक प्रजनन नहीं कराया गया हो. कार्प की विभिन्न मछलियों की ब्रीडिंग अलग-अलग कराई गई हो.
वहीं मछली बीज को ले जाने और ले आने में भी कुछ बातों का ख्याल रखना चाहिए. परिवहन सुबह के समय एचडीपीई बैग में एक-तिहाई पानी तथा दो तिहाई ऑक्सीजन के साथ 20-24 घंटे तक के लिए कर सकते हैं. ताकि बीज पर कोई असर न पड़े
तालाब में बीज का संचयन
फ्राई का संचयन ब्लेंडिंग में बहुत अच्छा रहता है. ऐसी स्थित्ति में तालाब के पानी के हरेक भाग का पर्याप्त उपयोग होता है तथा तालाब की उत्पादकता भी बढ़ जाती है. यह ब्लेंडिंग तो सिर्फ देशी कार्प (कतला, रोहु और नैनी) का किया जा सकता है या फिर दोनों देशी तथा विदेशी कार्प (कतला, रोहु, नैनी, कॉमन कार्प, सिल्वर कार्प तथा ग्रास कार्प) का किया जा सकता है. मिट्टी के तालाब में संचित बीजों की संख्या 0.2-0.3 मिलियन फ्राई प्रति हेक्टेयर (2 से 3 लाख फ्राई प्रति हेक्टेयर) किया जा सकता है. जिसकी संख्या तालाब के बेहतर प्रबंधन के साथ बढ़ाया जा सकता है.
तालाब की फर्टिलिटी
मछली पालन में कई बातों का ध्यान रखना होता है. बताते चलें कि कार्प मछलियां प्लैंकटन खासकर जू प्लैंकटॉन, जिसके लिए तालाब की उत्पादकता बढ़ानी बहुत ही आवश्यक है. ताकि तालाब में प्रचुर मात्रा में मछलियों के लिए भोजन उपलब्ध हो. तालाब में हम उर्वरक के रूप में गोबर, महुआ की खल्ली और मुर्गों की बीट को खिलाया जा सकता है.
रियरिंग तालाब का मैनेजमेंट
रियरिंग तालाब में 20-25 एमएम. (2.0-2.5 से. मी.) आकार के बीज को 2-3 माह के लिए पालन पोषण किया जाता है. रियरिंग तालाब का जलक्षेत्र 0.05-0.2 हे० जिसकी गहराई 1.2 से 1.5 मीटर होनी चाहिए. इस तालाब में बीज, पानी के अलग-अलग सतह में रहते है और उनकी खाने का स्वभाव भी बदलता रहता है. आमतौर पर नर्सरी तालाब प्रबंधन की तरह ही बहुत सारे प्रबंधन को यहां भी अपनाया जाता है. संचय से पहले तालाब की तैयारी भी अच्छे ढंग से कर लेनी चाहिए.
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