नई दिल्ली. जब हम तालाब में मछली का पालन करते हैं तो तालाब का प्रबंधन करने की भी जरूरत होती है. अगर तालाब का ठीक ढंग से प्रबंधन नहीं किया गया तो इससे मछली पालन में नुकसान हो सकता है. हो सकता है कि मछलियों में कई तरह की बीमारियां फैल जाएं. खासकर तालाब से एक बार मछली निकालने के बाद कुछ खास बातों का ध्यान देना होता है. जिसका सीधा जुड़ाव मछली के उत्पादन से होता है. जब तालाब से मछली की एक फसल की हरवेस्टिंग कर ली जाए इसके बाद जब दोबारा फिश फार्मिंग की जाती है तो किन बातों का ख्याल रखा जाता है, आइए इस बारे में जानते हैं.
फिश एक्सपर्ट कहते हैं कि जब मछली तालाब में रहती है तो तालाब की देखरेख में पानी का तापमान सामान्य बनाए रखने की जरूरत पड़ती है. तालाब में ऑक्सीजन की कमी होने पर एरिएटर चलाना होता है. ठंड के दिनों में तालाब की सतह पर बर्फ जमने से रोका जाता है. तालाब के पानी को रीसाइकल करके नुकसानदायक गैसों को भी रोका जाता है.
इन बातों का रखें ख्याल
फिश एक्सपर्ट का कहना है कि जब तालाब का कल्चर हो जाता है और मछलियां निकल जाती हैं तो उसमें से पूरी तरह से पानी भी निकाल दिया जाता है.
अगर इसी तालाब में दोबारा से पानी भरकर मछली का बीज डाल दिया जाए तो कल्चर अच्छा नहीं होगा. क्योंकि तालाब में सतह पर गाद रहती है. जब पहली बार कल्चर होता है तो जो मछली वेस्ट करती है वो नीचे बैठ जाता है.
वहीं मछली का खाना नीचे बैठता है और गंदगी तालाब की सतह पर रहती हैं. इसलिए उसे हटाना बेहद ही जरूरी है. इसके लिए हमें धूप में कई दिनों तक तालाब को सुखाना पड़ता है.
जब तालाब पूरी तरह से सूख जाता है तो उसकी सतह सफेद नजर आने लगती है. उसमें दरार पड़ जाती है. तब इस बात जरूरत होती है कि ऊपर की मिट्टी को निकाला जाए.
कई बार लोग यह सोचते हैं कि जब हम ऊपर की मिट्टी को निकलेंगे तो हमारा तालाब गहरा होता चला जाएगा लेकिन मिट्टी निकालना जरूरी होता है.
तीन से चार इंच की मिट्टी को निकाला जाना चाहिए. क्योंकि इसमें जो मछलियों खाना खाती हैं और जो उन्हें भोजन वगैरह दिए जाते हैं और मछली का की बीट उसे पर जम जाती है.
अगर इस ये चीज तालाब में रह गयी तो इससे तालाब में गैस पैदा हो जाएगी. इससे बीमारियां पैदा होंगी और अगला कल्चर अच्छा नहीं हो पाएगा.
इसका मतलब है कि मछली का उत्पादन ठीक नहीं होगा. इसलिए इसे ट्रैक्टर आदि से अच्छी तरह से मिट्टी को हटा देना चाहिए मछली उत्पादन अच्छा मिल सके.
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