नई दिल्ली. भारत की मोदी सरकार की मीट को लेकर बनाई गई बेहतरीन नीतियों का ही नतीजा है कि कोरोना के बावजूद बीते तीन साल में मीट एक्सपोर्ट में 90 हजार टन से ज्यादा का इजाफा हुआ है. भारत का बफैलो मीट एक्सपोर्ट में चौथा नंबर है. जबकि सभी तरह के मीट उत्पादन में भारत का दुनिया में आठवां स्थान है. दुनिया के कुल मीट एक्सपोर्ट में भारत की हिस्सेदारी 40 फीसद से ज्यादा की है. साउथ-ईस्ट और वेस्ट एशियाई देश भारतीय मीट के बड़े खरीदारों में शामिल हैं. सरकार चाहती भी है कि फिश और बफैलो मीट की तरह से पोल्ट्री प्रोडक्ट का भी एक्सपोर्ट बढ़े. बस एक समस्या सामने आती है वो है क्वालिटी की. बेहतर क्वालिटी के चलते हमारा अंडा और चिकन उतनी मात्रा में एक्सपोर्ट नहीं हो पाता, जितना मीट और फिश का होता है. इस समस्या को दूर करने के लिए भारत के केंद्रीय पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने पोल्ट्री फार्मर के साथ मिलकर एक नई पहल शुरू की थी और ये पहल थी डिजीज फ्री कंपार्टमेंट जोन बनाना. अभी तक देश के चार राज्यों में 26 जोन घोषित किए जा चुके हैं.
डिजीज फ्री कंपार्टमेंर्ट घोषित होने पर अंडों का निर्यात भी बढ़ने लगा
विश्व पशु स्वास्थ संगठन (WOAH) ने खुद ही इन पर अपनी मुहर लगाई है. मुर्गी फार्मर की मानें तो डिजीज फ्री कंपार्टमेंर्ट घोषित करने के बाद अंडों का निर्यात भी बढ़ने लगा. इस वित्त वर्ष में पहले नौ महीने के आंकड़े ने बीते साल के आंकड़े को छू लिया है. अब ये आंकड़ा करीब 12 सौ से लेकर 14 सौ करोड़ रुपये तक पहुंचने की संभावना है.
दो गुना हो गया पोल्ट्री एक्सपोर्ट
पोल्ट्री एक्सपर्ट की मानें तो साल 2021-22 में पोल्ट्री एक्सपोर्ट 529 करोड़ रुपये का था तो साल 2022-23 में ये कारोबार डबल से ज्यादा यानी 1081 करोड़ रुपये का पहुंच गया. विशेषज्ञ बताते हैं कि पिछले साल सालों के रिकार्ड पर गौर करें तो ये पहला मौका था जब पोल्ट्री एक्सपोर्ट ने एक हजार करोड़ से ज्यादा के आंकड़े को छूआ हो. अब इस वित्तीय वर्ष की बात करें यानी साल 2023-24 की तो आ रही रिपोर्ट के मुताबिक इस वित्त वर्ष के नौ महीने यानि दिसंबर तक ही पोल्ट्री एक्सपोर्ट 1074 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है. जबकि तीन महीनों का आंकड़ा आना अभी बाकी हैं. ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि एक्सपोर्ट का ये आंकड़ा 12 सौ से लेकर 14 सौ करोड़ के आंकड़े पर पहुंच सकता है.
सरकार ने पोल्ट्री फार्मर के साथ बनाई थी ये रणनीति
भारत सरकार के केंद्रीय पशुपालन और डेयरी सचिव अलका उपाध्याय ने हाल ही में पोल्ट्री सेक्टर से जुड़े मुर्गी पालकों के साथ बैठकी की थी. इसमें पोल्ट्री निर्यात को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी दी गई. इसी बैठक में बायो सिक्योरिटी को लेकर भी मंथन किया गया. बता दें कि इससे पहले सचिव ने डिजीज फ्री कंपार्टमेंट जोन को लेकर अभियान शुरू करवाया था. यही वजह है कि इस अभियान के बाद ही साल 2006 में बर्ड फ्लू का महाराष्ट्र में पहला केस आया था वहीं से इसका सफाया शुरू हो गया.
डिजीज फ्री जोन का अंडा हो रहा एक्सपोर्ट
पोल्ट्री एक्सपर्ट ने बताया कि वर्तमान में महाराष्ट्र के सतारा में दो और पुणे में 11 जगहों को डिजीज फ्री कंपार्टमेंट जोन घोषित कर दिया गया है. इसका मतलब साफ है कि अब यहां के अंडे-चिकन में कोई बीमारी नहीं है. इसी तरह से अभी तक कुल 26 डिजीज फ्री कंपार्टमेंट जोन घोषित किए गए हैं, जिसमें से छत्तीसगढ़ में छह जगहों पर और तमिलनाडू में पांच जगहों पर बर्ड फ्लू फ्री अंडा और चिकन बिक रहा है. जबकि उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में एक जोन घोषित किया गया है. आपको बता दें कि तमिलनाडु के नमक्कल से बड़ी संख्या में अंडा एक्सपोर्ट होता है.
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