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Poultry: कॉन्ट्रैक्ट पोल्ट्री फार्मिंग में ज्यादा फायदा होता है या खुद से मुर्गी पालन करनें में, जानें यहां

ये बीमारी सभी उम्र की मुर्गियों व टर्की में समान रूप से पाई जाती है.
प्रतीकात्मक फोटो, Live stock animal news

नई दिल्ली. पोल्ट्री फार्मिंग दो तरह से की जा सकती है. एक तरीका यह है कि आप खुद से पोल्ट्री से फॉर्म बनवाएं और खुद ही चूजों को खरीदें और फार्मिंग करने के बाद जब 35 दिनों में मुर्गी तैयार हो जाए तो आप इसे सेल कर दें. वहीं कांट्रैक्ट फार्मिंग में किसान किसी कंपनी के लिए मुर्गी पलता है. इस व्यवसाय में किसान को मुर्गी तैयार होने पर तय कीमत मिलती है. दोनों ही तरह से पोल्ट्री फार्मिंग के अपने—अपने फायदे हैं. पोल्ट्री एक्सपर्ट कहते हैं कि पोल्ट्री फार्मिंग के दोनों ही तरीका सही है लेकिन किसान की खुद की समझ पर कि वो कौन सा तरीका चुनता है.

बात की जाए कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की तो कॉन्ट्रैक्ट पोल्ट्री फार्मिंग में किसान को मुर्गी तैयार होने के बाद कीमत मिलती है. कॉन्ट्रैक्ट पोल्ट्री फार्मिंग से फार्मिंग संगठित होती है और किसानों को बेहतर भाव भी मिलता है. आपको सेल्फ फार्मिंग करनी चाहिए कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग, आइए इस बारे में जानते हैं.

कौन सा है बेहतर तरीका, जानें यहां
पोल्ट्री एक्सपर्ट कहते हैं कि पोल्ट्री फार्मिंग का पहला तरीका, यानि कॉन्ट्रैक्ट पोल्ट्री फार्मिंग की बात की जाए तो इसमें प्रिंसिपल अमाउंट खुद ही खर्च करना होगा.

स्ट्रक्चर बनाने के लिए जो भी खर्च होगा वो खुद करना होता है. जैसे पोल्ट्री फार्म में को बनाने में आने वाली लागत, तमाम उपकरण जैसे ब्रूडर आदि की व्यवस्था खुद करनी पड़ती है.

इसमें आपको कंपनी की ओर से कोई पैसा नहीं मिलता है. कंपनी इसमें आपको बच्चा दाना और दवा वगैरह देती है. इसके अलावा मेंटेनेंस पर भी कुछ खर्च कंपनी की ओर से दिया जाता है.

मुर्गी को तैयार होने में 35 दिन का समय लगता है. 35 दिन के बाद चूजा मुर्गी के तौर पर तैयार हो जाता है और फिर इसे सेल कर दिया जाता है.

अगर आप कॉन्ट्रैक्ट पोल्ट्री फार्मिंग कर रहे हैं तो परसेंटेज में इनकम होगी. पोल्ट्री एक्सपर्ट यह कहते हैं कि कोई पोल्ट्री फार्म का काम शुरू करना चाहता है तो शुरू में उसे कॉन्ट्रैक्ट पोल्ट्री फार्मिंग करना चाहिए.

अगर आप अपने आप खुद ही पोल्ट्री फार्मिंग यानि सेल्फ फार्मिंग करते हैं तो पूरा पैसा खुद लगाना होता है. स्ट्रक्चर बनाने से लेकर बच्चा, दाना सब खर्चा आपको खुद उठाना होगा.

इस प्रक्रिया में भी 35 दिन के बाद बच्चा सेल होने की पोजीशन में आ जाता है. ऐसे में जो भी बिक्री होती है, पूरी बचत आपकी होती है. इसके बाद आप दोबारा इस काम को शुरू कर सकते हैं.

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