नई दिल्ली. कड़कनाथ और वनराजा नाम के मुर्गों के नाम तो सुने होंगे लेकिन अभी उस मुर्गे का नाम नहीं सुना होगा, जिसके पैर ऐसे लगते हैं जैसे वो पैर नहीं ईंट है. इसे भारत ही नहीं बल्कि दुनिया का अनोखा मुर्गा कहा जाता है. ‘डॉन्ग टाओ’ यानी ड्रैगन चिकन. बता दें कि इसका सबसे पहले वियतनाम की राजधानी हनोई में शुरू किया गया था. इसकी एक और खास बात ये है कि इस ब्रीड के मुर्गे की टांगे सामान्य मुर्गों के मुकाबले मोटी होती हैं और देखने में पत्थर जैसी लगती हैं. पहले इस मुर्गे का पालन केवल वियतनाम में ही किया जाता था, लेकिन लगातार बढ़ रही मांग के बाद दुनिया के अन्य देशों में भी इसका पालन शुरू कर दिया है. हालांकि अभी हिंदुस्तान में लोगों को ‘डॉन्ग टाओ’ के बारे में बहुत ज्यादा जानकारी नहीं है.
हिंदुस्तान में चिकन खाने वालों लोगों की संख्या बहुत अधिक है. लोग चिकन के बने कई प्रकार की डिश के दीवाने हैं। यही वजह है कि देश में अन्य मीट के मुकाबले चिकन को बहुत ज्यादा पसंद किया जाता है और इसकी खपत भी अन्य के मुकाबले बहुत है. एक बात ये भी देखने को मिलती है कि क्षेत्र के हिसाब से जैसा खानपान वैसी ही चिकन की डिश बनाई जाती है. अभी तक चिकन का रेट 250 से लेकर 1500 रुपये किलो तक तो सुना है, लेकिन ‘डॉन्ग टाओ’ यानी ड्रैगन चिकन की कीमत सुनकर लोगों के पैरों तले जमीन खिसक जाएगी. इस चिकन की रेट लाख रुपये से भी ज्यादा है. अब लोग इस रेट को सुनकर इस बात को झूठ मान रहे होंगे लेकिन ये सौ आना सच है. गौरतलब है कि वियतनाम में पाए जाने वाले एक मुर्गे की कीमत लाखों में है. इसीलिए हम बात कर रहे हैं कि ‘डॉन्ग टाओ’ की. इस मुर्गे को ड्रैगन चिकन के नाम से भी पुकारा जाता है. एक्सपर्ट की मानें तो एक ड्रैगन चिकन की कीमत में भारत की सबसे महंगे किचन में शुमार कड़कनाथ के 200 मुर्गे खरीदे जा सकते हैं.
कीमत डेढ़ लाख से भी ज्यायदा : सबसे पहले ‘डॉन्ग टाओ’ यानी ड्रैगन चिकन को वियतनाम की कैपिटल हनोई में ही पालना शुरू किया गया था. एक किसान ने एक छोटे से फार्म को खोलकर इसकी शुरूआत की थी. लगातार इसकी नस्ल बढ़ती चली गई. एक्सपर्ट बताते हैं कि इस ब्रीड के मुर्गे की टांगें नॉर्मल मुर्गों के मुकाबले काफी मोटे होते हैं और देखने में ईंट-पत्थर की तरह लाल होते हैं. इसके अलावा अगर इसकी कीमत की बात करें तो वर्तमान समय में एक ड्रैगन किचन की कीमत करीब 1,65,000 रुपये बताई जा रही है. वियतनाम में भी इस ब्रीड के मुर्गों की संख्या बहुत ही कम है इसलिए वहां के लोग इस मुर्गे का सेवन मुख्य त्योहार लूनर न्यू ईयर पर ही करते हैं.
ड्रैगन चिकन में फैट की मात्रा कम : अगर आप भी ‘डॉन्ग टाओ’ यानी ड्रैगन चिकन को अपने फार्म में पालना चाहते हैं तो इसके लिए चूके वियतनाम से मंगाने होंगे. ड्रैगन चिकन की खुराक देसी मुर्गों के मुकाबले कई गुना ज्यादा है. साथ ही इसका वजन भी काफी अधिक होता है. इस चिकन का वजन 10 किलो तक हो सकता है. वहीं ड्रैगन चिकन की सबसे बड़ी खासियत है कि इसके मीट में फैट बहुत कम होता है.
जायके के साथ सेहत के लिए भी फायदेमंद: ब्रायलर, कड़कनाथ और वनराजा मुर्गों के मुकाबले डॉन्ग टाओ चिकन खाने में बेहद जायकेदार होता है, जिसे लोग खूब पसंद करते हैं. इस चिकन खाने से हेल्थ भी हैं, जिसके लिए ये चिकन फेमस भी हैं. ड्रैगन चिकन का मांस अन्य चिकन की तुलना में प्रोटीन से भरपूर और कम वसा वाले होता है. यह उन व्यक्तियों के लिए एक अच्छा विकल्प है, जो अपने प्रोटीन सेवन को बढ़ाना चाहते हैं.










