नई दिल्ली. पशुपालक यदि गोबर से बायोगैस और जैविक खाद बनाने लगें तो उन्हें इसका बहुत फायदा होगा. हालांकि अधिकतर पशुपालकों को इस बारे में जानकारी नहीं होती है. अमृतसर मिल्क यूनियन के निदेशक मंडल ने उपाध्यक्ष भूपिंदर सिंह और महाप्रबंधक हरमिंदर सिंह सिंधु के नेतृत्व में जब पंजाब के पशुपालकों ने एनडीडीबी आनंद में अपने बोर्ड ओरिएंटेशन कार्यक्रम के हिस्से के रूप में जब एनडीडीबी के अध्यक्ष डॉ. मीनेश सी शाह से मुलाकात की तो उन्होंने गोबर का इस्तेमाल करके बायोगैस और जैविक खाद बनाने के बारे में अहम जानकारी दी.
जहां इस चर्चा के दौरान, दुग्ध संघ ने प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण, ढांचागत विकास के क्षेत्रों में एनडीडीबी के समर्थन और मार्गदर्शन की मांग की तो वहीं एनडीडीबी अध्यक्ष ने दुग्ध संघ को आवश्यक सहयोग का आश्वासन दिया. वहीं डॉ. शाह ने मवेशियों के गोबर से बायोगैस और जैविक खाद उत्पादन की क्षमता पर प्रकाश डालते हुए टीम को कुशल खाद प्रबंधन मॉडल के बारे में विस्तार से भी समझाया. उन्होंने बताया कि यह मॉडल न केवल कचरे का कुशलतापूर्वक प्रबंधन करता है बल्कि डेयरी किसानों के लिए अतिरिक्त आय भी पैदा करता है और उनकी आजीविका को बेहतर बनाने में मदद करता है.
क्या है बायोगैस
बताते चलें कि पशुओं के गोबार से बायोगैस (मीथेन या गोबर गैस) मवेशियों के उत्सर्जन पदार्थों को कम ताप पर डाइजेस्टर में चलाकर माइक्रोब उत्पन्न करके हासिल की जाती है. इस प्रोसेस को पूरा करने पर जो जैव गैस हासिल होती है उसमें 75 प्रतिशत मेथेन गैस होती है, जो बिना धुआं उत्पन्न किए जलती है. जबकि ये लकड़ी, चारकोल तथा कोयले के विपरीत जलने के पश्चात राख जैसे कोई उपशिष्ट भी नहीं छोड़ती है.
जैविक खाद
कृषि विशेषज्ञ कहते हैं कि खाद बनाने के लिए 10 किलो गोबर, 10 लीटर गोमूत्र, एक किलो चोकर, एक किलो गुड़ मिलाकर मिश्रण तैयार किया जाता है. एक्सपर्ट के मुताबिक इस सारी सामग्रियों को आप हाथ से भी मिला सकते हैं. या फिर किसी लकड़ी के डंडे वगैरह की मदद मिलाया जा सकता है. हालांकि अच्छी तरह से मिलाना जरूरी होता है. मिश्रण ठीक से बन जाए तो फिर इसमें एक से दो लीटर पानी और डाल दें. इसके बाद इसे 20 दिनों ताक ढांककर रखना चाहिए.
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