नई दिल्ली. लोगों को प्योर दूध के नाम पर नकली दूध खूब बेचा जाता है. इसका बहुत बड़ा बाजार है. आम लोगों के बस की बात भी नहीं है कि इसके मिलावटी होने की पहचान कर सकें. खैर, किसी भी पशु के दूध की जांच करने का अपना—अपना तरीका होता है, लेकिन एक पशु का दूध ऐसा भी होता है जिसके ऊपर जमी मलाई इस बात की ओर इशारा करती है कि दूध में मिलावट है. दरअसल, बकरी के दूध के साथ उल्टा सिस्टम है. उसमें मिलावट की गई तो उसमें मलाई जम जाएगी. जबकि गाय-भैंस के दूध को गर्म करते हुए अगर मलाई कम जमती है तो माना जाता है कि दूध में मिलावट है. केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा के डायरेक्टर मनीष कुमार चेटली कहते हैं कि बकरी के दूध में से एक अलग ही तरह की स्मेल आती है जो इसकी बड़ी पहचान है.
एक मसला ये भी है कि बकरी के दूध में से आने वाली खास तरह की स्मेल के चलते ही बहुत सारे लोग इसे नहीं पीते हैं. जबकि ये कई बीमारियों के लिए मुफीद है. बीमारी के समय में पीने के लिए बाजार में फ्लेवर्ड मिल्क भी मिलता है. जिस वजह से उस खास तरह की स्मेल से भी दूध की मिलावट को नहीं पकड़ा जा सकता है. बरबरी नस्ल की बकरियों का ब्रीडिंग सेंटर चलाने वाले राशिद उल हक बताते हैं कि देश में आनलाइन बकरी का पाश्चराइज्ड दूध 200 ग्राम की बंद बोतल में 35 से 40 रुपये तक बेचा जा रहा है. कहा कि अभी अमूल, मदर डेयरी समेत और बड़ी कंपनियों ने बकरी के दूध कारोबार में अभी कदम नहीं रखा है, जिस दिन ऐसा हुआ तो इस दूध की डिमांड बढ़ जाएगी.
वहीं गुरू अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी, लुधियाना के वाइस चांसलर डॉ. इन्द्रजीत सिंह इस संबंध में कहते हैं कि डॉक्टर भी दवा के रूप में बकरी का दूध पीने की सलाह मरीजों को देते हैं. बकरी के चरने की व्यवस्था को देखकर इसके दूध को ऑर्गेनिक भी कहा जा सकता है. वहीं राजस्थान के बकरी पालक शफीक खान कहते हैं कि खासतौर पर बकरी के दूध में मिलावट डेंगू के मरीज के बढ़ने पर ज्यादा हो जाती है. जब हर तरफ डेंगू फैला होता है तो बकरी के दूध को अमृत समझा जाता है. ऐसे मौके पर बहुत सारे लोग बकरी के दूध में गाय का दूध मिलाकर बेचने लगते हैं. क्योंकि गाय और बकरी के दूध में कई चीजों को लेकर समानताएं होती हैं. इसलिए पता करना आसान नहीं होता है कि दूध में मिलावट है या नहीं.
ऐसे करें मिलावट की पहचान
मिलावटी दूध के बारे में सीआईआरजी के डायरेक्टर मनीष कुमार चेटली कहते हैं कि देसी तरीके से मलाई और दूध की खास स्मेल से मिलावट की पहचान की ही जा सकती है. जल्द ही साइंटीफिक किट से भी बकरी के दूध की पहचान हो सकती है. दरअसल, सीआईआरजी किट को बनाने का काम कर रहा है. डायरेक्टर का कहना है कि जल्द ही टेक्नोजलॉजी किसी प्राइवेट कंपनी को ट्रांसफर की जाएगी. जिसके बाद किट बाजार में आ जाएगी. ऐसे में आम लोग भी इसका इस्तेमाल करके बकरी के दूध की जांच कर सकते हें.
इन राज्यों में ज्यादा है दूध देने वाली बकरियां
राजस्थान- 68 लाख
उत्तर प्रदेश- 46 लाख
मध्य प्रदेश- 41 लाख
महाराष्ट्रा- 37 लाख
तमिलनाडु- 32 लाख
कहां कितना होता है दूध उत्पादन
राजस्थान- 21.80 लाख
उत्तर प्रदेश- 13.19 लाख
मध्य प्रदेश- 9.10 लाख
गुजरात- 3.52 लाख
महाराष्ट्रा- 3.22 लाख
नोट- आंकड़े टन में है
साल 2014-15 में दूध देने वाली बकरियों की संख्या 3.09 करोड़ थी.
साल 2020-21 में दूध देने वाली बकरियों की संख्या 3.63 करोड़ हो गई.
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