नई दिल्ली. पशुपालन करना एक बेहतरीन व्यवसाय है. इससे किसान अपनी आय को दोगुना और उससे ज्यादा कर सकते हैं. अब चाहे गाय—भैंस पाली जाये या फिर भेड़-बकरी इन पशुपालनों में अपने-अपने फायदे हैं. पशुपालन के जरिए फायदा उठाकर किसान अच्छी आमदनी कमाते हैं. हालांकि पशुपालन में सबसे ज्यादा नुकसान तब होता है जब पशुपालकों के पशु बीमार पड़ जाते हैं और इसके चलते उनकी मौत हो जाती है. पशुपालकों की मौत होने के कारण उन्हें बड़ा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ जाता है. इस वजह से बहुत से पशुपालक फिर पशुपालन को छोड़ देते हैं.
हालांकि पशुपालक चाहें तो इस बड़े आर्थिक नुकसान से बच भी सकते हैं. इसके लिए पशुपालकों को पशुओं का बीमा कराना होगा. दरअसल, सरकार भी चाहती है कि किसानों की आय को दोगुना कर दिया जाए. इसी वजह से सरकार कई तरह की योजनाएं चलाती रहती है ताकि किसानों की मदद की जाए. एक योजना राष्ट्रीय पशुधन बीमा के नाम से भी संचालित की जा रही है. 2015 में शुरू की गई इस योजना का मकसद पशुपालकों को पशुओं की बीमारी और उनकी मौत से होने वाले नुकसान की भरपाई करना है. आइए इस योजना के बारे में डिटेल से जानते हैं.
3 साल के लिए करा सकते हैं बीमा
बता दें कि सरकार की ओर से राष्ट्रीय पशुधन बीमा योजना मार्च 2015 से शुरू की गई थी. राष्ट्रीय पशुधन मिशन (National Livestock Mission) के तहत रिस्क मैनेजमेंट इंश्योरेंस के नाम से शुरू की गई थी. जानकारों का कहना है कि इस योजना का उद्देश्य पशुपालकों को पशुओं की मृत्यु के कारण हुए नुकसान से सुरक्षा मुहैया करवाना है. बीमा एक बार में एक वर्ष अथवा अधिकतम तीन वर्षों के लिए कराया जाता है. तथा बीमा अवधि समाप्त होने पर उसी पशु का पुनः बीमा कराया जा सकता है. जिससे पशुपालक अपने पशुओं की मौत होने पर नुकसान की भपरपाई कर सकते हैं.
70 फीसदी तक मिलता है कवर
बीपीएल, अनुसूचित जाति व जनजाति के परिवारों की प्रीमियम की 70 प्रतिशत धनराशि सरकार वहन करती है. इसी प्रकार सामान्य छेत्र के सामान्य परिवारों की प्रीमियम की 50 प्रतिशत धनराशि सरकार वहन करती है. वहीं बचे हुए लाभार्थी को देनी होती है. सभी पशुपालक इस योजना का फायदा लें और अपने पशुओं का बीमा कराएं ताकि पशुधन से होने वाली संभावित आर्थिक हानि से अपने आप को सुरक्षित कर सकें. पशु एक्सपर्ट कहते हैं कि इस योजना का फायदा पशुपालकों को उठाना चाहिए.
किन मवेशियों का हो सकता है बीमा
अगर इस राष्ट्रीय पशुधन बीमा योजना की बात की जाए तो इसके अंतर्गत प्रत्येक पशुपालक को गौवंशीय, भैंस वंशीय, घोड़े, गधे, खच्चर, ऊंट, भेड़, बकरी, सुकर एवं खरगोश को बीमित करने की पात्रता है. प्रत्येक पशुपालक 5 बड़े पशु तक अथवा 50 छोटे पशु (भेड़, बकरी, सूकर एवं खरगोश) तक का बीमा करवा सकता है.
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