नई दिल्ली. भारत ही नहीं दुनियाभर में बकरी पालन एक ऐसा व्यवसाय बन गया है जो पशु पलकों को हो बहुत फायदा पहुंचा रहा है. पशुपालक न सिर्फ बकरी के दूध से अच्छी कमाई कर रहे हैं बल्कि मीट से भी मोटी खूब कमाई हो रही है. क्योंकि पिछले कुछ समय से बकरी के दूध की मांग बढ़ी है और इस वजह से पशुपालक दूध को लेकर ज्यादा गंभीर नजर आए हैं. दूध उत्पादन से पैसा कमाने के लिए पशुपालक ऐसी बकरियों को पाल रहे हैं जो ज्यादा दूध दें. हालांकि एक्सपर्ट कहते हैं कि दूध का उत्पादन सिर्फ बकरी की नस्ल पर ही नहीं, बल्कि उनके खान-पान, रखरखाव और पर्यावरण आदि पर भी निर्भर करता है. वही भारत समेत पूरी दुनिया में कुछ ऐसी बकरियों है जो एक दिन में 5 लीटर से 12 लीटर तक दूध देती हैं. आइए उनके बारे में जानते हैं.
पशु पालकों को हो रही है कमाई
इसे पढ़कर आपको जरूर हैरानी हो रही होगी लेकिन 12 लीटर दूध देने वाले भी दुर्लभ नस्ल की बकरी मौजूद है. दुनिया में कुछ ऐसी नस्लें हैं जो इतना दूध देती हैं और पशुपालकों को खूब मोटी कमाई कराती हैं. सानेन बकरी की नस्ल स्विट्जरलैंड की है. इसे दुनिया में सबसे ज्यादा दूध देने वाली बकरी माना जाता है. एक्सपर्ट्स कहते हैं कि प्रतिदिन ये बकरी औसतन 10 से 12 लीटर दूध देने की क्षमता रखती है. इसे पालकर किसान अच्छा मुनाफा हासिल कर सकते हैं.
7 से 8 लीटर देती है दूध
वही टोगेनबर्ग बकरी भी स्विट्जरलैंड की ही नस्ल की है. ये एक और अधिक दूध देने वाली बकरी में शुमार की जाती है. सानेन के मुकाबले इसका दूध उत्पादन कम है लेकिन आम बकरियों के मुकाबले बहुत ज्यादा है. या बकरीद प्रतिदिन 7 से 8 लीटर तक दूध देती है. वहीं भारत की जमुनापारी बकरी भी सबसे ज्यादा दूध देने वाली बकरियां में तीसरे नंबर पर शुमार की जाती है. जमुनापारी बकरी 1 प्रतिदिन औसतन 4 से 5 लीटर दूध देती है. जिसको भारत में खूब पाला जाता है.
देखभाल की है जरूरत
एक्सपर्ट कहते हैं कि यहां ध्यान देने के लिए बात यह है कि यह एक औसत बकरी की दूध उत्पादन करने की क्षमता उसकी उम्र, स्वास्थ्य, आहार और पर्यावरण सभी कारकों पर निर्भर करती है. 12 लीटर दूध देने वाली बकरी बहुत मूल्यवान संपत्ति हो सकती है. इससे किसान को प्रतिदिन हजारों रुपए की आय हो सकती है. हालांकि ऐसी बकरी को पालने के लिए विशेष देखभाल की भी आवश्यकता होगी. एक्सपर्ट कहते हैं की बकरियों को उच्च गुणवत्ता वाला चारा एवं दाना दिया जाना चाहिए और उन्हें स्वस्थ रखने के लिए नियमित टीकाकरण और कृमिनाशक दवा भी दिए देने की जरूरत है.
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