नई दिल्ली. आपके पास जगह की कमी है और पशु पालने का विचार कर रहे हैं तो यह खबर आपके लिए है. आपको ऐसे पशु पालने की जरूरत है, जिसमें कम रख रखाव और कम खर्च हो और मुनाफा भी ठीक-ठाक मिल जाए. इसक लिए आपको भेड़ पालन को चुनना चाहिए. भेड़ पालन में कम मेहनत कम खर्च होता है. दरअसल, भेड़ पालने के लिए महंगे आवास की जरूरत नहीं होती और आहार भी उनका सरल होता है. जबकि इसको पालने से मुनाफा भी ठीक-ठाक हो जाता है. हालांकि हर जानवरों की तरह भेड़ पालने के लिए भी कुछ बातों का ख्याल रखना पड़ता है. भेड़ की किस नस्ल से कैसे लाभ लिया जा सकता है, भेड़ क्या खाती हैं आदि. वैसे तो भेड़ से ऊन, मांस और दूध का व्यापार किया जा सकता है. ताजा आंकड़ों की बात करें देश में 20वीं पशु गणना के मुताबिक 10.26 मिलियन भेड़ हैं.
हर तरह की जलवायु में ढल जाती हैं
भेड़ की प्रजातियां की बात की जाए तो लोही, कूका और गुरेज को दूध के लिए ज्यादा मुफीद माना जाता है. जबकि हसन, नेल्लोर, जालौनी, मांड्या, शाहवादी और बाजीरी को मांस के लिए बेहतर नस्ल माना जाता है. वहीं बीकानेरी, बैलरी, चोकला, भाकरवाल, काठियावाड़ी और मारवाड़ मीट के लिए अच्छी नस्ल माना जाता है. भेड़ पालन सरल इसलिए है. क्योंकि भेड़ आकार में छोटी होती है. कम म स्थान में आराम से रह सकती हैं. जल्दी-जल्दी बड़ी हो जाती हैं. इतना ही नहीं यह मौसम के हिसाब से खुद को ढाल लेती हैं.
आहार का ध्यान रखें
हर तरह की जलवायु में भेड़ को पाला जा सकता है. भेड़ घास खाना पसंद करती हैं लेकिन अगर आप मुनाफे के लिए इनका पालन करेंगे तो चराई के अलावा विशेष आहार का ध्यान रखना होगा. मेमने के पैदा होने के बाद करीब 3 घंटे तक उसे सिर्फ खीस दिन में तीन बार दी जाती है. दो हफ्ते तक मेनने को रोज 250 ग्राम दूध दें. दो हफ्ते के बाद चारा हो दाना खाने लायक हो जाएंगे. गर्भवती भेड़ को शक्ति देने वाला आहार दें.
टीकाकरण जरूर करवाएं
फिर ब्याने के कुछ दिन पहले उसके दाने की मात्रा कम करें. मेमने को जन्म देने के बाद हल्का और दस्तावर दाना या चारा दें. दुधारू भेड़ को बेहतर आहार दें, जिसे उसका दूध उत्पादन बढ़ें. 12 गुणे 15 की जगह में आप 50 से 60 भेड़ पाल सकते हैं. उनके खुर नाजुक होते हैं, तो फर्श को कच्चा ही रखें. भेड़ को बीमारी न हो इसलिए टीकाकरण पर विशेष ध्यान दें.
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