नई दिल्ली. पशुओं को साल भर हरा चारा देना किसी भी पशुपालक के लिए संभव नहीं है. यही वजह है कि पशुपालक हरे चारे की कमी को पूरा करने के लिए पशुओं को केवल भूसा देने लगते हैं या फिर साइलेज देने लगते हैं. साइलेज पशुओं को स्वादिष्ट लगता है और इसके फायदे भी होते हैं. इस वजह से पशुपालक साइलेज की मात्रा बढ़ा देते हैं और पशु भी खूब खाने में लगता है. जिसका नुकसान यह होता है कि पशु की प्रोडक्शन क्षमता कम हो जाती है और इसके साथ-साथ फैट भी कम हो जाता है. ऐसा क्यों होता है इस बारे में जानते हैं.
यहां ये भी जान लेते हैं कि साइलेज पशुओं के लिए वह आहार है जो हरे चारे का एक बेहतरीन विकल्प होता है लेकिन यही विकल्प अक्सर पशुओं की उत्पादकता और दूध देने की क्षमता का दुश्मन बन जाता है. ऐसे कई कारणों से हो सकता है. जैसे साइलेज का सही ना होना, साइलेज की अधिक मात्रा और साइलेज के साथ-साथ अन्य चीजों को मैनेज ना करना. यदि ऐसा होगा तो दूध का प्रोडक्शन कम हो जाएगा और पशु पालकों को नुकसान होगा. वहीं फैट कम हो जाने से पशुओं में बीमारी लगने का खतरा भी बढ़ जाता है.
ये है साइलेज का नुकसानः अब सवाल उठता है कि आखिर साइलेज कब नुकसान पहुंचता है तो बता दें कि साइलेज में घुलनशील कार्बोहाइड्रेट के अंदर किनुअन होता है, जिससे लैक्टिक एसिड पैदा होता है. इससे पशु के रूमन का पीएच स्तर गिरने लगता है. जब साइलेज के साथ अनाज देते हैं तो इसका स्तर और भी ज्यादा गिर जाता है. यही कारण है कि पशु के दूध देने की गुणवत्ता घटने लगती है.
मीठा सोडा देना चाहिएः हालांकि पशु को इस स्थिति से बचाना है तो उसका भी उपाय है. साइलेज के साथ 50 ग्राम मीठा सोडा पशुओं को खिलाना चाहिए. इससे पीएच स्तर कम नहीं होगा और पशु को होने वाली समस्या का भी सामना नहीं करना पड़ेगा. अगर पशुपालक भाई रोजाना पशु को 50 ग्राम मीठा सोडा नहीं दे सकते हैं तो एक दिन छोड़कर भी यह मीठा सोडा दे सकते हैं. अगर नियमित रूप से पशुओं का साइलेज के साथ मीठा सोडा दिया जाए तो वह पूरी तरह से स्वस्थ रहेंगे और कोई दिक्कत भी नहीं होगी. वहीं गर्मी का मौसम आ रहा है, अपने पशुओं को अप्रैल और मई के महीने में सरसों के तेल का सेवन कराएं, जिससे उसकी दूध की क्षमता भी बढ़ेगी और उसकी वृद्धि भी अच्छी होगी.
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